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कोरोना से बेखौफ: आतंकवादी उठा रहे बीमारी का फायदा, कर रहे हैं आत्मघाती हमले
लॉकडाउन के बीच कश्मीर के हंदवाड़ा में 2 मई को हुई एक मुठभेड़ में सेना के चार और पुलिस का एक जवान शहीद हो गए। इससे पहले 18 अप्रैल को बारामुला के सोपोर में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान मारे गए थे।
नई दिल्ली: पूरे विश्व में कोरोना का संकट है। दुनियाभर के देशों की सरकारों कोरोना से लड़ने अपना पूरा जोर लगा रही हैं। दूसरी तरफ आतंकवादी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में बढ़े आतंकी हमले इस बात की गवाह हैं कि आतंकवादी संगठन कोरोना का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय सुरक्षाबल इसका मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।
हंदवाड़ा मुठभेड़ में सेना के चार और पुलिस का एक जवान शहीद हो गए थे
बता दें कि लॉकडाउन के बीच कश्मीर के हंदवाड़ा में 2 मई को हुई एक मुठभेड़ में सेना के चार और पुलिस का एक जवान शहीद हो गए। इससे पहले 18 अप्रैल को बारामुला के सोपोर में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान मारे गए थे। 18 अप्रैल को शोपियां में सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। 17 अप्रैल को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में एक जवान घायल हो गया था।
48 घंटे के भीतर किया दूसरा हमला, तीन जवान शहीद हो गए
आतंकियों ने 48 घंटे के भीतर हंदवाड़ा में फिर हमला किया। इस बार काजीबाद इलाके के पास 4 मई को सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर आतंकियों ने हमला कर दिया। सुरक्षाबलों ने तुरंत हमले का जवाब देते हुए एक आतंकी को ढेर कर दिया। हालांकि, इस हमले में तीन जवान शहीद हो गए जबकि सात घायल हुए हैं। वहीं, आज जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के पाखरपोरा में आतंकियों ने गश्त कर रहे सीआरपीएफ के जवानों पर ग्रेनेड से हमला किया है। हमले में दो लोग जख्मीम हुए हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ सीमावर्ती इलाकों में जमी बर्फ पिघली है। बर्फ से सीमा पर लगी फेंसिंग को भी नुकसान हुआ है। इसके चलते आतंकी सीमा पार कर कश्मीर में घुस रहे हैं। ये हाल सिर्फ भारत का ही नहीं है। इराक और सीरिया में भी इस्लातमिक स्टेरट के आतंकवादी कोरोना वायरस का फायदा उठाने की कोशिशों में लग गए है। इसके अलावा पश्चिमी अफ्रीका में आईएस समर्थित बोको हराम के आतंकी हमले बढ़ रहे हैं। आईएस आतंकी मोजाम्बिक को अपना नया गढ़ बनाने की फिराक में हैं।
महामारी कोविड-19 का फायदा उठाकर गतिविधियों में बढ़ोतरी
इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर 2016 में आईएस ने कब्जा कर लिया था, लेकिन स्थानीय लड़ाकों और अमेरिकी फौजों ने धीरे-धीरे इस आतंकी संगठन को समेट दिया। इस समय दोनों ही देशों में इस्लामिक स्टेट के सक्रिय सदस्यों की संख्या बहुत कम रह गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब कोरोना वायरस से फैली महामारी कोविड-19 का फायदा उठाकर आईएस इराक और सीरिया में फिर सक्रिय हो रहा है। पिछले एक महीने में आईएस की स्लीपर सेल की गतिविधियों में तेजी आई है। आईएस ने 2 मई को किए आतंकी हमले में इराकी अर्द्धसैनिक बलों के 10 जवानों को मार दिया। ये हमला इराक की राजधानी बगदाद के पास ही हुआ। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में किरकुक में हुए एक आत्मघाती हमले में एक सरकारी इमारत के बाहर तैनात तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।
