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तालिबान की मजबूती से जम्मू-कश्मीर में बढ़ा खतरा, पीओके में जैश के आतंकियों ने डाला डेरा
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के आधार पर माना जा रहा है कि तालिबान की अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलीभगत है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इन आतंकी संगठनों के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में बड़ी साजिश को अंजाम देने में जुटी हुई है।
भारत में पहले भी कई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे चुके जैश-ए-मोहम्मद के दहशतगर्दों को भी तालिबानी आतंकियों ने ट्रेनिंग दी है। तालिबानी आतंकियों से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद जैश के 38 दहशतगर्दों के पीओके पहुंचने की खबर है।
ये जैश आतंकी पीओके के हजीरा में स्थित जैश के ट्रेनिंग कैंप में डेरा डाले हुए हैं। जैश के मुखिया मसूद अजहर के भी तालिबानी नेताओं के साथ बैठक किए जाने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक मसूद अजहर ने कश्मीर में तालिबानी नेताओं से मदद मांगी है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अजहर ने भी खुशी जाहिर की थी। और इसी तरह कश्मीर हासिल करने की भी चेतावनी दी थी।
आतंकी संगठनों को मिली नई संजीवनी
जानकार सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद सुरक्षाबलों की सतर्कता के कारण आतंकियों के हौसले पस्त हैं। मगर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद आतंकी संगठनों को नई संजीवनी मिली है। सीमा पार से एक बार फिर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिशें की जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक सीमा पार कोटली और हजीरा समेत कुछ अन्य इलाकों में आतंकियों के ट्रेनिंग टेंपो का संचालन किया जा रहा है।
पुंछ से लगे सीमा पार के इलाकों में 20 से ज्यादा लांचिंग पैड के सक्रिय होने की खबर मिली है। प्रत्येक लांचिंग पैड पर कई आतंकी मौजूद हैं जो भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। आतंकियों में भारत की ओर से एयर स्ट्राइक करने का डर भी है। इसी कारण प्रत्येक लांचिंग पैड पर कम आतंकियों को रखा गया है। पीओके में सेना की चौकियों के आसपास भी हाल के दिनों में आतंकियों की सक्रियता बढ़ी है।
आतंकी संगठनों ने मिलाया हाथ
सामरिक जानकारों का मानना है कि काबुल एयरपोर्ट पर किया गया हमला भारत के लिए खतरनाक संकेत है। अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों को भी यह बात समझनी होगी कि भले ही तालिबान की ओर से पल्ला झाड़ा जा रहा हो मगर तालिबान, आईएस और अलकायदा ने हाथ मिला लिया है। और पाकिस्तान की ओर से इनकी पूरी मदद की जा रही है। आतंकियों का यह गठजोड़ भारत की सुरक्षा के लिए आने वाले दिनों में बड़ा खतरा साबित होगा।
पाकिस्तान में बैठे आतंकी गुट तालिबान की मदद से कश्मीर में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं। पाकिस्तान में सक्रिय लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठन आईएसआई और तालिबान की मदद से कश्मीर में एक बार फिर आतंक का माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं।
अमेरिकी कार्रवाई के बावजूद हौसले पस्त नहीं
काबुल एयरपोर्ट पर आईएसआईएस के हमले के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है और अमेरिका ने ऐसे और भी हमलों की चेतावनी दी है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आतंकी संगठनों को दी गई चेतावनी पर अमल करते हुए एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया है मगर फिर भी आतंकियों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। अमेरिकी कार्रवाई में काबुल एयरपोर्ट के मुख्य साजिशकर्ता समेत कई आतंकियों के मारे जाने की खबर है। दूसरी और भारत की सुरक्षा एजेंसियां भी काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले को काफी गंभीरता से ले रही हैं।
मसूद अजहर ने मांगी तालिबान से मदद
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता के चलते ही हाल के दिनों में कश्मीर घाटी में आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है और कई बड़े आतंकी सरगना मारे गए हैं। ऐसे में जैश का मुखिया मसूद अजहर तालिबानी नेताओं से मदद लेने की कोशिश में जुट गया है।
सूत्रों के मुताबिक मसूद अजहर अगस्त के तीसरे हफ्ते में कंधार गया था और वहां उसने तालिबान के बड़े नेताओं के साथ मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद कश्मीर में तालिबानी आतंकियों की मदद लेना था। मसूद अजहर ने इस बाबत मुल्ला अब्दुल गनी बरादर सहित तालिबान के कई नेताओं से चर्चा की है।
आतंकियों की सक्रियता से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जैश तालिबान की मदद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ा सकता है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अफसर का कहना है कि आतंकियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए खुफिया तंत्र को और मजबूत बनाया गया है।
सीमा पार आतंकियों की गतिविधियों के साथ ही तालिबान पर भी पूरी नजर रखी जा रही है ताकि कश्मीर में आतंकी घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही एलओसी पर सुरक्षा में लगाए गए जवानों को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आतंकी घाटी में घुसपैठ न कर सकें।