तालिबान: महिलाओं संग होगा कैसा सलूक? 20 से अधिक देशों ने जताई चिंता

तालिबान राज में महिलाओं और लड़कियों के साथ कैसा सुलूक होगा। इसको लेकर विभिन्न देशों ने चिंता जताई है...

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Newstrack NetworkPublished By Ragini Sinha
Published on: 19 Aug 2021 2:35 AM GMT
women and girls situation in afganistan
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तालिबान राज में कैसा होगा महिलाओं के साथ सुलूक (social media)

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद विभिन्न देशों ने वहां की महिलाओं, लड़कियों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। तालिबान ने भले ही लोगों को भरोसा दिलाया है की वह महिलाओं को शरिया कानून के तहत 'आजादी' देगा, लेकिन इस पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल होगा।

20 देशों से अधिक देशों ने जताई चिंता

यूरोपिय देशों के साथ करीब 20 और देशों ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन सभी ने साइन किया है। साथ ही उन्होंने महिलाओं को, उनके अधिकारों, आजादी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ अफगानिस्तान में किसी तरह का अत्याचार नहीं होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी मदद को हमेशा तैयार है। उनकी आवाजों को, मांगों को सुना जाएगा। इन देशों ने जताई चिंता अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर, अल सल्वाडोर, यूरोपीय संघ, होंडुरास, ग्वाटेमाला, उत्तरी मैसेडोनिया, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पराग्वे, सेनेगल, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।

महिलाओं को है डर

औरतों के साथ तालिबान ने 1996 से लेकर 2001 तक क्या किया, वो किसी से छिपा नहीं है। नियम-कानून के नाम पर उनके अधिकार बर्बरता से कुचल दिए गए थे। इसलिए अब औरतों को इस बात का डर है कि कहीं ये इतिहास अपने-आप को न दोहराए। तालिबान ने जब पहली बार अफगानिस्तान में राज किया था, तब कहा था कि वो शरिया कानून के तहत काम कर रहा है। उसने बहुत कड़ाई से इस कानून को लागू किया था, लेकिन क्या वाकई शरिया कानून में औरतों के अधिकारों को कुचल दिया जाता है?

भविष्य की सरकार से देशों ने जताई उम्मीद

साझा बयान में लिखा है कि हम लोग अफगान की महिलाओं, लड़कियों के बारे में, उनकी पढ़ाई, काम और आजादी को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम अफगान के मौजूदा प्रशासन से उनकी सुरक्षा की गारंटी देने का वादा चाहते हैं। बयान में आगे लिखा है कि हम लोग इस चीज पर बारीकी से नजर रखेंगे कि भविष्य की सरकार महिलाओं को किस तरह अधिकार और आजादी देती है। पिछले 20 सालों में यह अफगान की महिलाओं-लड़कियों के लिए भी जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।

क्या होता है शरीयत कानून

भारत में शरीयत से संबंधित नियम कायदों को संचालित करने के लिए एक संस्था का गठन 1937 में किया गया। इसका नाम था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी स्थापना 1937 में अंग्रेजों ने की थी। इसका उद्देश्य मुसलमानों के सभी मामलों का इस्लामिक कानून के मुताबिक निपटारा करना था। शरीयत कानून इस्लाम धर्म के अनुयायी यानी की मुसलमानों के लिए उनके घरेलू से लेकर राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन पर बहुत गहरे से प्रभाव डालता है। यानी कुल मिलाकर शरीयत उस समुच्चय नीति को कहते हैं, जो इस्लामी कानूनी परम्पराओं और इस्लामी व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है।

Ragini Sinha

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