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PM Boris Johnson: बोरिस जॉनसन पर घोटाला न गलती का आरोप, सिर्फ चरित्र पर संदेह

UK PM Boris Johnson: दुनिया के एक बेहद ताकतवर देश के प्रधानमंत्री को सिर्फ इसलिए पार्टी का नेता पद छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके निजी व्यवहार पर लोगों को संदेह होने लगा था। और ब्रिटिश भद्रलोक को ये कतई गवारा नहीं है।

Neel Mani Lal
Published on: 8 July 2022 9:25 AM IST
UK PM Boris Johnson
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UK PM Boris Johnson (image credit social media)

UK PM Boris Johnson: बद अच्छा बदनाम बुरा। कुछ यही कहावत ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर लागू हो गई। दुनिया के एक बेहद ताकतवर देश के प्रधानमंत्री को सिर्फ इसलिए पार्टी का नेता पद छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके निजी व्यवहार पर लोगों को संदेह होने लगा था। और ब्रिटिश भद्रलोक को ये कतई गवारा नहीं है। बोरिस जॉनसन को अपनी किसी गलत नीति या राजनीतिक मतभेदों के कारण नहीं, बल्कि बल्कि अपने चरित्र के बारे में जनता की धारणाओं के चलते जाना पड़ा। न्यूयॉर्क में जन्मे बोरिस जॉनसन कोई पेशेवर राजनेता नहीं रहे हैं। कई मायनों में उनकी तुलना डोनाल्ड ट्रम्प के साथ की जा सकती है। दोनों का निजी व्यवहार और अंदाज़ पेशेवर नेताओं से अलग रहा है और यही बात बहुत से लोगों और खेमों को पसंद नहीं आती है।

ईटन और ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़े बोरिस जॉनसन ने हमेशा अपने आपको परंपरागत राजनेताओं के वर्ग से अलग प्रदर्शित किया। एक लोक लुभावन शख्सियत, बेतरतीब हेयर स्टाइल, बेपरवाह अंदाज और स्थापित मानदंडों के प्रति अवहेलना - बोरिस ने यही अपनी छवि बनाई। "अलग हट कर" वाला अंदाज उनके समर्थकों को बहुत पसंद भी आता है। लेकिन ये कहा जा सकता है कि लोगों के लिए जॉनसन के चरित्र की खामियों को नजरअंदाज करना बहुत कठिन हो गया है। जॉनसन की नियम तोड़ने, भंग करने, झूठ बोलने की प्रवृत्ति भारी पड़ गई बस और तमाम राजनेताओं के लिए उनका बचाव करना असंभव हो गया था।

दरअसल, कई रूढ़िवादी सांसदों के साथ-साथ जनता के बड़े हिस्से का उन पर भरोसा उठ गया था। पिछले महीने रिसर्च फर्म "यू गोव" द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि 4 में से लगभग 3 ब्रितानियों ने जॉनसन को गैर भरोसेमंद के रूप में देखा। उसी फर्म के इस सप्ताह के एक सर्वे में पाया गया कि 69 फीसदी लोगों का मानना ​​है कि जॉनसन को इस्तीफा दे देना चाहिए। अंतत क्रिस पिंचर सम्बन्धी एक विवाद ने उनके लगभग तीन साल की प्रीमियरशिप को समाप्त कर दिया। ये विवाद एक कानूनविद् क्रिस पिंचर को सत्ता की सीढ़ी में बढ़ावा देने के जॉनसन के फैसले से शुरू हुआ था। जॉनसन को पता था कि पिंचर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत है लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। हालांकि बाद में पिंचर ने पार्टी पड़ से इस्तीफा दे दिया और जॉनसन ने उन्हें पार्टी से सस्पेंड भी कर दिया था।

