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बहुत ले लिया तलाक अब रहेंगे साथ-साथ
लंदन: पुरुषों के विवाह को बचाने के लिए ज्यादा जिम्मेदारी उठाने से अगले तीस सालों में तलाक बीते दिनों की बात हो जाएगी। यह बात ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में सामने आई है कि पुरुषों के अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर होने से 1993 के मुकाबले तलाक लेने वालों की संख्या घटकर आधी हो गई है।
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अध्ययन मे कहा गया है कि 1960 के दशक में जब तलाक के आंकड़े अपने शिखर पर थे उसके बाद तलाक की अर्जी लगाने वाली महिलाओं की कमी से यह गिरावट आई है। 1993 में यह संख्या एक बार फिर बहुत बढ़ गई थी लेकिन पुरुषों के अपनी जिम्मेदारी समझ लेने से अब यह घटकर आधी हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार लोग दबाव या टकराव के बजाय शादी बरकरार रखने के लिए जतन करने लगे हैं।
अध्ययन में यह पाया गया कि पिछले तीस सालों में हाल में शादी शुदा होने वाले जोड़ों में तलाक के मामलों में जबर्दस्त गिरावट आई है। इसके अलावा शादी के तीन साल बाद तलाक लेने वालों की संख्या घटकर आधी रह गई है ऐसा पुरुषों के विवाह के बाद की अधिक जिम्मेदारी उठाने से संभव हुआ है। शादी के पांच साल बाद तलाक के लिए आने वाले जोड़ों की संख्या 39 फीसद ही रह गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार 1960 में तलाक के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई थी उसके बाद 90 के दशक में इसमें गिरावट आई। और अब 1993 के मुकाबले तलाक लेने वालों की संख्या घटकर आधी से कम रह गई है। मैरिज फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं कि जो लोग शादी के बाद दस साल साथ साथ रह गए उनमें तलाक की दर सबसे कम है। तलाक के मामलों में गिरावट यह दर्शाती है कि लोग शादी के दबाव या बंधन के रूप में नहीं ले रहे हैं। वह अलगाव के बजाय शादी को चुन रहे हैं।
तलाक के मामलों में गिरावट पूरी तरह से महिलाओं के अलगाव के लिए आगे आने में कमी का नतीजा है। इससे लगता है कि पुरुष विवाह के बाद की जिम्मेदारियों का बोझ उठाने झिझक नहीं रहे हैं। अध्ययन के अनुसार स्पष्ट निर्णय लेने वाले पुरुषों का वैवाहिक जीवन स्थिर और खुशहाल रहता है।
अध्ययन के अनुसार लिविंग रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों में तलाक का खतरा तीन गुना अधिक होता है अर्थात शादी होने पर इसमें भारी कमी आ जाती है। बिना विवाह के साथ रहने वालों में 50 फीसद में अलगाव हो जाता है। इन अविवाहित लोगों में अलगाव का तीसरा बड़ा कारण इनका जीवन अव्यवस्थित होना है।