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थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु मोटापे से परेशान, अब वजन घटाने के लिए कर रहे डाइटिंग

seema
Published on: 30 Nov 2018 1:43 PM IST
थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु मोटापे से परेशान, अब वजन घटाने के लिए कर रहे डाइटिंग
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थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु मोटापे से परेशान, अब वजन घटाने के लिए कर रहे डाइटिंग

बैंकाक। थाईलैंड के बौद्ध मठों में रहने वाले भिक्षु मोटापे से परेशान हैं। अब ये लोग अपना वजन घटाने के लिए काफी मशक्कत कर रहे हैं। भिक्षुओं में बढ़ते वजन और मोटापे के कारण देश के स्वास्थ्य विभाग ने इनको फिटनेस की ताकीद की है। फिटनेस के लिए बौद्ध भिक्षुओं को अल सुबह मंदिर परिसर में सैर करनी होती है। इसके अलावा हाथों और पैरों को हिलाने-डुलाने वाली कड़ी कसरत भी इनकी दिनचर्या में शामिल हो गई है। थाईलैंड के तकरीबन सभी बौद्ध भिक्षु अब खानपान भी कंट्रोल कर रहे हैं। इन कवायदों का एक ही मकसद है - बढ़ते वजन को नियंत्रित रखना। दिसंबर 2017 में थाईलैंड के स्वास्थ्य विभाग और धार्मिक अधिकारियों ने एक 'मॉन्क हेल्थ चार्टरÓ निकाला था, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं के खानपान पर नजर रखने के निर्देश दिए गए थे। एशियाई विकास बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वैसे भी थाईलैंड के लोगों में मोटापे की समस्या काफी बड़ी है।

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डाइटिंग कर रहे 63 साल के बौद्ध भिक्षु पिपित सारीकिट्विनोन बताते हैं कि डाइटिंग में जाने से पहले वह मुश्किल से 100 मीटर चल पाते थे। उनका वजन भी 180 किलोग्राम तक पहुंच गया था, लेकिन अब वह खाना कंट्रोल कर रहे हैं। अब बौद्ध नियमों के तहत इन भिक्षुओं को दोपहर बाद खाना खाने से मना कर दिया गया है। माना जाता है कि बुद्ध ने खुद अपने अनुयायियों को देर से भोजन लेने से बचने को कहा था।

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बैंकॉक की एक यूनिवर्सिटी ने साल 2016 में बौद्ध भिक्षुओं पर किए अपने सर्वे में पाया था कि इनमें मोटापा 48 फीसदी तक बढ़ गया है। 42 फीसदी भिक्षु उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। दोपहर बाद इन्हें भोजन खाने की अनुमति नहीं है लेकिन शक्कर की सही मात्रा वाले जूस को पी सकते हैं। मोटापे की इस समस्या के लिए थाई दुकानों पर मिलने वाले पैक फूड को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। अब मठाधीश यह भी मानते हैं कि स्वास्थ्य, शिक्षा, ध्यान और मेडिकल चेकअप इन भिक्षुओं के जीवन में बदलाव लाएगा।

डॉक्टरों से नहीं मिलते

कुछ मठाधीशों ने बताया कि तकरीबन तीन साल पहले मठों में हेल्थ चेकअप शुरू किए गए थे। लेकिन ये भिक्षु मठ बदलते रहते हैं और कई तो डॉक्टर या डेंटिस्ट से कभी चेकअप नहीं कराते। हालांकि अब नई योजना में श्रद्धालुओं से कहा गया है कि वे अपने धर्म गुरुओं को स्वास्थ्यवर्धक भोजन दें। ये नए नियम भी अनिवार्य नहीं है लेकिन जो भिक्षु अब अपनी सेहत पर ध्यान दे रहे हैं, उन्हें इसका फायदा नजर आ रहा है।

पूर्वजों को चढ़ावा

अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए थाईलैंड के लोग भिक्षुओं को दिल खोल कर भोजन चढ़ाते हैं और ये भिक्षु भी मिठाई, स्वादिष्ट सब्जियों समेत तेल-मसाले की कई चीजें खा भी लेते हैं। थाईलैंड के हेल्थ सिक्युरिटी ऑफिस के अधिकारी कहते हैं कि लोग सोचते हैं कि अगर ये बौद्ध भिक्षु खाएंगे तो उनके पूर्वज तृप्त महसूस करेंगे और ये भोजन उन तक जाएगा। कुछ लोग तो इन भिक्षुओं को सिगरेट तक देने लगे ताकि सिगरेट भी उनके पू्र्वजों तक पहुंच जाए। इन भिक्षुओं के लिए श्रद्धालुओं को न करना भी आसान नहीं है। बैंकॉक के एक बौद्ध मंदिर के मठाधीश कहते हैं, 'बुद्ध की शिक्षा के मुताबिक श्रद्धालु जो भी देते हैं, हमें लेना पड़ता है। हम मना नहीं कर सकते।Ó



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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