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US President Joe Biden Policy: बिडेन ने ट्रम्प के ढेरों फैसले पलटे पर अफगानिस्तान की नीति ज्यों कि त्यों रखी
US President Joe Biden Policy: अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने इस साल जनवरी में पदभार संभालते ही डोनाल्ड ट्रम्प के ढेरों फैसलों और नीतियों को पलट दिया था, चाहे वो पेरिस समझौता या फिर WHO की सदस्यता।
US President Joe Biden: अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) ने इस साल जनवरी में पदभार संभालते ही डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के ढेरों फैसलों और नीतियों को पलट दिया था चाहे वह मेक्सिको सीमा (Mexico Border) पर दीवार बनाने का मसला हो, इमीग्रेशन नीति (Immigration Policy), पेरिस समझौता (Paris Agreement) हो या विश्व स्वास्थ्य संगठन की सदस्यता (World Health Organization Membership) का, सब कुछ बिडेन ने बदल दिया। लेकिन हैरत की बात है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने जो विदेश नीति (Donald Trump Ki Videsh Niti) अपनाई थी, उसे बिडेन ने ज्यों का त्यों बनाये रखा है। चीन (China), नॉर्थ कोरिया (North Korea), अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान (Pakistan), रूस (Russia) सबके बारे में ट्रम्प की जो नीतियां थीं, वही चलती जा रही हैं।
यही नहीं, डोनाल्ड ट्रम्प का पूरा फोकस 'अमेरिका फर्स्ट' यानी 'सबसे पहले अपना देश' पर रहता है। उनका कहना रहा है कि हम पहले अमेरिका और अमेरीकियों के बारे में सोचेंगे, उसके बाद ही दूसरे देशों के बारे में सोचा जाएगा। ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट की नीति (America First Policy) को बिडेन ने और भी मजबूती से आगे बढ़ाया है जो अफगानिस्तान के घटनाक्रम से साफ है। इसके अलावा कोरोना से लड़ाई के मसले पर भी बिडेन का जोर पूरी तरह अमेरिका फर्स्ट पर रहा है।
ट्रम्प ने रखी थी अफगानिस्तान से वापसी की नींव
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी (US Military Withdrawal from Afghanistan) की नींव डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान रखी गयी थी। क़तर (Qatar) की मध्यस्थता में तालिबानके नेताओं (Taliban Leaders) से अमेरिका की बातचीत हुई और सेना की वापसी का प्रोग्राम तय किया गया। बदले में तालिबान से ये वादा कराया गया कि वह अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा, अल कायदा (Al-Qaeda) को वापस लौटने नहीं देगा, अफगानिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान किया जाएगा वगैरह। ये सब तय होने के बाद ट्रम्प ने घोषणा की थी कि अमेरिकी सेनाओं की पूर्ण वापसी कर दी जायेगी।
जब जो बिडेन प्रेसिडेंट बने तो उन्होंने न सिर्फ अफगानिस्तान नीति (Afghanistan Policy) को बनाये रखा बल्कि सेना की वापसी का काम और भी तेज करा दिया। अब जबकि अफगानिस्तान में अफरातफरी मची हुई है और अमेरिका पर अफगान लोगों को मझधार में छोड़ने के आरोप लग रहे हैं तब बिडेन का कहना है कि ये सब ट्रम्प के फैसले की वजह से हुआ है और ट्रम्प ने तालिबान से ऐसा करार किया हुआ कि उनके हाथ बंधे हुए हैं।
ट्रम्प ने बिडेन को लताड़ा
लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प का सीधा आरोप है कि उन्होंने अमेरिका सेनाओं की वापसी और उसके बाद का उन्होंने जो प्लान बनाया था, उसे अपनाया ही नहीं गया। उन्होंने कहा कि जो बिडेन की कोई प्लानिंग ही नहीं थी और वे बुरी तरह फेल रहे हैं। ट्रम्प ने कहा कि बिडेन तो तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तालिबान न तो अमेरिका का सम्मान कर रहा है और न ही डर रहा है। कितने शर्म की बात कि अब तालिबान काबुल में अमेरिकी दूतावास से हमारा झंडा हटाकर अपना झंडा फहराएगा। यह मौजूदा सरकार की कमजोरी, अक्षमता और पूरी रणनीति का असफल होना है।
ट्रंप ने कहा कि बिडेन की विदेश नीति (Joe Biden Foreign Policy) हमेशा अफगानिस्तान सहित अन्य मुद्दों पर पूरी तरह फेल रही है। अब यह हर कोई जानता है कि बिडेन अत्यधिक दबाव नहीं झेल सकते हैं। बराक ओबामा कार्यकाल के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स भी यही बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिडेन प्रशासन हमारी अफगानिस्तान पर बनाई गई योजना पर अमल करने के बजाय वहां से भाग लिया। हमने ऐसी योजना बनाई थी, जिसमें हमारे लोग, संपत्ति और दूतावास पूरी तरह सुरक्षित रहते। हमने अपनी वापसी की ऐसी योजना बनाई थी, जिसमें आईएसआईएस जैसे संगठन भी कभी वापस नहीं लौटते।
बिडेन ने कहा, वापसी का फैसला सही
प्रेसिडेंट बिडेन का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना वापस लाने का फैसला सही था। अफगान सेना व नेताओं ने ही बिना लड़े हथियार डाल दिए। अशरफ गनी बिना लड़े ही देश छोड़कर भाग गए। उन्होंने कहा कि बेशक अफगानिस्तान के हालात विकट हैं, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अशरफ गनी हैं। वहां की बदहाली के लिए वे ही जिम्मेदार हैं और दुनिया को उनसे सवाल पूछने चाहिए। अफगानिस्तान के नेता वहां के लोगों के हित के लिए एकजुट होने में विफल रहे। वह अपने देश के भविष्य के लिए समझौता नहीं कर पाए।
बिडेन ने कहा कि हमारे प्रतिद्वंद्वी चीन और रूस चाहते थे कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपने करोड़ों डॉलर बर्बाद करे। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अफगानिस्तान का विवाद अमेरिका के हित से जुड़ा हुआ नहीं है। हमने काफी सोच-विचारकर सेना की वापसी का फैसला लिया था। हमने अल कायदा का सफाया किया। हमारा मिशन राष्ट्र निर्माण का नहीं था। डोनाल्ड ट्रंप के शासन में 15 हजार सैनिक अफगानिस्तान में थे और हमारे वक्त 2000 सैनिक अफगानिस्तान में रहे।