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Ukraine Update: डिप्लोमेसी में फेल हो गए जेलेन्स्की, अब दुष्परिणाम भुगत रही यूक्रेन की जनता

Ukraine Update: यूक्रेन युद्ध में पुतिन सीधे तौर पर विलेन के रूप में प्रोजेक्ट किये जा रहे हैं। उनको रूस के नए ज़ार के रूप में दिखाया जा रहा है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 27 March 2022 1:50 PM IST
volodymyr zelenskyy
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जेलेन्स्की (फोटो-सोशल मीडिया) 

Ukraine Update: यूक्रेन में भयानक युद्ध के महीने भर बाद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने और नाटो देशों को रूस के साथ युद्ध में झोंकने की जिद छोड़ दी है और रूस से समझौता वार्ता करने के लिए तत्पर हुए हैं। लेकिन जेलेन्स्की को इस मुकाम तक पहुंचने में अपने देश में खासी तबाही, मारकाट और लोगों के बड़े पैमाने पर विस्थापन से गुजरना पड़ा है।

इसे साफतौर पर जेलेन्स्की की डिप्लोमेसी की विफलता ही कहा जायेगा। ज़ेलेंस्की को समझौते के इस बिंदु तक पहुंचने में यह सब समय क्यों लगा ये हैरान करने वाला सवाल है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूसियों के साथ गंभीर वार्ता शुरू करने के लिए तीन सप्ताह तक लंबा इंतजार क्यों किया?

सब उठा रहे फायदा

यूक्रेन युद्ध में पुतिन सीधे तौर पर विलेन के रूप में प्रोजेक्ट किये जा रहे हैं। उनको रूस के नए ज़ार के रूप में दिखाया जा रहा है। दूसरा पहलू ये है कि इस युद्ध के सभी प्रमुख हितधारकों के बीच अच्छा मुकाबला चल रहा है। नाटो ने अब अपनी प्रासंगिकता के लिए एक नया कारण ढूंढ लिया है और बढ़ी हुई धनराशि हासिल कर ली है।

जर्मनी में, नए चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने युद्ध के प्रति ईमानदार आपत्ति के रूप में अपने लंबे रिकॉर्ड के बाद अब सेना के लिए बजट में वृद्धि की घोषणा की है और यूक्रेन को जर्मन हथियार भेजने के लिए अधिकृत किया है। सिर्फ जर्मनी ही नहीं, दर्जनों देश यूक्रेन में हथियार और गोलाबारूद झोंके हुए हैं। युद्ध की बहती गंगा में सभी देश हाथ धो रहे हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जो अपने चुनाव प्रचार के लिए प्रचार कर रहे हैं, तुरंत "पश्चिमी एकजुटता" की गोलबंदी में शामिल हो गए हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन।अब खुद को लोकतंत्र और सभ्यता के महान रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं।

लेकिन सबसे अच्छा शो राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का है, जो एक टेलीविज़न-अभिनेता से राजनेता बने हैं। उन्हें अब पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका की संसदों से खूब तालियां मिल रहीं हैं। युद्ध के इन चीयरलीडर्स के पीछे सबके अपने अपने हित हैं।

लेकिन युद्ध की वास्तविक कीमत यूक्रेन के नागरिकों द्वारा वहन की जा रही है। उनकी सुरक्षा और कल्याण देश के निर्वाचित राष्ट्रपति की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए, जिन्हें युद्ध से पहले के अंतिम महीनों के दौरान अपने विकल्पों, लागतों और लाभों की गणना करनी चाहिए थी, क्योंकि विशाल रूसी सेना उनके दरवाजे पर डेरा डाले हुए थी। यूक्रेनी नेतृत्व की ओर से शासन और कूटनीति की एक बड़ी विफलता हुई है, जिसके लिए उन्होंने कोई जिम्मेदारी नहीं ली है और यह हैरान करने वाला है।



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Vidushi Mishra

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