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टाइटैनिक: 109 साल पहले बने सबसे खूबसूरत जहाज के दुखद अंत की कहानी
टाइटैनिक की भीषण दुर्घटना इतिहास कभी न भुला दिए जाने वाले हादसों में से एक है
लखनऊ: दुनिया का सबसे खूबसूरत और बड़ा जहाज टाइटैनिक था।टाइटैनिक जहाज का 10 अप्रैल से गहरा नाता है। यह जहाज 10 अप्रैल के दिन ही ब्रिटेन के साउथेम्पटन बंदरगाह से अपनी पहली और आखिरी यात्रा पर निकला था।
जहाज अपनी यात्रा के चौथे दिन तेज गति में चलते हुए एक आइसबर्ग से टकरा गया था। अनुमान के मुताबिक यह बर्फीली चट्टान करीब 10,000 साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हुई थी।
लेकिन टाइटैनिक की भीषण दुर्घटना इतिहास कभी न भुला दिए जाने वाले हादसों में से एक है। यह हादसा इस बात का गवाह है कि जरूरत के बजाय विलासिता को महत्व देना कितना भारी पड़ता है और यह भी की अति महत्वकांक्षाएं आपके साथ कैसा सुलूक कर सकती हैं।
विलासिता और अतिमहत्वकांक्षा
हकिकत है कि टाइटैनिक के साथ जो कुछ भी हुआ उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ विलासिता और अतिमहत्वकांक्षा का था। महत्वकांक्षा थी इतिहास बनाने की, इस बात की कि समुद्र में सबसे बड़ा जहाज पहली बार सबसे तेज गति से तैरा, लेकिन इतिहास इस बात पर बना कि सबसे बड़े जहाज का पहला ही सफर आखिरी हो गया। टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा भाप आधारित यात्री जहाज था। साउथहैम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी पहली यात्रा पर यह जहाज 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ। चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को एक आइसबर्ग से टकरा कर डूब गया। हादसे में 1,517 लोगों की मृत्यु हुई। यह सबसे बड़ी समुद्री आपदा थी।
ऐसी थी बनावट
ओलंपिक श्रेणी का यात्री लाइनर टाइटैनिक का संचालन व्हाइट स्टार लाइन शिपिंग कंपनी कर रही थी। इसका निर्माण बेलफास्ट आयरलैंड के हेरॉल्ड की ओर शिपयार्ड में किया गया था। वह 2,223 यात्रियों के साथ न्यूयॉर्क शहर के लिए रवाना हुआ था।
टाइटैनिक के डूबने की मुख्य वजह उसकी तेज गति से चलना था। टाइटैनिक के मालिक ने जहाज के कप्तान को जहाज को अत्यधिक गति से चलाने के लिए कहा था। 12 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक को 6 बर्फ की चट्टानों की चेतावनिया मिली थी।
टाइटैनिक को लॉर्ड पिरी (Lord Pirrie ) ने डिजाइन किया था। वह व्हाइट स्टार के संचालक थे। नौसेना आर्किटेक्ट थॉमस एंड्रयू(Thomas Andrews) इसी कंपनी में निर्माण प्रबंधक और डिजाइन विभाग के प्रमुख थे। एलेक्जेंडर (Alexander Carlisle) ने जहाज में विलासिता से भरी साज-सज्जा कराएं, जरूरी उपकरण, व्यवस्था और लाइफबोर्ड रखें थे।
टाइटैनिक का निर्माण 31 मार्च 1909 को शुरू हुआ। इसके पतवारों को 31 मई 1911 को जल में उतारा गया और तैयारी होने लगी कि अगले साल इसकी यात्रा शुरू कर दी जाए। टाइटैनिक की कुल लम्बाई 882 फीट और 9 इंच (269.1 मीटर), इसके ढालों की चौड़ाई 92 फीट (28.0 मीटर), भार 46,328 टन (GRT) और पानी के स्तर से डेक तक की ऊंचाई 59 फीट (18 मीटर) थी. जहाज में दो पारस्परिक जुड़े हुए चार सिलेंडर, और एक कम दबाव (जो प्रोपेलर को घुमाते थे) था।जहाज की कुल क्षमता यात्रियों और चालक दल के साथ 3549 थी।
आज याद रह गई जेम्स कैमरन की यह शानदार फिल्म,
टाइटैनिक फिल्म अमरीकन जेम्स कैमरन के निर्देशन में 1997 में बनी थी। 14 अप्रैल, 1912 में हुई घटना को एक बार फिर याद दिलाने के लिए 2012 में फ़िल्म थ्री डी इफेक्ट के साथ फिर से रिलीज़ की गई। यह कब अपनी यात्रा पर निकला, यह सारे तथ्य 1997 में आई फिल्म टाइटैनिक ने धुंधले कर दिए और याद रह गई जेम्स कैमरन की यह शानदार फिल्म, जिसमें विशाल जहाज के डैक पर बांहें फैलाए खड़े लियोनार्डो डी कैप्रियो और केट विंस्लेट, नीले हीरे वाली माला और पानी का रौद्र रूप ही याद बन कर रह गया है।