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चीन-अमेरिका आमने सामनेः अलास्का में भारत के जिक्र से भड़क गया ड्रैगन
अलास्का में हुई बैठक में अमेरिका के अहम साझेदार के रूप में भारत का जिक्र चीन के गले नहीं उतरा। इस बैठक में चीन के शीर्ष राजदूत यांग जेएची और चीन के विदेश मंत्री वांग यी मौजूद थे।
नई दिल्ली: अमेरिका में बाइडेन की सरकार बनने के बाद भारत के साथ रिश्ते को लेकर लोगों में मन ऊहापोह की स्थिति थी। हालांकि, बाइडेन सरकार भी ट्रंप की तरह भारत के साथ रिश्ते को पूरी अहमियत दे रही है। यहां तक कि बाइडेन की सरकार आने के बाद अलास्का में 19 मार्च को अमेरिका-चीन की पहली बैठक हुई तो उसमें भी भारत का जिक्र किया गया।
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चीन के गले नहीं उतरा भारत का जिक्र
खबरों के अनुसार अलास्का में हुई बैठक में अमेरिका के अहम साझेदार के रूप में भारत का जिक्र चीन के गले नहीं उतरा। इस बैठक में चीन के शीर्ष राजदूत यांग जेएची और चीन के विदेश मंत्री वांग यी मौजूद थे। अलास्का में हुई बैठक में अमेरिकी और चीनी प्रतिनिधि सार्वजनिक रूप से भिड़ गए थे और एक-दूसरे को लेकर तीखी टिप्पणियां भी की थीं।
चीन विरोधी क्वॉड समिट !
बता दें कि अलास्का में अमेरिका-चीन की बैठक से एक हफ्ते पहले ही 12 मार्च को अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने क्वॉड समिट में भी हिस्सा लिया था। इस क्वॉड समिट को चीन विरोधी समूह के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि क्वॉड में शामिल सभी देशों के साथ चीन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं।
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चीनी सेना की तीखी प्रतिक्रिया
क्वॉड की बैठक को लेकर बीते दिन चीन की सेना ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। चीनी सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि अमेरिका के नेतृत्व में हुई बैठक शीतयुद्ध की मानसिकता का प्रतीक है और छोटे-छोटे समूहों के बीच लड़ाई को बढ़ावा देता है। बयान में कहा गया कि अमेरिका भू-रणनीतिक खेल खेलने और चीन की कथित चुनौती का इस्तेमाल सीमित समूह बनाने में कर रहा है। इससे क्षेत्र में देशों को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाया जा रहा है।