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US Bringing NOPEC: ओपेक की दादागीरी खत्म करने के लिए अमेरिका ला रहा "नोपेक"
US Bringing NOPEC: मुद्रास्फीति के दौर में ओपेक प्लस द्वारा क्रूड ऑयल के दाम बढ़ाने की पेशबंदी से अमेरिका काफी नाराज है, खासकर सऊदी अरब से।
Mumbai: तेल उत्पादक देशों के गुट ओपेक प्लस (OPEC Plus a group of oil producing) ने नवंबर से प्रति दिन 2 मिलियन बैरल तेल उत्पादन घटाने का फैसला किया है। यह कदम कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ाने के इरादे से उठाया गया है। दरअसल, क्रूड ऑयल के दाम (crude oil price) जून की शुरुआत में 120 डॉलर थे और अब गिरकर लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गये हैं। मुद्रास्फीति के दौर में ओपेक प्लस द्वारा क्रूड ऑयल (crude oil price) के दाम बढ़ाने की पेशबंदी से अमेरिका काफी नाराज है, खासकर सऊदी अरब से। अमेरिका ने कहा है कि तेल के दाम इस तरह कन्ट्रोल करने के तंत्र को वह काबू में लाएगा। ओपेक प्लस में रूस भी शामिल है।
लंदन में गुरुवार सुबह सौदों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 93.55 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो लगभग 0.2 फीसदी ज्यादा था। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट फ्यूचर्स $87.81 पर रहा, जो लगभग 0.1 फीसदी अधिक है।
अमेरिका ने बार-बार कहा ओपेक तेल का प्रोडक्शन न घटाए
अमेरिका ने बार-बार ओपेक प्लस का आह्वान किया था कि वह प्रोडक्शन न घटाए। अमेरिका के बिडेन प्रशासन को अगले महीने होने वाले मध्यावधि चुनाव की चिंता है। बिडेन चाहते हैं कि चुनाव से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने तथा ईंधन की कीमतों में कमी लाने के लिए तेल प्रोडक्शन और अधिक बढ़ाया जाए।
एक बयान में, व्हाइट हाउस ने कहा है कि प्रेसीडेंट जो बिडेन "ओपेक प्लस द्वारा उत्पादन कोटा में कटौती के अदूरदर्शी निर्णय से निराश हैं, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के निरंतर नकारात्मक प्रभाव से जूझ रही है।" इसमें कहा गया है कि बिडेन ने ऊर्जा विभाग को अगले महीने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व से और 10 मिलियन बैरल जारी करने का निर्देश दिया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि, "बिडेन प्रशासन ऊर्जा की कीमतों पर ओपेक के नियंत्रण को कम करने के लिए कांग्रेस के साथ परामर्श करेगा।"
"नोपेक" की कवायद
अमेरिकी संसद में "नो ऑयल प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्टिंग कार्टेल, या नोपेक बिल लंबित है। ये बिल अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों को तेल के दामों में कृत्रिम बढ़ोतरी से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ओपेक देशों ने नोपेक की आलोचना की
इस बिल को मई की शुरुआत में एक सीनेट समिति ने पारित किया था, लेकिन अभी तक कानून पर हस्ताक्षर नहीं किया गया है। इस कानून के तहत ओपेक देशों और भागीदारों को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ाने के लिए आपूर्ति में कटौती के कदम पर मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। इस बिल को पूर्ण सीनेट और सदन द्वारा पारित करने की आवश्यकता होगी। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होंगे। तब जाकर ये कानून प्रभावी रूप लेगा। ओपेक देशों के शीर्ष मंत्रियों ने नोपेक बिल की आलोचना करते हुए चेतावनी दी थी कि अमेरिकी कानून ऊर्जा बाजारों में अराजकता फैला देगा।