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वेनेजुएला में 1 लाख का मतलब होगा एक

raghvendra
Published on: 28 July 2018 7:03 AM GMT
वेनेजुएला में 1 लाख का मतलब होगा एक
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वेनेजुएला: दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला की हांफती हुई अर्थव्यवस्था अब आईसीयू में जा चुकी है। सरकार ने फैसला किया है कि करेंसी से 5 शून्य हटा दिए जाएंगे। इसका मतलब 1 लाख बोलिवर (देश की करेंसी) की कीमत 1 बोलिवर के बराबर हो जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि 2018 के अंत तक वेनेजुएला में महंगाई दर 10 लाख प्रतिशत तक हो जाएगी। इस भविष्यवाणी के बाद ही राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने ऐलान है किया कि देश की बोलिवर मुद्रा में 1 लाख कीमत वाले नोट से पांच शून्य को हटाया जाएगा। वेनेजुएला में महंगाई का यह आलम है कि सरकार को करेंसी की फेसवैल्यू (नोट पर छपा अंक) घटाने का फैसला करना पड़ा है।

इससे पहले सरकार की कोशिश थी कि 3 शून्य वाले नोटों से शून्य हटाए जाएं (1,000, 2,000 और 5,000), लेकिन आईएमएफ की भविष्यवाणी ने उसे बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया। नए नोट 20 अगस्त, 2018 से मिलने शुरू हो जाएंगे। आईएमएफ का अनुमान है कि वेनेजुएला की हालत पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी और हाल के दशकों में जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था जैसी है।

2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत घटने के बाद चरमराई व्यवस्था से वेनेजुएला समेत कई देश प्रभावित हैं। वेनेजुएला के कुल निर्यात में 96 फीसदी हिस्सेदारी अकेले तेल की है। तेल की गिरती कीमतों की वजह से वहां की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। वित्तीय संकट की वजह से सरकार लगातार नोट छापती रही जिससे हाइपर मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो गई और वहां की मुद्रा की कीमत लगातार घटती रही।

वेनेजुएला में अप्रैल महीने में महंगाई 234 प्रतिशत की नई ऊंचाई पर पहुंच गई थी। इसका मतलब है कि वहां हर साढ़े सतरहवें दिन कीमतें दोगुनी हो रही हैं। आज वेनेजुएला में न्यूनतम मजदूरी 1 अमेरिकी डॉलर प्रति माह के करीब है। मई 2018 में 13 लाख के न्यूनतम मासिक वेतन से सिर्फ दो लीटर दूध, चार कैन ट्यूना मछली और एक ब्रेड मिल रहा था। जून 2018 में सालाना महंगाई दर 46,000 फीसदी तक आ गई।

इसके असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वेनेजुएला में एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को अपना पुराना जूता मरम्मत करवाने के लिए चार महीने की सैलरी के बराबर 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) देने पड़े। नाई बाल काटने के एवज में अंडे और केले ले रहे हैं। कैब सर्विस लेने के लिए सिगरेट का डब्बा देना पड़ रहा है। रेस्त्रां खाना खिलाने के बदले पेपर नैपकिन ले रहा है। अनाज, दूध, दवाइयों और बिजली का घोर अभाव है। बेरोजगारी बढऩे के अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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