सीरिया में कॉम्बैट ऑपरेशन बढ़कर एक नए स्तर पर पहुंच गए
आईएस ने सीरिया में भी 32 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया है। इसके अलावा दो ऑयलफील्ड को भी तबाह कर दिया। इराक के सुरक्षा संबंधी मामलों के विशेषज्ञ हिशम अल हाशेमी कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में कॉम्बैट ऑपरेशन बढ़कर एक नए स्तर पर पहुंच गए हैं। इनके अलावा आईएस अपने फंडिंग, तस्करी के रास्तों और स्लीपर सेल को सक्रिय करने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। अमेरिकी खुफिया विभाग की रिपोर्ट कहती है कि इराक में अभी 2,500 से 3,000 आईएस आतंकवादी सक्रिय हैं।
बगदाद में काम कर रहे खुफिया विभाग के अधिकारी कहते हैं कि करीब 500 आतंकी सीमा पार कर सीरिया चले गए हैं। इनमें काफी आतंकी हाल में जेल से छूटे हैं। इराक के कुर्द इलाके के उपप्रधानमंत्री कुबद तलबानी कहते हैं कि आईएस का फिर से बढ़ना हमारे लिए बड़ा खतरा है। आईएस कुर्द लोगों को उत्तर में मार रहा है। धीरे-धीरे वो बगदाद की तरफ बढ़ना भी शुरू करेंगे।
सीरिया में आतंकियों ने जेल पर कर लिया कब्जा
कुर्द जेलों में बंद आईएस आतंकियों के जेल से भागने और जेल पर कब्जा कर लेने की खबरें भी आ रही हैं। उत्तर पूर्वी सीरिया के हसाकेह जेल में बंद आईएस के आतंकियों ने 30 मार्च को जेल को ही कब्जे में ले लिया। यहां से कई आतंकियों के भागने की खबर भी आई थी। हालांकि, कुछ दिन की बातचीत के बाद हुए एक समझौते से इस जेल पर कुर्दों ने नियंत्रण पा लिया। इस समझौते में अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य दल के सदस्य भी शामिल थे।
इराक में राजनीतिक अनिश्चितता भी लगातार बनी हुई है
आईएस के प्रभाव में बढ़ोतरी ऐसे समय पर देखने को मिली है, जब अमेरिका ने अपनी फौज को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। इसके चलते इराक में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए इराकी सुरक्षा बलों को लगाया गया है। इराक में राजनीतिक अनिश्चितता भी लगातार बनी हुई है। इराक में फिलहाल एक नई सरकार बनाने की कोशिशें चल रही हैं। कुछ अधिकारियों का कहना है कि हाल में हुए हमले बहुत हल्के थे। इनको देखकर ये नहीं लग रहा है कि आईएस 2014 की तरह फिर बड़े हिस्से पर कब्जा कर सकता है।
नाइजीरिया में बोको हरम ने सेना के 92 जवानों को मार दिया
नाइजीरिया भी कोरोना वायरस संकट के बीच आतंकी हमलों को लेकर हाईअलर्ट पर है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि खासतौर पर लेक चैड बेसिन में आतंकी हमलों का सबसे ज्याकदा खतरा है। अप्रैल के पहले हफ्ते में उत्तरी कैमरन के एक गांव में बोको हरम के आत्माघाती हमलावरों ने धमाका कर दिया। इसमें तुरंत 7 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले 23 मार्च को बोमा पेनिनसुला में हुए आतंकी हमले में अलकायदा समर्थित बोको हरम ने सेना के 92 जवानों को मार दिया।
योबे प्रांत के गोर्गी में नाइजीरियाई मिलिट्री पर भी हमला
बोमा पेनिनसुला लेक चैड क्षेत्र में ही आता है। डीडब्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, बोको हराम के इस्लाोमिक स्टेडट फॉर वेस्टप अफ्रीका प्रोविनेंस (ISWAP) गुट ने 24 मार्च को योबे प्रांत के गोर्गी में नाइजीरियाई मिलिट्री के काफिले पर हमला किया। इसमें 47 जवानों की मौत हो गई। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब पूरी दुनिया की सरकारें वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने में लगी हैं तो आतंकी संगठन अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने में जुट गए हैं।