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Taliban Government : तालिबान का बदला रुख, 9/11 हमले की निंदा के पीछे का ये है राज
Taliban Government : इतिहास में पहली बार तालिबान ने 20 साल पहले अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले की निंदा की है।
Taliban Government : महाशक्तिशाली देश अमेरिका में आज से 20 साल पहले 11 सितंबर 2001 को आतंकी हमला था। जिसने 29,77 लोगों की मारे गए थे। वहीं अब इस 9/11 हमले की 20 वीं बरसी पर तालिबान ने निंदा की है। एक मीडिया न्यूज चैनल से हुई बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता ने निंदा तो की है, साथ ही अलकायदा से भी मुंह मोड़ लिया। अलकायदा का मुखिया लादेन जिस तालिबान की छत्र-छाया में अफगानिस्तान में छुपा था, आज वही तालिबान अलकायदा को नकार रहा है।
इतिहास में पहली बार तालिबान ने 20 साल पहले अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले की निंदा की है। ऐसे में विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मासूमों का खून बहाना गलत था। एक मीडिया न्यूज चैनल से हुई बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता तारिक गजनीवाल ने कहा- उनका अलकायदा से कोई लेना देना नहीं है। जिहाद के नाम पर मासूमों को मारना गलत था।
तालिबान के अतीत के काले कारनामों का खुलासा
अफगानिस्तान में कहर ढा रहे तालिबान के इस बदलते बर्ताव को लेकर प्रश्न ये खड़ा हो रहा है कि क्या वाकई में तालिबान बदल गया है। या फिर ये भी तालिबान की कोई चाल है। असल में दुनिया के अधिकतर देशों ने तालिबान को आतंकवाद की संज्ञा दी है। साथ ही तालिबान के अतीत के काले कारनामों का खुलासा उसके अफगानिस्तान में सरकार बनाने पर आपत्ति जाहिर की है।
इसके साथ ही शनिवार को अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार को भारत ने मानने से मना कर दिया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को इस बात का एलान कर दिया कि वे तालिबान की नई सरकार को एक व्यवस्था ('डिस्पेंसेशन') से अधिक कुछ नहीं समझते हैं। इस व्यवस्था में भी सभी वर्गों के शामिल ना होने से परेशान है। साथ ही भारत को अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के बदहाल स्थिति पर चिंता जाहिर की है।
विदेशी मदद पर रोक
दरअसल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही विदेशी मदद पर टिकी हुई थी। यहां की जीडीपी (GDP) का 40 प्रतिशत हिस्सा विदेशी मदद से पूरा होता है। लेकिन जब से अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा किया है तबसे उसकी विदेशी मदद रुक गई है।
ऐसे में तालिबान के आतंकी रूख की वजह से विश्व बैंक और आईएमएफ (IMF) ने भी अफगानिस्तान की मदद राशि पर रोक लगा दी है। साथ ही अमेरिका ने द अफगानिस्तान बैंक की 9 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया है। ऐसे में बैंक बंद पड़े हैं और लोग नकद रुपए-पैसे के लिए परेशान है। यहां तक अब अफगानिस्तान में खाने पीने की भी कमी पड़ने के आसार नजर आ रहे है।
तालिबान के इस बदलते रूख के पीछे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि तालिबान ये चाहता है कि दुनिया तालिबान को मान्यता दे दे और विदेशी मदद प्रदान करे। जिसकी वजह से तालिबान अपनी आतंकी छवि को दुनिया के सामने से हटाना चाहता है।