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Terror Attack: चीन रच रहा आत्मघाती आतंकी हमले की साजिश, जानें कितने देशों में हुआ बड़ा आतंकवादी हमला
Terror Attack: गुरुवार शाम अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट में एक के बाद एक तीन आतंकी आत्मघाती हमले हुआ है।
Terror Attack: गुरुवार शाम अफगानिस्तान (Afghanistan) के काबुल (Kabul) एयरपोर्ट में एक के बाद एक तीन आतंकी आत्मघाती हमले हुआ है। जिसमें 13 अमेरिकी कमांडर सहित 60 लोगों की मौत हुई। जबकि काबुल एयरपोर्ट अमेरिकी सुरक्षा के अंतर्गत था। मिली जानकारी के मुताबिक जहां ये हादसा हुआ वहां करीब 5000 लोग मौजूद थे। तालिबान ने इन हमलों की वजह अमेरिकी सुरक्षा में कमी को बताया है। जबकि इन सभी हमलों की जिम्मेदारी आईएसआईएस (ISIS) आतंकी संगठन ने ली है।
इन्हीं खबरों के बीच चीन भी आत्मघाती आतंकी हमलों की साजिश रच रहा है। पर ये नया मामला नहीं है आतंकी आत्मघाती हमले का। दुनिया में इसके अलावा भी अन्य आतंकी हमले हुए हैं। जो लोगों के बीच दहशत फैलाने में सफल हुए हैं।
अब तक दुनिया में इतने आतंंकी हमले हुए हैं
1920 में न्यूयॉर्क के वॉल स्ट्रीट पर बमबारी :
न्यूयॉर्क के वित्तीय इलाके में 16 सितंबर, 1920 को बमबारी की घटना हुई थी। जिसमें 38 लोगों मारे गए और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना में बीस लाख डॉलर के नोट बर्बाद हो गए थे।
1925 में संत नेदेल्या चर्च पर हमला: यह हमला 16 अप्रैल, 1925 को किया गया था। बुल्गारियन कम्युनिस्ट पार्टी (बीसीपी) के एक गुट ने संत नेदेल्या चर्च के गुंबद को उड़ा दिया था। इस हमले में करीब 150 लोग मारे गए थे। जिनमें से ज्यादातर प्रमुख सरकारी और सैन्य अधिकारी थे और इनके अलावा 500 लोग घायल हुए थे।
1946 में किंग डेविड होटल पर बमबारी: 22 जुलाई, 1946 को विद्रोही दक्षिणपंथी यहूदी गुट, इर्गुन, ने किंग डेविड होटल स्थित ब्रिटिशों के फिलीस्तीन के लिए मुख्यालय को बम से उड़ा दिया था। इस आतंकवादी हमले में विभिन्न देशों के 91 लोग मारे गए थे।
1978 में सिनेमा रेक्स हमला: आगजनी की यह घटना ईरान के शहर अबादान में 19 अगस्त 1978 को हुई थी। इस आग में 470 लोगों की मौत हो गई थी।
1979 में बड़ी मस्जिद पर कब्जा: यह आतंकवादी कृत्य वर्ष 1979 में 20 नवंबर से 5 दिसंबर तक और इसके तहत मक्का की मस्जिद पर इस्लाम में परिवर्तन चाहने वाले विरोधियों ने कब्जा किया था। जिसके बाद इसमें 255 हजयात्रियों, उग्रवादियों की जानें चली गई थीं। और दोनों ओर से 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
1983 में बेरूत की बैरकों पर बमबारी: यह घटना 23 अक्टूबर, 1983 में हुई थी। और तब लेबनान की गृह यु्द्ध अपने चरम पर था। तब विस्फोटकों से भरे दो ट्रकों में अमेरिकी और फ्रांसीसी सेनाओं के लिए बनी बैरकों में भीषण विस्फोट हुआ था। इसकी जिम्मेदारी इस्लामिक जिहाद नाम के संगठन ने ली थी। हमलों में 241 सैनिकों की मौत हुई थी।
1993 का मुंबई धमाका: इस आतंकवादी हमले के तहत मुंबई में तेरह बम विस्फोट कराए गए थे। यह हमला 12 मार्च, 1993 को किया गया था। जिसमें 270 लोगों की मौत हुई थी। और 700 से ज्यादा नागरिक घायल हुए थे। इन हमलों को एक अपराध संगठन 'डी कंपनी' के प्रमुख दाउद इब्राहीम के इशारे पर किया गया था।
1995 में ओकलाहामा सिटी बमकांड: यह बमकांड 19 अप्रैल, 1995 को किया गया था। और इसके तहत में ओकलाहामा के अल्फ्रेड पी. मरे फेडरल बिल्डिंग में विस्फोट हुआ जिसमें बहुत सारे कार्यालय थे। हमले में 168 लोगों की मौत हुई थी। और 800 से ज्यादा घायल हुए थे।
1997 में बेंतलहा, अल्जीरिया पर हमला: इसे 'बेंतलहा हत्याकांड' के नाम से भी जाना जाता है। यह घटना 22-23 सितंबर, 1997 की दरम्यानी रात में हुई थी जब सशस्त्र गुरिल्लों ने इस गांव पर हमला करके 200 से लेकर 400 लोगों की हत्या कर दी थी।
2002 का बाली बमकांड: इंडोनेशिया के इतिहास में इसे अभी भी सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है ।12 अक्टूबर, 2002 को हुई इस घटना में कूटा के पर्यटक क्षेत्र को निशाना बनाया गया था। इस बमकांड में 202 लोगों की मौत हुई थी जिनमें से ज्यादातर विदेशी पर्यटक थे।
