TRENDING TAGS :
OMG: इस आम आदमी की वजह से छिन जाएगा जापान की राजकुमारी का सिंहासन
तोक्यो: जापान की एक राजकुमारी का एक आम युवक पर दिल आ गया क्योंकि इस युवक की मुस्कान सूरज की तरह उज्जवल है। इस राजकुमारी को इस युवक से विवाह करके अपना शाही स्टेटस छोडऩा पड़ेगा।
जापान के शहंशाह अकिहितो की सबसे छोटी परपोती राजकुमारी माको (25) ने 3 अगस्त को एक प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया कि वह तोक्यो इंटरनेशनल क्रिश्चियन यूनीवर्सिटी के अपने सहपाठी केई कोमुरो (25) से विवाह करने वाली हैं। जापान के शाही खानदान में महिलाओं को सिंहासन पर बैठने की अनुमति नहीं होती है, इसलिए राजकुमारी माको का जैसे ही कोमुरो से विवाह होगा, वह अपना शाही स्टेटस गवां देंगी।
ये भी पढ़ें ... म्यांमार: रोहिंग्या मुस्लिमों का ‘बिन लादेन’ बना विराथु, सबमे खौफ
राजकुमारी माको ने बताया कि दिसंबर 2013 में कोमुरो ने उन्हें प्रपोज किया था। कोमुरो ने मीडिया को बताया कि माको के माता-पिता राजकुमार अकिशिनो व राजकुमारी किको ने उसे स्वीकार किया। इसके लिए वह बहुत शुक्रगुजार व खुश हैं।
यह विवाह कब होगा यह तय नहीं है लेकिन शाही महल के अधिकारियों के अनुसार यह अगले वर्ष सर्दियों से पहले हो सकती है। विवाह के पूर्व कई तरह की रस्में अदा की जाएंगी।
जापान का शाही परिवार
- शाही परिवार की किसी महिला का सिंहासन पर दावा नहीं होता है।
- विवाह के बाद शाही परिवार की महिला शाही स्टेटस गवां देती हैं। शाही पुरुषों पर यह लागू नहीं होता
- शहंशाह अकिहितो के बच्चों और उनके आगे भी लड़कियों की संख्या ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि सिंहासन के लिये उत्तराधिकारियों की संख्या कम है।
- अकिहितो के बाद उनके सबसे बड़े पुत्र राजकुमार नारुहितो गद्दी पर बैठेंगे।
- नारुहितो की संतान सिर्फ एक लड़की है। यानी उनके बाद उनका छोटा भाई अकिशिनो और उसके बाद अकिशिनो का 10 वर्षीय पुत्र हिसाहितो लाइन में है।
- अकिहितो की तीन अन्य पोतियां ही हैं। यानी हिसाहितो के बाद उत्तराधिकार की श्रंखला में राजकुमारी माको का छोटा भाई ही बचा रहेगा।
- इसके बाद कोई योग्य पुरुष बचा नहीं रहता है यानी अगर आगे के उत्तराधिकारियों के पुत्र पैदा नहीं होते तो उत्तराधिकार की सैकड़ों साल पुरानी परम्परा टूट जायेगी।
- 2600 साल से शाही परिवार में पुरुषों के उत्तराधिकार की सतत श्रंखला चली आ रही है।
इतिहास में शाही परिवार
- जापान का शाही परिवार विश्व का सबसे पुराना शाही परिवार माना जाता है जिसका इतिहास 2600 साल पुराना है। इस शाही परिवार के साथ अनेक मिथक जुड़े हुए हैं।
- शहंशाह जिम्मू के बाद से अकिहितो 125वें शहंशाह हैं। जिम्मू को सूर्य देवी अमतेरासु के वंश का बताया जाता था।
- जापान के मूल हिंतो धर्म की परंपराओं को आगे बढ़ाने मेन शाही परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- शाही परिवार को सबसे बड़ा खतरा द्वितीय विश्व युद्ध में देश की हार से उत्पन्न हुआ था।
- मित्र राष्ट्रों का कहना था कि जापान के शाही परिवार के ही नाम पर जापान की सेनाओं ने एशिया-प्रशांत में युद्ध किया था।
- मित्र राष्ट्रों में कुछ देश चाहते थे कि जापान में शाही शासन खत्म कर दिया जाए। लेकिन अमेरिकी जनरल डगलस
- मैकार्थर ने शाही शासन बने रहने पर जोर दिया था। हुआ ऐसा ही लेकिन शाही परिवार के अधिकारों में कटौती कर दी गयी।
- जापान का वर्तमान संविधान अमेरिका द्वारा लागू किया गया है। इसके तहत जापान के शहंशाह का 'अर्ध दैवी' स्टेटस समाप्त कर दिया गया और उन्हें मात्र एक प्रतीक का दर्जा दिया गया। यह लोकतांत्रीकरण के नाम पर किया गया था
- शाही खानदानों वाले अन्य देशों के विपरीत जापान में कोई संघीय अभियान नहीं है और देश की बहुसंख्य जनता शाही परिवार से प्रेम व उसका सम्मान करती है।