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US Election 2024 : अमेरिका चुनाव - सबसे अलग, सबसे पेचीदा, जानिए पूरा सिस्टम

US Election 2024 : आम चुनावों में अमेरिका के हर राज्य के लोग एक राष्ट्रपति और एक उपराष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं। उम्मीदवारों के नाम चुनाव मतपत्र पर लिखे होते हैं।

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Newstrack Network
Published on: 5 Nov 2024 10:15 PM IST
US Election 2024 : अमेरिका चुनाव - सबसे अलग, सबसे पेचीदा, जानिए पूरा सिस्टम
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US Election 2024 : दुनिया अमेरिका के इतिहास का सबसे हाई वोल्टेज चुनाव देख रही है। डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला है, नतीजे कुछ भी हो सकते हैं। अमेरिका में चुनाव का सिस्टम भी काफी पेचीदा है जिसमें सीधे सीधे सिर्फ प्रेसिडेंट का चुनाव नहीं होता।

क्या है सिस्टम?

- आम चुनावों में अमेरिका के हर राज्य के लोग एक राष्ट्रपति और एक उपराष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं। उम्मीदवारों के नाम चुनाव मतपत्र पर लिखे होते हैं। छोटे राजनीतिक दल और स्वतंत्र उम्मीदवार अगर पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं तो वे राज्य-दर-राज्य आधार पर उनके नाम मतपत्र पर हो सकते हैं।

- जब लोग अपना वोट डालते हैं, तो वे वास्तव में लोगों के एक समूह के लिए वोट कर रहे होते हैं जिन्हें ‘इलेक्टर’ कहा जाता है। किसी राज्य में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के पास ‘इलेक्टर’ का अपना ग्रुप होता है जिसे स्लेट कहा जाता है। जब कोई मतदाता राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट करता है तो वह वास्तव में अपने उम्मीदवार के पसंदीदा ‘इलेक्टर’ के लिए वोट कर रहा होता है।

इलेक्टोरल कॉलेज

- अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे नागरिकों द्वारा नहीं किया जाता है। इसके बजाय, उन्हें इलेक्टोरल कॉलेज नामक प्रक्रिया के माध्यम से "इलेक्टर्स" द्वारा चुना जाता है।

- इलेक्टोरल कॉलेज एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हर राज्य के इलेक्टर्स या प्रतिनिधि अपना वोट डालते हैं और यह तय करते हैं कि राष्ट्रपति कौन होगा। हर राज्य को उसकी जनसंख्या के आकार के आधार पर इलेक्टर्स की संख्या दी जाती है। प्रत्येक राज्य को उतने ही इलेक्टर मिलते हैं जितने उसके पास कांग्रेस (हाउस और सीनेट) के सदस्य हैं। प्रत्येक राज्य की राजनीतिक पार्टियाँ संभावित इलेक्टर की अपनी सूची चुनती हैं।

- आम चुनाव से पहले अमेरिका के सभी राज्य इलेक्टर्स की सूची चुनते हैं। मतदाता मतपत्र या अन्य माध्यमों से मतदान करते हैं। इसमें पोपुलर वोट जीतने वाला उम्मीदवार यह तय करता है कि इलेक्टोरल कॉलेज में राष्ट्रपति के लिए कौन से इलेक्टर्स रिपब्लिकन, डेमोक्रेट या कोई तीसरी पार्टी के लिए वोट डालेंगे।

- कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। हर राज्य को कांग्रेस में उसके प्रतिनिधित्व के आधार पर एक निश्चित संख्या में इलेक्टर्स मिलते हैं। प्रत्येक इलेक्टर आम चुनाव के बाद एक वोट डालता है, और वह राष्ट्रपति उम्मीदवार जी टी जाता है जिसे आधे से ज्यादा यानी 270 वोट मिलते हैं।

- यही वजह है कि नवंबर वाले आम चुनाव यह नहीं बताते कि वास्तव में कौन जीतने वाला है। यही कारण है कि कई बार ऐसा होता है कि कोई उम्मीदवार राष्ट्रपति पद (इलेक्टोरल वोट) जीत जाता है, लेकिन लोकप्रिय वोट (आम चुनाव के दौरान लोगों द्वारा वोट) नहीं जीत पाता।

