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रुस पर अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरा दौर शुरू, भारत पर यूएस नरम क्यों?
नई दिल्ली: रुस पर अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरा दौर शुरू हो गया है। इसी बीच भारत और रूस ने भारतीय नौसेना के लिए गोवा में दो मिसाइल युद्धपोतों के निर्माण के लिहाज से 50 लाख डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किये और अमेरिका की पाबंदियों की चेतावनी के बावजूद उच्चस्तरीय रक्षा सहयोग जारी रखने के स्पष्ट संकेत भी दिये है।
भारत पर अमेरिका नरम क्यों?
रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने पर अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भारत के साथ नजदीकी रिश्ते कायम करना चाहता है।
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यह सौदा अमेरिका के लिए झटका
भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता अमेरिका है जबकि इस मामले में पहले नंबर पर रूस आता है। यह नया समझौता रूस के लिए बड़ी जीत और अमेरिका के लिए झटका है।
भारत ने अमेरिका को दिया संदेश
भारत-रूस डील पर अमेरिका के लिए संदेश भी छिपा है। भारत ने जता दिया है कि उसके लिए हर साथी अहम है। वो किसी एक देश के कारण अपने किसी सहयोगी से रिश्ते नहीं बिगाड़ेगा।
तलवार श्रेणी के दो युद्धपोतों के निर्माण के लिए करार
अधिकारियों ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की पीएसयू गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और रूस की सरकारी रक्षा निर्माता रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच तलवार श्रेणी के दो युद्धपोतों के निर्माण के लिए करार किया गया। यह समझौता रक्षा सहयोग के लिए सरकार से सरकार के बीच रूपरेखा के तहत किया गया। जहाजों में अत्याधुनिक मिसाइलें और अन्य शस्त्र प्रणालियां लगी होंगी।
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जीएसएल के सीएमडी शेखर मित्तल के मुताबिक, 'हमने गोवा में दो युद्धपोतों के निर्माण के लिए रूस के साथ 50 करोड़ डॉलर के समझौते को अंतिम रूप दिया है।' उन्होंने बताया कि युद्धपोतों का निर्माण 2020 में शुरू होगा और पहला जहाज 2026 में जलावतरण के लिए तैयार होगा, वहीं दूसरा 2027 तक तैयार हो जायेगा।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, ये दोनों युद्धपोत स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। बताया जा रहा है कि स्टील्थ एयरक्राफ्ट की तरह ये दोनों युद्धपोत सोनार और रेडार की पकड़ में नहीं आएंगे। स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारण ये जंगी जहाज दुश्मन के इलाके में अपने मिशन आसानी से पूरे कर सकेंगे।
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