TRENDING TAGS :
Bermuda Triangle Mystery: एक ऐसी जगह जहां गायब हो जाते हैं जहाज, इस खास वीडियो में देखें इस जगह का रहस्य क्या है
Mystery Of Bermuda Triangle: इसे बरमूडा ट्रायंगल नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह बरमूडा (ब्रिटेन का एक प्रवासी क्षेत्र) के समीप है और इसका आकार ट्रायंगल की तरह है।
Mystery Of Bermuda Triangle: हम बात कर रहे हैं बरमूडा त्रिभुज (Bermuda Triangle) की। संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण पूर्वी अटलांटिक महासागर के अक्षांश 25 डिग्री से 45 डिग्री उत्तर तथा देशांतर 55 से 85 डिग्री के बीच फैले 39,00,000 वर्ग किमी के बीच फैली जगह, जोकि एक काल्पनिक त्रिकोण जैसी दिखती है, बरमूडा त्रिकोण अथवा बरमूडा त्रिभुज के नाम से जानी जाती है। बरमूडा ट्रायंगल को दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक माना जाता है। एक ऐसा क्षेत्र जहां से गुजरने वाले जहाज, चाहे वो समुद्री जहाज हो या हवाई जहाज, रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाते हैं। लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में कुछ ऐसी अदृश्य शक्तियां मौजूद हैं जो वस्तुओं को अपनी और आकर्षित करती हैं। पिछले 100 सालों के इतिहास में यहां कई जहाज गायब हो चुके हैं और हजारों मौतें हो चुकी हैं। बरमूडा ट्रायंगल को लेकर वैज्ञानिकों में बहस छिड़ी रहती है। इस क्षेत्र को लेकर सभी वैज्ञानिकों के मत अलग-अलग हैं। बरमूडा ट्रायंगल जिसे राक्षस का ट्रायंगल (Devil’s Triangle) भी कहा जाता है। इसे बरमूडा ट्रायंगल नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह बरमूडा (ब्रिटेन का एक प्रवासी क्षेत्र) के समीप है और इसका आकार ट्रायंगल की तरह है।
बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ जहाज-
1872 में जहाज 'द मैरी सैलेस्ट' बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसका आजतक कुछ पता नहीं।
1945 में नेवी के पांच हवाई जहाज बरमूडा त्रिकोण में समा गए। ये जहाज फ्लाइट-19 के थे।
1947 में सेना का सी-45 सुपरफोर्ट जहाज़ बरमूडा त्रिकोण के ऊपर रहस्यमय तरीके से गायब हो गया।
1948 में जहाज ट्यूडोर त्रिकोण में खो गया। इसका भी कुछ पता नहीं।
1950 में अमेरिकी जहाज एसएस सैंड्रा यहां से गुजरा, लेकिन कहां गया कुछ पता नहीं।
1952 में ब्रिटिश जहाज अटलांटिक में विलीन हो गया। 33 लोग मारे गए, किसी का शव तक नहीं मिला।
1962 में अमेरिकी सेना का केबी-50 टैंकर प्लेन बरमूडा त्रिकोण के ऊपर से गुजरते वक्त अचानक लापता हुआ।
1972 में जर्मनी का एक जहाज त्रिकोण में घुसते ही डूब गया। इस जहाज़ का भार 20 हज़ार टन था।
1997 में जर्मनी का विमान बरमूडा त्रिकोण में घुसते ही कहां गया, कुछ पता नहीं।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य
बरमूडा ट्रायंगल को लेकर लोगों द्वारा अलग-अलग अवधारणयाएं दी गई। कुछ लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र के नीचे एलियंस मौजूद हैं जो इन घटनाओं अंजाम देते हैं। कुछ लोग यहां राक्षसी शक्तियां होने की बात करते हैं तो कुछ इसे भूत-प्रेतों का स्थान मानते हैं।
