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तालिबान का सुरक्षा को लेकर वादा झूठा, काबुल एयरपोर्ट पर महिलाओं व बच्चों पर किया हमला

Taliban attack: काबुल एयरपोर्ट से सामने आई तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि तालिबानियों ने देश छोड़ने के इरादे से हवाईअड्डे आने वाली महिलाओं और बच्चों पर नुकीले-धारदार हथियारों से वार किया।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 18 Aug 2021 1:29 PM GMT
Taliban attacks women and children at Kabul airport
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काबुल हवाईअड्डे पर तालिबान का हमले से जख्मी लोग(Social media)

Taliban in Afghanistan: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही अब देश में एक बार फिर से महिलाओं को गुलाम बनकर रहने का डर पनप रहा है, साथ में अफगानिस्तान में उन्हें पढ़ने, काम करने का अधिकार तक नहीं मिलेगा। हालांकि, तालिबान ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया के सामने महिलाओं को सुरक्षा देने का वादा किया था। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।


महिलाओं और बच्चों पर नुकीले-धारदार हथियारों से किया वार

बुधवार को काबुल एयरपोर्ट से सामने आई तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि तालिबानियों ने देश छोड़ने के इरादे से हवाईअड्डे आने वाली महिलाओं और बच्चों पर नुकीले-धारदार हथियारों से वार किया। तालिबानी लड़ाकों ने एयरपोर्ट से भीड़ को वापस भेजने के लिए फायरिंग भी की। तालिबानी लड़ाकों ने एयरपोर्ट से भीड़ को वापस भेजने के लिए फायरिंग भी की थी। लॉस एंजिलिस टाइम्स के रिपोर्टर मार्कस यैम ने ट्विटर पर कुछ तस्वीरें ट्वीट की हैं और दावा किया है कि तालिबानियों के हमले में कई लोग घायल हुए हैं।

फॉक्स न्यूज ने एक वीडियो जारी कर यह दावा किया है कि तालिबान लड़ाके काबुल और अन्य जगहों की सड़कों पर घूम रहे हैं और पूर्व-सरकारी कर्मचारियों की तलाश में जुटे हैं। इस दौरान वे कई जगह फायरिंग भी कर रहे हैं। चैनल ने यह भी दावा किया है कि तालिबान ने तखर प्रांत में मंगलवार को एक महिला को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वह घर से बाहर बिना सिर ढंके दिखी थी।


"पिछले शासन की तुलना में इस बार नरमी से कानून लागू करेंगे"

काबुल पर कब्जे के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने कहा कि वे 1996-2001 के बीच अपने पिछले शासन की तुलना में इस बार नरमी से कानून लागू करेंगे। तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि हमें अंदर या बाह कोई दुश्मन नहीं चाहिए। जबीउल्ला ने यह भी कहा कि महिलाओं को काम करने और पढ़ने का अधिकार मिलेगा। समाज में उनकी सक्रियता भी रहेगी लेकिन शरिया कानून के अनुसार होगा।


स्थानीय मीडिया की कई रिपोर्टों में इससे उलट यह दावा किया जा रहा है कि तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच बहुत सी महिलाओं को उनके दफ्तरों ने नौकरी छोड़ने का आदेश दिया है। पिछले शासनकाल में तालिबान ने महिलाओं के काम करने पर पाबंदी लगाई हुई थी। लड़कियों को स्कूल जाने का अधिकार नहीं था और महिलाएं घर से बाहर वह भी बुर्का पहनकर सिर्फ किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ ही निकल सकती थीं।

Deepak Kumar

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