हर राज्य के अलग वोट

- अमेरिका के इलेक्टर कालेज में हर राज्य के एक निश्चित संख्या में वोट होते हैं। सो राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी के लिए राज्यों को जीतना सबसे महत्वपूर्ण होता है। जब तक सभी 538 इलेक्टोरल कालेज वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती तब तक विजेता का नाम घोषित नहीं किया जाता है।

अलग-अलग वैल्यू

- अमेरिका में हर राज्य में इलेक्टोरल वोट की संख्या अलग अलग होती है। जिन राज्यों में कम जनसंख्या है वहां एक लाख वोटों पर एक एलेक्टर हो सकता है लेकिन कहीं दस लाख पर एक एलेक्टर मुमकिन है। सो इसका मतलब ये है कि प्रेसिडेंट चुनने में हर नागरिक का वोट समान वैल्यू नहीं रखता है।

पोस्टल बैलट का व्यापक इस्तेमाल

अमेरिका में पोस्टल बैलट का चलन है जिसमें लोग डाक के जरिये अपना मतदान करते हैं। ये व्यवस्था पिछली बार यानी 2020 में बड़े पैमाने पर लागू की गयी थी और डेमोक्रेट्स को पोस्टल बैलट से काफी समर्थन मिलता है। वहीँ डोनाल्ड ट्रम्प को पोस्टल बैलट पर भरोसा नहीं है उन्होंने पिछली बार भी कहा था कि पोस्टल बैलट से धांधली की आशंका बहुत बढ़ जायेगी। लेकिन डेमोक्रेट्स इसकी मांग पर अड़े रहे। चूँकि अमेरिका में राज्यों को बहुत ऑटोनोमी मिली हुई है सो राज्यों की ही चली और पोस्टल बैलट का इस्तेमाल किया गया।

अब्सेंटी बैलट

अमेरिका में हर राज्य के नागरिक अपने सीनेटर चुनते हैं। अगर एक राज्य का नागरिक किसी अन्य राज्य में है तो वो अपने मूल राज्य के लिए वोटिंग कर सकता है। इस सिस्टम को अब्सेंटी वोटिंग कहा जाता है। पिछली बार ऐसे मतदान का प्रतिशत बहुत अधिक रहा। ट्रम्प का आरोप था कि मृत लोगों तक के वोट डाले गए।

पहचान पत्र

अमेरिका ऐसा देश है जहाँ लोगों को वोटर आईडी नहीं दिया जाता। चुनाव आने पर लोग अपना नाम रजिस्टर करते हैं और वोट डाल देते हैं। असल में अमेरिका का चुनाव पूरी तरह विश्वास और जुबान पर होता आया है। माना जाता है कि बड़ी संख्या में उन लोगों ने अपना नाम रजिस्टर करवा रखा है जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं यानी अमेरिका के नागरिक ही नहीं हैं।

अर्ली वोटिंग

अर्ली वोटिंग या प्रारंभिक मतदान अमेरिकी चुनावों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अमेरिकियों को चुनाव वाले दिन से पहले अपना वोट डालने की अनुमति देता है। यह विकल्प मतदान को अधिक सुविधाजनक बनाता है और अधिक लोगों को भाग लेने में मदद करता है। प्रारंभिक मतदान प्रत्येक राज्य में अलग-अलग तरीके से काम करता है। अधिकांश राज्य लोगों को चुनाव दिवस से पहले मतदान केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से मतदान करने की अनुमति देते हैं। कुछ राज्य पोस्टल वोटिंग की सुविधा भी देते हैं, जहाँ मतदाता डाक से अपना मतपत्र प्राप्त करते हैं और समय सीमा से पहले उसे वापस भेज देते हैं।

समय से पहले मतदान करने से उन लोगों को सुविधा हो जाती है जिन्हें काम, यात्रा, स्वास्थ्य या अन्य मुद्दों के कारण चुनाव के दिन मतदान करने में परेशानी हो सकती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की आवाज़ सुनी जा सके।



Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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