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इस देश ने जीत ली कोरोना की जंग, बन गया दुनिया के लिए बेमिसाल
हम बात कर रहे हैं दक्षिण कोरिया की। इस देश की राजधानी सोल की जहां की इस छोटी सी घटना से आप जान जाएंगे कि इस देश ने कोरोना से लड़ने के लिए कितनी जबर्दस्त तैयारी की है और वहां के नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति कितना जागरुक हैं।
कोरोना के खिलाफ जंग में दुनिया के तमाम देश जुटे हैं तो तमाम देश ऐसे भी हैं जो कोरोना से लड़ाई में हारते हुए बड़ी संख्या में जनहानि का सामना कर रहे हैं। इसमें दुनिया की सबसे बड़ी ताकत कहा जाने वाला अमेरिका भी शामिल है। लेकिन इसी दुनिया में एक देश ऐसा है जिसने मर्स के प्रकोप से सबक लेते हुए पहले से ही व्यापक तैयारियां की हुई थीं आज वह कोरोना से बखूबी मुकाबला कर रहा है।
हम बात कर रहे हैं दक्षिण कोरिया की। इस देश की राजधानी सोल की जहां की इस छोटी सी घटना से आप जान जाएंगे कि इस देश ने कोरोना से लड़ने के लिए कितनी जबर्दस्त तैयारी की है और वहां के नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति कितना जागरुक हैं।
जरा से शक पर किया ये
सोल के एक हॉस्पिटल के पीछे कार पार्किंग से अपनी कार को बाहर निकालते समय 45 साल की रशेल किम पिछले हफ़्ते डैगु गई थीं. डैगु दक्षिण कोरिया का वो इलाक़ा है जो कोरोना वायरस की चपेट में था। वहाँ से लौटने के बाद से ही रशेल को खांसी आनी शुरू हो गई और बुख़ार भी आ गया, चूंकि मौजूदा समय में कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इसलिए रशेल को लगा कि कहीं वो भी इस बीमारी से संक्रमित नहीं हो गईं।
अब देखिये रशेल भागी नहीं न छिपने की कोशिश की। वह अपना टेस्ट कराने चल पड़ीं। ताकि स्पष्ट हो जाए कि उन्हें कोरोना तो नहीं। दक्षिण कोरिया में बड़ी संख्या में कोरोना जांच केंद्र बनाए गए हैं, खास बात ये है कि आप गाड़ी में बैठे-बैठे ही टेस्ट करा सकते हैं।
कोरोना में जांच केंद्रों पर सिर से लेकर पैर तक विशेष कपड़े पहने जांच दल के लोग मौजूद रहते हैं। इनके हाथों में भी खास दस्ताने होते हैं, आंखों पर चश्मा और मुंह पर मास्क।
ऐसे होती है जांच
रशेल जब एक जांच केंद्र पर पहुंचती है तो उन्हें एक स्वैब स्टिक दी जाती है। रशेल उसे मुंह में अंदर की तरफ़ ले जाती हैं और फिर इस स्टिक को एक टेस्ट-ट्यूब में सुरक्षित करते हुए जांच के लिए सौंप देती हैं।
दूसरी जांच थोड़ा मुश्किल है एक स्वैब स्टिक नाक के अंदर ले जानी होती है, ये थोड़ा अटपटी और दिक्कत वाली है क्योंकि जब ये स्टिक नाक में डाली जाती है तो आंखों से आंसू आ जाते हैं, लेकिन घबड़ाइए नहीं ये सारी प्रक्रिया एक से डेढ़ मिनट में पूरी हो जाती है। इसके बाद रशेल को रोका नहीं जाता जाने दिया जाता है। अगर जांच का नतीजा पॉज़ीटिव आया तो कॉल करके सूचना दी जाएगी लेकिन अगर निगेटिव रहा तो रशेल को सिर्फ एक मेसेज मिल जाएगा।
जानना ये है कि कोरिया ने इतना मजबूत तंत्र कैसे विकसित किया। दक्षिण कोरिया में प्रतिदिन क़रीब 20 हज़ार लोगों की जांच की जा रही है। ये बहुत बड़ी संख्या है। और दुनिया के किसी भी दूसरे देश की जा रही जांचों से कहीं अधिक है। बाद में रशेल की रिपोर्ट निगेटिव आई।