2004 मैड्रिड की ट्रेनों पर बम विस्फोट: इसे 'इलेवन एम' ने नाम से जाना जाता है। 11 मार्च, 2004 को मैड्रिड की केरसानिया यात्री ट्रेन पर बम विस्फोट किए गए थे।बम विस्फोटों के पीछे आतंकवादी गुट अल कायदा का हाथ था। इन विस्फोटों में करीब 200 लोगों की मौत हो गई।ये विस्फोट स्पेन आम चुनाव के तीन दिन पहले हुए थे।
2004 समुद्र सुपरफेरी पर विस्फोट: यह समुद्र पर भीषण हमला 27 फरवरी, 2004 को हुआ था जिसमें सुपरफेरी समुद्र में डूब गई थी। इस्लामी आतंकवादी गुट के इस हमले में 116 लोगों की मौत हो गई। यह काम अबू सय्याफ गुट का था।
2006 में इराक की सद्र सिटी में धमाके: इराक की सद्र सिटी में 23 नवंबर, 2006 को कार बमों के श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे और दो मोर्टार हमले किए गए थे। इसमें कम से कम 215 लोगों की मौत हो गई। और 257 अन्य घायल हुए थे।
2006 में मुंबई की ट्रेनों में बम विस्फोट: 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में सात सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए। इन विस्फोटों में 209 लोगों की मौत हो गई थी। और 714 अन्य घायल हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर ए तैयबा और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) ने ली थी।
2007 में कराची पर बम हमला: कराची पर बमों से हमला 18 अक्टूबर, 2007 को किया गया था। उस दिन पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, दुबई और लंदन से स्वदेश लौटी थीं।जिसमें 20 पुलिसकर्मी मौके पर ही मारे गए थे। इनके अलावा, 139 लोगों की भी मौत हुई थी।
2007 में बगदाद के बम धमाके: इराक के बगदाद शहर में 18 अप्रैल, 2007 को 5 कार बम विस्फोट हुए थे। इस हिंसा में इराक के शिया नागरिकों को निशाना बनाया गया था। इन बम हमलों में कम से कम 200 लोगों की मौत हुई थी।
2008 भारत में 26/11 का मुंबई आतंकी हमला: 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने भारत की वाणिज्यक राजधानी मुंबई को अपना निशाना बनाया। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए हुए थे। इस हमले में 160 से ज्यादा बेगुनाह लोगों की मौत हुई जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए।
2008 के जयपुर ब्लास्ट: गुलाबी नगरी जयपुर में 13 मई 2008 में 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाके हुए। इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे। जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
2014 पेशावर आर्मी स्कूल के बच्चों पर हमला: 16 दिसंबर 2014 को आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तान के पेशावर में एक आर्मी स्कूल में घुसकर गोलीबारी की। इसमें 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई।
2015 में - नवंबर में फ्रांस की राजधानी पेरिस आतंकियों ने पहले लोगों को बंधक बनाया और फिर रेस्टोरेंट, फुटबॉल स्टेडियम जैसे पब्लिक प्लेस पर हमला किया। आठ आतंकियों ने 6 जगहों पर हमले किए जिसमें 128 लोगों की मौत हो गई है। हमला करने वाले आतंकी आईएसआईएस के स्लिपर सेल से थे।
2016 में इराक में आत्मघाती हमला: इराक की राजधानी बगदाद के दक्षिणी इलाके में एक चेक प्वॉइंट के पास जोरदार ट्रक बम धमाका हुआ। खबर के मुताबिक इस विस्फोट में अब तक 47 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि 50 से भी ज्यादा लोग जख्मी हुए ।
पुलवामा हमला 2019: साल 2019 के फरवरी महीने की 14 तारीख ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पिछले 2 सालों से भारत में जब से धारा 370 हटाई गयी है , तब से आतंकी गतिविधियों की आहट कम सुनाई पड़ती है।
अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा करके आतंकवादियों गतिविधियों बढ़ा दिया
लेकिन अब अफगानिस्तान में तालिबान की चहलकदमी ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी है।क्योंकि पाकिस्तान और चीन तालिबान के मददगार बनते नज़र आ रहे हैं।तालिबान भारत मे प्रवेश के लिए पाकिस्तान के रास्ते चुन सकता है।हालांकि भारत सभी चुनोतियों से लड़ने के लिए तैयार है।