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तीस हजार विदेशी, जाएं तो जाएं कहां, इधर कुआं उधर खाई
नेपाल सरकार ने पहले नौ अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित किया था। इसके बाद 15 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया। मौजूदा समय में लॉकडाउन फिर बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है। भारत में भी 15 अप्रैल से दो हफ्ते के लिए लॉकडाउन बढ़ रहा है।
देहरादून। भारत और नेपाल में कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन से नेपाली मजदूरों की आफत होगई है। दोनो देशों की सीमा पर करीब 30 हजार नेपाली नागरिक फंसे हुए हैं। भारत सरकार ने इन्हें क्वारंटाइन किया हुआ है। लेकिन नागरिकों की मुसीबत ये है कि इन्हें परसों से शुरू होने वाले नेपाली नये साल की चिंता सता रही है। ये नेपाली नागरिक भारत में काम की तलाश में आते हैं लेकिन कोरोना के चलते आज ये न घर के रहे न घाट के। क्यों कि भारत में लॉकडाउन के चलते इन्हें काम नहीं मिल रहा है और नेपाल में लॉकडाउन के चलते ये घर नहीं जा पा रहे हैं। अलग अलग स्थानों पर ये हजारों नेपाली नागरिक फंस के रह गए हैं।
नेपाली नागरिकों के चेहरे इसलिए उतरे हैं क्योंकि पहली बार विषुवत संक्राति 14 अप्रैल को अपने घर से दूर हैं इस दिन नेपाल में नया साल मनाया जाता है। लॉकडाउन के चलते नेपाल के लोग तो पहले से ही घरों में हैं। लेकिन उसके ग्यारह सौ से अधिक नागरिक सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में तीस मार्च से फंसे हुए हैं।
कौन रख रहा है ध्यान
जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में कई राज्यों को जोड़ने वाली भारत-नेपाल सीमा पर करीब 30 हजार से अधिक नेपाली नागरिक फंसे हुए हैं। इनको क्वारंटाइन करके राहत शिविरों में रखकर ध्यान रखा जा रहा है। भारत सरकार इनके भोजन, पानी का इंतजाम कर रही है तथा इनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है।
नेपाल सरकार ने पहले नौ अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित किया था। इसके बाद 15 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया। मौजूदा समय में लॉकडाउन फिर बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है। भारत में भी 15 अप्रैल से दो हफ्ते के लिए लॉकडाउन बढ़ रहा है। ऐसे में फिलहाल इन लोगों को कोई राहत मिलने की उम्मीद भी नहीं है। इसके अलावा नेपाल में भी 700 लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है।