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Turkey Ka Faisla: अमेरिका समेत कई देशों के राजदूतों को तुर्की ने देश से निकाला, जानें क्या है वजह
Turkey Ka Faisla: तुर्की के राष्ट्रपति एदोर्गेन ने घरेलू मामलों में अन्य देशों के राजदूतों की दखलंदाजी को अस्वीकार करते हुए देश से निकलने को कहा है।
Turkey Ka Faisla: तुर्की के राष्ट्रपति (Turkey President) रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान कवला (Osman Kavala) की रिहाई का समर्थन करने वाले पश्चिमी देशों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की है। राष्ट्रपति एदोर्गन ने विदेश मंत्रालय को आदेश दिया है कि वो जल्द ही उस्मान कवला का समर्थन (Osman Kavala Ka Samarthan) करने वाले देशों के 10 राजनयिकों को देश से बाहर निकालें। देश से निकाले जाने वालों की सूची में कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत शामिल हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि उस्माल कावला पर 2013 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों (Virodh Pradarshan) के लिए फाइनेंस करने का आरोप है। वहीं पिछले 4 साल से वो जेल में बंद हैं। एर्दोगन सरकार ने उन पर 2016 में हुए असफल तख्तापलट (Turkey Coup 2016) का भी आरोप लगाया है। हालांकि कवला ने इन आरोपों को सिरे से इनकार कर दिया।
ये राजदूत तुर्की के लिए अवांछित व्यक्ति माने जाएंगे
बता दें कि तुर्की (Turkey) का विदेश मंत्रालय जिन देशों के 10 राजदूतों को देश निकाला कर रहे हैं, उनको परसोना नॉन ग्राटा (Persona Non Grata) करार दिया है। जिसका अर्थ यह है कि ये राजदूत तुर्की के लिए अब अवांछित व्यक्ति माने जाएंगे। इन राजदूतों को 48 से 72 घंटे के अंदर तुर्की की सीमा से बाहर निकल जाना होगा। हालांकि आमतौर पर कोई भी देश किसी अन्य देश के राजदूत को देश निकाला नहीं देता है। जिसकी वजह से तुर्की के इस कदम को अप्रत्याशित बताया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने राजदूतों के बयान को गैर जिम्मेदाराना ठहराया
कावला का समर्थन करने वाले राजदूतों का कहना है कि इस मामले में न्यायसंगत और त्वरित समाधान किया जाए। जबकि तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इन सभी देशों के राजदूतों को तलब करते हुए उनके बयान को गैर जिम्मेदाराना करार दिया। वहीं घरेलू मामलों में दखल देने के नाम पर राजदूतों के खिलाफ यह कार्रर्वाई की गई।
किसी देश की ओर से कोई टिप्पणी नहीं
एर्दोगन की घोषणा पर अमेरिकी, जर्मन और फ्रांसीसी दूतावासों, वाइट हाउस और अमेरिकी विदेश विभाग ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। बता दें कि कवाला को पिछले साल 2013 के विरोध प्रदर्शनों से संबंधित आरोपों से बरी कर दिया गया था। लेकिन इस साल एर्दोगन की सरकार ने उस फैसले को पलटते हुए तख्तापलट के प्रयास से संबंधित एक अन्य मामला जोड़ दिया है।
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