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इजरायल के साथ खड़ा हुआ भारत! संयुक्त राष्ट्र में उठाया ये बड़ा कदम
UNHRC में फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जारी जंग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया।
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की संस्था मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जारी जंग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव के अनुसार, यूएन माननाविधाकर परिषद फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास और इजरायल के बीच 11 दिनों तक जारी भीषण हिंसक संघर्ष की जांच 'युद्ध अपराध' के तौर पर होगी। लेकिन इस प्रस्ताव का इजरायल द्वारा जोरदार विरोध किया है। ऐसे में भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन से शांति की अपील की और जारी इस प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया से बाहर रहा।
इस बीच युद्ध अपराध की जांच की मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र की संस्था मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत ने कोई हिस्सा नहीं लिया। बल्कि भारत उन 13 देशों में शामिल हैं जिन्होंने इस मामले पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। ऐसे में चौबीस देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि नौ देशों ने इजरायल का बराबरी से साथ दिया। वहीं बृहस्पतिवार को भारत ने संयुक्त राष्ट्र की संस्था मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में अपने पुराने रुख को फिर से दोहराया।
फिलहाल भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन में सीजफायर का स्वागत किया। साथ ही जारी बयान में भारत ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है। ऐसे में भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद का पूर्वी यरुशलम और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों की स्थिति पर बीते दो हफ्तों से फोकस रहा है।
इस परिषद की इन बैठकों के दौरान, भारत ने पुराने शहर यरुशलम में हिंसा, विशेष रूप से रमजान के पवित्र महीने के दौरान हरम अल शरीफ/ टेम्पल माउंट और पूर्वी यरुशलम में शेख जर्राह से संभावित बेदखली पर अपनी गहन चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हमने यरुशलम में ऐतिहासिक यथास्थिति बनाए रखने पर ज्यादा बल दिया है।
ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत टीएस त्रिरुमूर्ति ने कहा, 'हमारा मानना है कि दो-राष्ट्र की नीति के जरिये ही इसका समाधान किया जा सकता है। इन मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सीधी और सार्थक बातचीत के माध्यम से शांति स्थापित की जा सकती है। केवल दो राष्ट्र समाधान के जरिये इस मसले को सुलझाया जा सकता है जिसके इजरायल और फिलिस्तीन के लोग हकदार हैं।'
हालांकि भारत के हालिया बयानों को लेकर कहा जा रहा है कि उसका झुकाव अब इजरायल की तरफ बढ़ रहा है. मतदान में हिस्सा न लेने को लेकर भी दोनों पक्षों से संतुलन बनाए रखने की नीति बताई जा रही है. जबकि पहले भारत फिलिस्तीन के साथ खुलकर खड़े रहा है.
जबकि बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में पारित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। जिसपर उन्होंने कहा, 'यूएन मानवाधिकार परिषद में लिया गया शर्मनाक फैसला एक और उदाहरण है कि संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था कैसे इजरायल विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है। एक बार फिर से ऑटोमेटिक बहुमत वाली इस काउंसिल ने जनसंहार करने वाले आतंकवादी संगठन, जिसने जानबूझकर इजरायली नागरिकों को निशाना बनाया और गाजा के लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया, उस (हमास) के अपराधों को छिपा दिया गया है।'
आगे नेतन्याहू ने कहा, 'हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और हमने हजारों रॉकेट हमले से अपने लोगों को सुरक्षित करने के लिए जवाबी कार्रवाई की थी। इसे लेकर हमें 'दोषी' करार दिया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का मजाक है। यह (प्रस्ताव) दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए प्रोत्साहन देने वाला साबित होगा।'
वहीं इजरायल के विदेश मंत्रालय ने यूएन के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमास को लकेर दोहरा रवैया दिखा रहा है। यूएनएचआरसी के प्रस्ताव को लेकर इजराइल के विदेश मंत्रालय ने सीधा निशाना साधते हुए बयान जारी किया है।