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वेनेजुएला के शरणार्थियों का बढ़ता संकट

seema
Published on: 31 Aug 2018 5:26 PM IST
वेनेजुएला के शरणार्थियों का बढ़ता संकट
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वेनेजुएला के शरणार्थियों का बढ़ता संकट

कराकस : आर्थिक तौर पर तबाह वेनेजुएला एक भयंकर शरणार्थी संकट की ओर बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की माइग्रेशन एजेंसी का कहना है कि वेनेजुएला से पड़ोसी देशों की ओर पलायन कर रहे लोगों के सामने पेरू और इक्वाडोर ने अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं जबकि ब्राजील पहुंचे वेनेजुएला के लोगों को भगाया जा रहा है। पहले २०१४ से अब तक २३ लाख लोग वेनेजुएला से पलायन कर चुके हैं। २०१७ से इस साल जून तक करीब पांच लाख लोग पेरू जा चुके हैं। वेनेजुएला और कोलम्बिया को जोडऩे वाले साइमन बोलीवर इंटरनेशनल पुल से ही रोजाना दसियों हजारों लोग आते-जाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग कोलम्बिया से दवाएं और भोजन सामग्री खरीदने ही जाते हैं। लेकिन कोलंबिया में जा कर बसने की कोशिश में भी हजारों लोग रोजाना सीमा पर एïकत्र होते हैं।

वेनेजुएला सीमा पार करने वालों में से ज्यादातर के पास कोई दस्तावेज नहीं होता। इसकी वजह है कि वेनेजुएला को ध्वस्त व्यवस्था में पासपोर्ट पाने में ही महीनों लग जाते हैं। वेनेजुएला में पासपोर्ट बनवाने के लिए एक हजार डॉलर तक की घूस देनी पड़ती है। लोगों का कहना है कि पासपोर्ट का काम पूरी तरह माफिया के कब्जे में है।

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ब्राजील में हिंसा

शरणार्थियों के संकट से जूझ रहे ब्राजील में अब स्थानीय लोग हिंसा पर उतर आए हैं क्योंकि अपने देश में वेनेजुएला की बढ़ती आबादी देखकर उनमें गुस्सा है। सरकार और प्रशासन की चुप्पी ने उनके क्रोध को और हवा दी है।

पिछले दिनों ब्राजील के पकाराएमा शहर में वेनेजुएला से आए शरणार्थियों के टेंट और उनके समान को आग के हवाले कर दिया गया। शरणार्थियों को धमकी दी गई कि वे अपने देश वापस चले जाएं।

पिछले 4 वर्षों में वेनेजुएला के बिगड़े आर्थिक और सामाजिक हालात के बाद ब्राजील समेत कई देशों ने वहां के लोगों को पनाह दी है लेकिन एक दिन पकाराएमा शहर के लोगों के सब्र का बांध टूट गया और गुस्साई भीड़ ने शरणार्थियों के टेंट को आग लगाकर करीब 1200 लोगों को सड़क पर ला दिया। हिंसा का तत्काल कारण एक स्थानीय दुकानदार पर हुआ हमला था जिसका आरोप वेनेजुएला के शरणार्थियों पर लगा था।

इस घटना से पहले तनाव का माहौल लगातार बना हुआ था। इस छोटे से शहर में वेनेजुएला से आए शरणार्थियों की संख्या 12 हजार पहुंच गई जो कुल आबादी का 10 फीसदी है। शरणार्थियों की भरमार ने शहर की शक्ल बदल दी है। लोकल लोगों का कहना है कि 'हम कब तक सरकार और प्रशासन के कदम उठाने का इंतजार करते रहेंगे। वे कुछ नहीं करते हैं। हम ही सरकार हैं। बहरहाल, वेनेजुएला के शरणार्थी कैंपों में अब सिर्फ मलबा बचा है। फिलहाल ब्राजील की सेना लोगों की रखवाली कर रही हैं।

ब्राजील के चुनाव नजदीक

लोगों की चिंता है कि ब्राजील के राजनीतिक दल ऐसी परिस्थिति पैदा कर रहे हैं। अक्टूबर में राष्ट्रपति पद और कांग्रेस के चुनाव होने हैं जिसे लेकर ब्राजील बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। आरोप हैं कि यह हिंसा सुनियोजित तरीके से की गई थी। वेनेजुएला के शरणार्थी संकट को इक्वाडोर सुलझाना चाहता है जिसके लिए जल्द ही 13 लैटिन अमेरिकी देशों की बैठक आयोजित की जाएगी। इक्वाडोर ने और पेरू ने वेनेजुएला के शरणार्थियों की एंट्री पर नियम सख्त कर दिए हैं और पासपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। आप्रवासी मामलों के प्रबंधक क्रिस्ट्रीयन क्रूगर का कहना है कि आधे से ज्यादा शरणार्थी पासपोर्ट नहीं बल्कि आईडी कार्डों के साथ कोलंबिया आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें रोकने से चिंताजनक नतीजे सामने आएंगे।

यूएन की रिफ्यूजी एजेंसी बताती है कि इस साल करीब 5.5 लाख वेनेजुएला के शरणार्थी इक्वाडोर में प्रवेश कर गए और सिर्फ 20 फीसदी यहां रह गए और बाकि पेरू या चिली की तरफ बढ़ गए। पेरू और इक्वाडोर के नियम सख्त करने पर क्रूगर को कड़ा ऐतराज है। उनका कहना है, 'पासपोर्ट की अनिवार्यता से प्रवास रुकने वाला नहीं है क्योंकि लोग अपनी मर्जी नहीं बल्कि मजबूरी में देश छोड़ रहे हैं।

वेश्यावृत्ति को मजबूर

कलम्बिया में रह रहे वेनेजुएला के शरणार्थियों के सामने जीवन यापन का संकट है। पेट भरने के लिए शरणार्थी महिलाएं वेश्यावृत्ति करने को मजबूर हैं। 'स्काई न्यूज के अनुसार कोलम्बिया के स्यूकुता नामक सीमावर्ती शहर में सड़कों और क्लबों में ग्राहक तलाश रही वेनेजुएलाई महिलाओं की भरमार है। यहां के एक वेश्यालय की ६० महिलाओं में ५८ वेनेजुएला की और दो कोलम्बिया की थीं। एक शरणार्थी, जो दो बच्चों की मां है, ने बताया कि वो अपने देश में बिजनेश करती थी लेकिन आज ये शर्मनाक काम करने को मजबूर है। 'अपने बच्चों का पेट भरने के लिए मेरे पास कोलम्बिया आने और अपना जिस्म बेचने के अलावा कोई चारा नहीं था।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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