अपने आप में, ये स्कैंडल ऐसा नहीं था कि वह प्रधानमंत्री के लिए इस्तीफे का मामला बनताह। लेकिन जॉनसन के अपने कैबिनेट के कुछ सदस्यों ने इसे जॉनसन के साथ लंबे समय से चले आ रहे पैटर्न के हिस्से के रूप में देखा। उन्हें लगा कि जॉनसन हमेशा कुछ ऐसा करते रहते हैं। पिछली घटना को ही देखें। कोरोना महामारी के दौरान, जॉनसन ने जोर देकर कहा था कि उनके कर्मचारियों ने सरकार के सभी सामाजिक दूर करने के नियमों का पालन किया है। बाद में, यह खुलासा हुआ कि उनके स्टाफ ने कई पार्टियां आयोजित की थीं। जिसमें शराब के नशे में लोग धुत हुए और केहब धमाल मचाया गया। एक तरह अधिकांश देशवासी सरकार के नियमों का पालन कर रहे थे और घरों में कैद थे वहीं जॉनसन के कर्मचारी पार्टीबाजी कर रहे थे, ये लोगों को बहुत नागवार गुजरा। जॉनसन के कैबिनेट मंत्री मीडिया में प्रधानमंत्री का बचाव करते करते थक गए। लेकिन बाद में उनको पता चला कि उन्हें ही झूठी सूचना दी गई थी।

जो किया, अपने तरीके से किया

58 वर्षीय जॉनसन ने राजनीतिक सत्ता के लिए एक अपरंपरागत रास्ता अपनाया। उन्होंने स्थानीय सरकार के माध्यम से अपने तरीके से काम नहीं किया, लेकिन एक सेलिब्रिटी पत्रकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने एक अखबार के स्तंभकार के रूप में अपना नाम बनाया और बीबीसी पर एक कॉमेडिक, करंट अफेयर्स टीवी शो हैव आई गॉट न्यूज फॉर यू में दिखाई दिए। ईमानदारी के सवालों ने उन्हें अपने पूरे करियर में परेशान किया है। द टाइम्स ऑफ लंदन ने 1988 में जॉनसन को उन गलत बयानी के लिए निकाल दिया, जिनके लिए उन्होंने अपने गॉडफादर को जिम्मेदार ठहराया था।

जॉनसन ने 2001 में संसद का चुनाव जीता। लेकिन 2004 में कंजर्वेटिव पार्टी ने उन्हें एक अफेयर के बारे में झूठ बोलने के लिए अपने नेतृत्व से बर्खास्त कर दिया। जॉनसन एक प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने अपने आपको एक जिंदादिल, मस्ती-प्रेमी व्यक्ति और चीयरलीडर के रूप में तैयार किया। वह लंदन के मेयर भी रहे और तरह तरह की बचकानी और खिलंदड़ी हरकतों से सुर्खियों में रहे। उनके कई समर्थकों ने उन्हें करिश्माई, मनोरंजक और अलग तरह का राजनीतिक शख्स पाया। लेकिन ब्रेक्सिट जैसे मुद्दों पर उनके राजनीतिक रुख और नस्लवादी बयानों ने उदारवादी, शहरी मतदाताओं को अलग-थलग कर दिया।

उन्होंने कहा कि बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाएं ब्रिटिश "लेटर बॉक्स" की तरह दिखती हैं। 2002 में एक पत्रकार के रूप में लिखते हुए, उन्होंने अफ्रीकियों को "पिकानिनीज़" (आदिम) कहा। समय के साथ, जॉनसन वह बन गये जिसे ब्रिटिश लोग मार्माइट कैरेक्टर कहते हैं। मार्माइट यानी खाने की एक ऐसी चीज़ जिसे यहाँ के लोग या तो बहुत प्यार करते हैं या बेहद घृणा करते हैं। जैसे-जैसे जॉनसन राजनीतिक सीढ़ी पर चढ़ते गए, वैसे-वैसे उनके फैसलों और झूठे बयानों का दायर बढ़ता गया। 2016 में, उन्होंने एक डबल-डेकर बस में प्रचार किया, जिसमें वादा किया गया था।

यूके ने यूरोपीय संघ को छोड़ दिया, तो स्वास्थ्य देखभाल का समर्थन करने के लिए ब्रिटेन को साप्ताहिक रूप से 400 मिलियन डॉलर से अधिक की बचत होगी। यह सच नहीं था, लेकिन कुछ मतदाताओं ने इसे ब्रेक्सिट का समर्थन करने का एक कारण बताया। ऐसे ही कुछ और भी उदाहरण हैं। बहरहाल, बोरिस जॉनसन का रंगारंग पोलिटिकल कैरियर का अंत एक स्कैंडल की वजह से हो गया। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर ब्रिटिश मूल्यों और नैतिकता के उच्च मानकों को स्थापित कर दिया है। ये बाकी दुनिया के लोगों, राजनीति और राजनीतिक वर्ग के लिए एक सबक भी है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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