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वैक्सीन डिप्लोमेसी पर बड़े देशों में जंग: चीन-रूस पर भड़का अमेरिका, 5 गुना ज्यादा टीके बांटेगा

वैक्सीन डिप्लोमेसी में अभी तक रूस और चीन का दबदबा दिख रहा है। इस दबदबे ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले अमेरिका को चिंता में डाल दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Ashiki
Published on: 19 May 2021 4:34 PM IST
War on vaccine diplomacy in big countries
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वैक्सीन डिप्लोमेसी पर बड़े देशों में जंग (Photo-Social Media)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के विभिन्न देशों में वैक्सीन के लिए मारामारी मची है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अमीर देशों से गरीब देशों में व्याप्त वैक्सीन के संकट को दूर करने की अपील की है। ऐसे में अमेरिका, रूस और चीन जैसे बड़े देशों में वैक्सीन डिप्लोमेसी की जंग शुरू हो गई है। वैक्सीन डिप्लोमेसी में अभी तक रूस और चीन का दबदबा दिख रहा है। इस दबदबे ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले अमेरिका को चिंता में डाल दिया है।

वैक्सीन डिप्लोमेसी में रूस और चीन के दबदबे को खत्म करने के लिए अमेरिका ने बड़ा कदम उठाने का एलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने जरूरतमंद देशों को वैक्सीन की आठ करोड़ डोज मुहैया कराने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका रूस और चीन की अपेक्षा 5 गुना ज्यादा टीके गरीब देशों को बांटेगा।

उत्पादन का 13 फ़ीसदी बांटेगा अमेरिका

दरअसल कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण कई देशों में वैक्सीन की जबर्दस्त किल्लत महसूस की जा रही है। ऐसे में दुनिया के अमेरिका, रूस और चीन जैसे बड़े देश वैक्सीन की मदद करके अपना दबदबा बढ़ाना चाहते हैं। इसी सिलसिले में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने मंगलवार को बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि इस साल जून तक अमेरिका जितनी वैक्सीन का उत्पादन करेगा, उसका 13 फ़ीसदी दुनिया के जरूरतमंद देशों को बांटा जाएगा।


उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश की तरफ से दूसरे देशों को दी गई वैक्सीन की सबसे बड़ी मदद होगी। रूस और चीन की तरफ से दूसरे देशों को दी गई वैक्सीन से यह 5 गुना अधिक होगी। एक अनुमान के मुताबिक इन दोनों देशों ने दूसरे देशों को अभी तक करीब डेढ़-डेढ़ करोड़ वैक्सीन दान के रूप में दी है।

बिडेन बोले: दुनिया का नेतृत्व हम ही करेंगे

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जरूरतमंद देशों को वैक्सीन मुहैया कराने के मामले में दुनिया का नेतृत्व अमेरिका ही करेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से जरूरतमंद देशों को आठ करोड़ वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी और यह दूसरे किसी भी देश के मुकाबले काफी अधिक होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें दो करोड़ डोज फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के होंगे जबकि छह करोड़ डोज एस्ट्रेजनेका के मुहैया कराए जाएंगे। अमेरिका की ओर से पहली बार अपने इस्तेमाल की वैक्सीन को दूसरे देशों को मुहैया कराने का बड़ा कदम उठाया गया है।

चीन व रूस के दबदबे से अमेरिका चिंतित

अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैक्सीन डिप्लोमेसी में चीन और रूस के दबदबे की भी चर्चा की। इन दोनों देशों के दबदबे से चिंतित बिडेन ने कहा कि हर जगह चीन और रूस के वैक्सीन के जरिए दुनिया को प्रभावित करने की चर्चा हो रही है, लेकिन हम इन दोनों देशों से 5 गुना अधिक वैक्सीन देकर इन दोनों को पीछे छोड़ देंगे।

उन्होंने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध की तरह हम मूल्यों के हिसाब से दुनिया का नेतृत्व करना चाहते हैं। हम जरूरतमंद देशों को इसलिए टीका नहीं दे रहे हैं कि कोई देश हमारा समर्थन करें मगर हम इस मामले में सबसे आगे रहना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन की वैक्सीन पर सवाल उठाने वाले बयानों को भी दोहराया।


घरेलू मांग की दिक्कत से भारत पिछड़ा

वैक्सीन मुहैया कराने में दुनिया के बड़े देशों की तेजी से भारत पर भी अपने प्रभाव वाले देशों की मदद करने का दबाव बढ़ा है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे देश भारत से लगातार वैक्सीन मुहैया कराने की गुहार लगा रहे हैं। दूसरी ओर भारत अभी घरेलू मांग की दिक्कत से जूझ रहा है। भारत का वैक्सीन उत्पादन घरेलू मांग को ही पूरा करने में कामयाब नहीं दिख रहा है। ऐसे में भारत के लिए दूसरे देशों की मदद करना मुश्किल हो गया है।

दूसरे देशों को मदद पर सियासी घमासान

देश में वैक्सीन किल्लत के बीच जनवरी से अप्रैल के दौरान दूसरे देशों को वैक्सीन मुहैया कराने पर भी देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। दिल्ली में पिछले दिनों इस बाबत तमाम होर्डिंग और पोस्टर भी लगाए गए थे जिन पर लिखा हुआ था कि मोदी जी, हमारी वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी।

इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने के बाद कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था जिसे कांग्रेस ने बड़ा सियासी मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस ने विदेशों को वैक्सीन मुहैया कराने के मोदी सरकार के रवैये पर सोशल मीडिया के जरिए बड़ा अभियान छेड़ रखा है।

पहले घरेलू जरूरतें पूरा करने पर जोर

ऐसे हालात में भारत दूसरों की मदद करने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। देश में वैक्सीन की किल्लत के चलते कई राज्यों में टीकाकरण अभियान पर भी असर पड़ा है। कई राज्यों में लोग विभिन्न टीकाकरण केंद्रों से निराश होकर वापस लौट रहे हैं। ऐसे में देश की जरूरतें पूरा करने के बाद ही भारत की ओर से इस दिशा में कदम उठाए जाने की आशा है।



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Ashiki

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