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UNSC Meeting: दारफुर अपराधों पर विशेष न्यायालय सही कदम, सूडान संकट के समाधान पर भारत आगे बढ़ा

UNSC Meeting: सूडान पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा यूएनएससी ब्रीफिंग में यूएनजीए के लिए भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा है कि पीएम अब्दुल्ला हमदोक का इस्तीफा संक्रमण प्रक्रिया की अंतर्निहित चुनौतियों को दर्शाता है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 18 Jan 2022 8:40 AM IST
UNSC Meeting: दारफुर अपराधों पर विशेष न्यायालय सही कदम, सूडान संकट के समाधान पर भारत आगे बढ़ा
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प्रतीक माथुर (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

UNSC Meeting: सूडान पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा यूएनएससी ब्रीफिंग (UNSC Briefing) में यूएनजीए के लिए भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर प्रतीक माथुर (Pratik Mathur) ने कहा है कि पीएम अब्दुल्ला हमदोक (PM Abdalla Hamdok) का इस्तीफा संक्रमण प्रक्रिया की अंतर्निहित चुनौतियों को दर्शाता है। सुरक्षा परिषद में दारफुर (Darfur) पर अभियोजक ने सूडान सरकार (Sudan Government) से अपराध के दृश्यों, गवाहों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) को सुरक्षित पहुंच प्रदान करने का आग्रह किया।

इस दौरान अभियोजकों में करीम ए.ए खान, मैक्सिको के जुआन रेमन डे ला फुंटे रेमिरेज, ब्राजील के रोनाल्डो कॉस्टा फिल्हो, यूनाइटेड अरब अमीरात के अमीराह ओबैद मोहम्मद ओबैद अल्हेफीती, रशियन फेडरेशन के गेन्नाडी वी कुजमिन, आयरलैंड के ब्रिआन पैट्रिक फ्लीन, यूनाइटेड स्टेट्स के रिचर्ड एम मिल्स जूनियर, अलबानिया के फेरिट होक्सा, घाना के हेराल्ड अडलाइ अजिम, यूनाइडेट किंगडम के चनाका लिआम विक्रमसिंघे, फ्रांस के ब्राइस फोडा, गेबन के लिली स्टेला न्येमन नडोंग, चीन के गेंग सुहांग, केन्या के कैथरीन न्याबोक न्याको, नार्वे के ट्रिन स्कारबोवेक और सूडान के मोहम्मद इब्राहिम मोहम्मद अलबाही ने अपने विचार रखे।

प्रतीक माथुर ने कही यह बात

भारत के प्रतीक माथुर ने कहा कि उनका देश रोम संविधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है और न्यायालय का सदस्य नहीं है, सूडान के प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक का इस्तीफा संक्रमण प्रक्रिया के लिए अंतर्निहित चुनौतियों को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा सुगम अंतर-सूडानी राजनीतिक प्रक्रिया को सूडानी-नेतृत्व वाली और रचनात्मक दृष्टिकोण से निर्देशित होने की आवश्यकता है।

विशेष न्यायालय को "सही दिशा में एक कदम"

उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में हस्ताक्षरित संवैधानिक घोषणा को इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए, उन्होंने संक्रमण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य और नागरिक नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह देखते हुए कि सूडान की संक्रमणकालीन सरकार ने मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेही सहित संक्रमणकालीन न्याय से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए तत्परता दिखाई, उन्होंने जुबा शांति समझौते के लिए पार्टियों द्वारा सहमत दारफुर अपराधों (Darfur Crimes) के लिए विशेष न्यायालय को "सही दिशा में एक कदम" कहा।

न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आएंगे ये मामले

इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में 2002 से नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों से संबंधित मामले शामिल होंगे। माथुर ने यह आशा व्यक्त करते हुए कि अभियोजक आने वाले महीनों में सूडान की अपनी अगली यात्रा के दौरान दारफुर का दौरा करने में सक्षम होंगे, उन्होंने सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण के साथ देश अतीत के मुद्दों के निवारण, अंतर-सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने और सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम बनाता है।

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