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जानिए क्यों अब पाकिस्तान में किन्नर पहनेंगे पुलिस की वर्दी
2017 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में 10,418 किन्नर रहते हैं। जबकि किन्नरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन चैरिटी ट्रांस ऐक्शन पाकिस्तान के अनुसार देश में कम से कम पांच लाख किन्नर मौजूद हैं।
इस्लामाबाद: किन्नरों का नाम सुनते ही बहुत से लोग नाक और मुंह सिकोड़ने लगते है। किन्नरों का एक तबका भी ऐसा है जो ये मानता है कि उन्हें समाज में आज भी वो सम्मान नहीं मिल रहा है। जिसके वे हकदार है।
इसलिए उन्हें नाच गाकर अपना पेट भरना पड़ रहा है लेकिन पाकिस्तान अब इसे बदलने की कोशिश कर रहा है। ट्रांसजेंडर लोगों को अब वहां मेनस्ट्रीम में लाने की कोशिश की जा रही है।
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सिंध प्रांत के इंस्पेक्टर जनरल सैयद कलीम इमाम ने दावा किया है कि जल्द ही सिंध पुलिस में किन्नरों की भर्ती शुरू की जाएगी। कराची में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इन पर अल्लाह की मेहर है। ये हमारे ही जैसे नागरिक हैं। हमें इनके साथ खड़ा होना चाहिए।" इमाम ने बताया कि वे एक जूनियर अफसर थे जब उनका ध्यान किन्नरों के साथ भेदभाव की ओर गया। अब वे इसे बदलना चाहते हैं।
2017 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में 10,418 किन्नर रहते हैं। जबकि किन्नरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन चैरिटी ट्रांस ऐक्शन पाकिस्तान के अनुसार देश में कम से कम पांच लाख किन्नर मौजूद हैं।
2009 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा था कि किन्नरों को "थर्ड सेक्स" के रूप में पहचान पत्र दिए जाएं। फिर 2017 में पहली बार देश के पासपोर्ट में "ट्रांसजेंडर" श्रेणी को जोड़ा गया।
हालांकि देश में कुछ ट्रांसजेंडर फैशन और मीडिया की दुनिया में सिलेब्रिटी बन गए हैं लेकिन आम जिंदगी में नौकरियां मिलना अब भी इनके लिए मुश्किल होता है। ऐसे में पुलिस में किन्नरों की भर्ती को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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29 वर्षीय शहजादी राय ट्रांसजेंडर लोगों के हकों के लिए लड़ रही हैं और खुद भी एक दिन पुलिस बल का हिस्सा बनना चाहती हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स को उन्होंने बताया, "पुलिस का रवैया और शिकायतें दर्ज करने का उनका तरीका ट्रांस लोगों के हक में नहीं होता। मैं पुलिस को ट्रांस-फ्रेंडली बनाने की कोशिश करूंगी और सहकर्मियों को जागरूक करूंगी।
" पुलिस के साथ अपने तजुर्बों के बारे में राय का कहना है। "जब हम शिकायत दर्ज कराने थाने जाते हैं, तो उनका बर्ताव और उनके सवाल हमें कष्ट पहुंचाते हैं। वे हमसे मामले से जुड़े सवाल नहीं करते, बल्कि हमारे लिंग पर टिप्पणी करने लगते हैं।"
ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन जेंडर इंटरएक्टिव अलायंस के प्रोग्राम मैनेजर जेहरिश खान का कहना है कि 2009 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नतीजे अब जा कर दिखने लगे हैं।
"अगर हमें पुलिस में नौकरी मिलने लगे तो हम दिखा देंगे कि हम पुरुषों और महिलाओं की तुलना में बेहतर काम कर सकते हैं।" पुलिस में किन्नरों की भर्ती की घोषणा तो हो गई है लेकिन इसकी शुरुआत होने में अभी भी कई महीने लग सकते हैं।
सिंध पुलिस अध्यक्ष इमाम का दावा है कि किन्नरों को बाकी के पुलिसकर्मियों की ही तरह हक दिए जाएंगे और सभी काम बराबरी से बांटे जाएंगे, "हम उन्हें उनकी जगह देना चाहते हैं ताकि उन्हें मेनस्ट्रीम में ला सकें।"
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