- सबसे पहला तथ्य, बरमूडा ट्रायंगल में समुद्री जहाजों का आना-जाना बड़ी संख्या में होता है, जो रहस्यों का कारण बन सकता है।क्योंकि यदि किसी स्थान पर अधिक ट्रैफिक होगा तो वहां सामान्य क्षेत्र के मुकाबले अधिक दुर्घटनाओं के होने के अवसर होते हैं।दूसरा, बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में तूफान बहुत अधिक आते हैं, ऐसे में वहां कभी-कभी अत्यंत शक्तिशाली तूफान भी उठते हैं जो जहाजों को डुबो सकते हैं।इसलिए इसे असामान्य घटना से नहीं जोड़ा जा सकता।
- कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ जगह पर समुद्र के नीचे मीथेन गैस जमा होती है, जहां से कई बार बड़ी संख्या में मीथेन गैस के बुलबुले उठते हैं। गैस का अचानक से समुद्र तल से निकलना समुद्र में झाग उत्पन्न कर देता है, जो जहाज को आसानी से निगल सकता है। इसी तरह की प्रक्रिया ने संभवतः नार्वे के समुद्र तल पर विशाल गड्ढे बनाए।लेकिन ऐसा होने के कहीं पर भी सबूत नहीं मिले।
- एक मत यह भी है कि बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में मौजूद पानी समुद्र के बाकी क्षेत्र के मुकाबले बहुत कम गहरा है। कहा जाता है कि पुराने समय में कई बार समुद्री जहाज इस क्षेत्र में नीचे छिपे हुए मिट्टी के टीलों में अटक जाते थे।तो हो सकता है इसी वजह से यहां समुद्री जहाजों के साथ अनहोनी घटनाएं घटी हों।
- कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल पर अजीब तरह के बादल बनते हैं जिससे हवाई जहाज और समुद्री जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।ये बादल हेक्सागोनल आकार में होते हैं इसलिए इन्हें हेक्सागोनल बादल नाम दिया गया है।ये बादल हवा का एक बड़ा विस्फोट पैदा करते हैं जिससे 170 मील/घंटे की रफ़्तार से तेज हवाएं चलती हैं। ये बादल और हवाएं दोनों मिलकर हवाई जहाज और समुद्री जहाज से टकराते हैं जिससे जहाज अपना संतुलन खो देता है और वह दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।
कोलंबस ने सबसे पहले इसे देखा
बरमूडा ट्राएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्रायएंगल (Bermuda Triangle) से हुआ था। उन्होंने अपने लेखों में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया।
अटलांटिक महासागर के इस भाग में जहाजों और वायुयानों के गायब होने की जो घटनाएं अब तक हुई हैं उनमें पाया गया है कि जब भी कोई जहाज़ या वायुयान यहां पहुंचता है, उसके राडार, रेडियो वायरलेस और कम्पास जैसे यंत्र या तो ठीक से काम नहीं करते या फिर धीरे-धीरे काम करना ही बन्द कर देते हैं। जिस से इन जहाजों और वायुयानों का शेष विश्व से संपर्क टूट जाता है। उनके अपने दिशासूचक यंत्र भी खराब हो जाते हैं। इस प्रकार ये अपना मार्ग भटककर या तो किसी दुघर्टना का शिकार हो जाते हैं या फिर इस रहस्यमय क्षेत्र में कहीं गुम होकर इसके रहस्य को और भी अधिक गहरा देते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भौतिकी के कुछ नियम बदल जाते हैं, जिस कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं।बरमूडा ट्रायंगल अब तक मिस्ट्री है और यहां गायब हो चुके जहाजों की बारे में पुख्ता तौर पर कोई जानकारी नहीं है। लेकिन बताया जाता है कि अब तक यहां करीब 2000 जलपोत और 75 हवाई जहाज गायब हो चुके हैं।इतने शोध के बाद भी अभी भी इसके रहस्य का पर्दा उठना बाक़ी है।