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Bharat-Europe Economic Corridor: तुर्की ने बाजी मारी, कहा हमारे बगैर नहीं बन सकता भारत-यूरोप आर्थिक गलियारा

Bharat-Europe Economic Corridor: राष्ट्रपति एर्दोगन नाखुश हैं क्योंकि एशिया को यूरोप से जोड़ने वाले व्यापार गलियारे के निर्माण में उनके देश को नजरअंदाज कर दिया गया है। ऐसे में उन्होंने कहा है कि - तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता है।

Neel Mani Lal
Published on: 16 Sept 2023 4:00 PM IST (Updated on: 16 Sept 2023 6:10 PM IST)
Bharat-Europe Economic Corridor
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Turkish President Recep Tayyip Erdogan (Pic:Social Media)

India-Europe Economic Corridor: भारत की अध्यक्षता में जी 20 शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक था भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा। यह आर्थिक गलियारा चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का करारा जवाब है। नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान, यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और अन्य जी20 भागीदारों द्वारा गलियारे पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

तुर्की को किया नज़रंदाज़

लेकिन जी20 ग्रुप के सदस्य देशों के नेताओं में से एक, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इसका विरोध कर दिया है। राष्ट्रपति एर्दोगन नाखुश हैं क्योंकि एशिया को यूरोप से जोड़ने वाले व्यापार गलियारे के निर्माण में उनके देश को नजरअंदाज कर दिया गया है। ऐसे में उन्होंने कहा है कि - तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता है। बीते 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन में अपने साथ गए पत्रकारों से बात करते हुए एर्दोगन ने कहा : पूर्व से पश्चिम तक यातायात के लिए सबसे सुविधाजनक लाइन तुर्की से होकर गुजरती है।


एर्दोगन के अनुसार, यूएई के राष्ट्रपति ने सुझाव दिया है कि बातचीत 60 दिनों के भीतर पूरी की जाए और परियोजना की नींव तुरंत रखी जाए। शिपिंग और रेलवे लिंक सहित आर्थिक गलियारा, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे पर सहयोग पर एक ऐतिहासिक पहल होगी। इसमें भारत, यूएई, सऊदी अरब, ईयू, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। शिपिंग और रेलवे लाइनें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल से होकर गुजरेंगी, फिर ग्रीस और यूरोप तक पहुंचेंगी।


भारत संभवतः दुबई बंदरगाह के समुद्री लिंक के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात से जुड़ा होगा, और यह संयुक्त अरब अमीरात को सऊदी अरब, तुर्की, इज़राइल और यूरोप से जोड़ने वाली रेलवे लाइन का प्रारंभिक बिंदु होगा। यह परियोजना अपने वर्तमान स्वरूप में तुर्की को दरकिनार कर रही है। परियोजना का एक मुख्य उद्देश्य शिपिंग समय में 40 प्रतिशत की कटौती करना और अन्य लागतों और ईंधन के उपयोग पर पैसा बचाना है। अनुमान है कि इस महत्वाकांक्षी योजना में लगभग 17 बिलियन डालर के निवेश की आवश्यकता होगी, जिसमें 4 बिलियन डालर का वार्षिक रिटर्न और न्यूनतम 1,00,000 नौकरियों का सृजन होगा।



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Durgesh Sharma

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