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ऐसे लोगों को अमेरिका नहीं देगा शरण

seema
Published on: 16 Nov 2018 7:48 AM GMT
ऐसे लोगों को अमेरिका नहीं देगा शरण
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ऐसे लोगों को अमेरिका नहीं देगा शरण

वाशिंगटन। अमेरिका अब ऐसे लोगों को कोई रियायत नहीं देगा जो गैरकानूनी ढंग से देश के भीतर घुसकर शरण के लिए दावा करते हैं। आंतरिक सुरक्षा विभाग और न्याय विभाग की ओर से उठाए जा रहे कदमों का मकसद अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर शरणार्थियों को रोकना है। मौजूदा नियमों के तहत कोई भी प्रवासी व्यक्ति अमेरिका पहुंचने के एक साल बाद शरणार्थी दर्जे के लिए दावा कर सकता है, भले ही उस व्यक्ति ने गैरकानूनी ढंग से सीमा पार की हो। नए नियम उन प्रवासियों पर प्रतिबंध लगाएंगे जो अवैध ढंग से सीमा पार कर अमेरिका पहुंचते हैं।

अमेरिका के न्याय विभाग ने साफ किया है कि, जो लोग वैध रास्तों के अलावा किसी और रास्ते से अमेरिका के भीतर प्रवेश कर रहे हैं वे जानबूझ कर कानून तोड़ रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन को जायज ठहराते हुए देश की सुरक्षा से जुड़ी राष्ट्रपति की खास शक्तियों की जो दलील ट्रंप ने उस वक्त दी थी वे उसी का इस्तेमाल करेंगे। ट्रैवल बैन पर ट्रंप प्रशासन के फैसले को निचली अदालतों ने असंवैधानिक करार दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में आने पर प्रतिबंध को जायज ठहराया। यह कदम ऐसे वक्त में लिए जा रहे हैं जब मध्य अमेरिकी देशों के करीब 7000 से ज्यादा लोगों का एक कारवां अमेरिका की तरफ बढ़ा चला जा रहा है जिसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी हैं।

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जानकार मान रहे हैं कि ट्रैवल बैन की ही तरह संभव है कि शरणार्थियों का ये मसला भी कानूनी पेचीदगियों में फंसेगा। नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन (एसीएलयू) का कहना है कि इमीग्रेशन और राष्ट्रीयता कानून में साफ बताया गया है कि वैध या अवैध तरीके से सीमा पार कर देश में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को आश्रय का अनुरोध का अधिकार दिया जाना चाहिए। एसीएलयू में आप्रवासी अधिकारों के निदेशक उमर जादवत ने कहा कि अमेरिकी कानून लोगों को शरण के आवेदन अधिकार देते हैं फिर चाहे वह प्रवेश वैध रास्तों से हो या नहीं। इसे किसी एजेंसी या राष्ट्रपति के आदेश से बदलना गैरकानूनी है।

नए नियमों का सबसे ज्यादा असर ग्वाटेमाला, होंडुरास और सल्वाडोर से आने वाले प्रवासियों पर पड़ेगा, जो गरीबी और हिंसा के चलते घरबार छोड़ कर भाग रहे हैं। पिछले वर्षों में अमेरिका में शरण मांगने के दावों में बढ़ोतरी हुई है। साल 2017 में करीब 3.30 लाख शरणार्थी आवेदन देश को मिले थे, वहीं देश की इमीग्रेशन कोर्ट में पहले से ही 8 लाख शरणार्थी आवेदन लंबित हैं। हालांकि ट्रंप इस मसले पर फिलहाल कोई रियायत देते नजर नहीं आते। शरणार्थी कारवां के मद्देनजर सीमा पर 5600 सैन्य टुकडिय़ों को तैनात किया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इनकी संख्या बढ़ाकर जल्द ही सात हजार कर दी जाएगी। तैनात किए गए सैनिकों में से कई डॉक्टर और इंजीनियर भी हैं।

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दुनिया की सबसे सख्त सीमाएं

पाकिस्तान-भारत: १947 में ब्रिटिश शासकों से मिली आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 1949 तक चला था। तभी से कश्मीर इलाके को दोनों देशों के बीच एक लाइन ऑफ कंट्रोल से बांटा गया। मुस्लिम-बहुल आबादी वाला पाकिस्तान अधिशासित हिस्सा और हिन्दू, बौद्ध आबादी वाला भारत का कश्मीर। इस लाइन के दोनों ओर पूरे कश्मीर को हासिल करने का संघर्ष आज भी जारी है। ये दुनिया की सबसे सख्त सीमाओं में से एक है।

सर्बिया-हंगरी : सर्बिया और हंगरी के बीच बिछी रेल की पटरियों पर चलकर यूरोप में आगे जाने की कोशिश में लगे रहते हैं। सितंबर में इस क्रासिंग को बंद कर दिया गया लेकिन यूरोप के भीतर खुली सीमा होने के कारण ऐसे और रूटों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

उत्तर-दक्षिण कोरिया : पिछले 62 सालों से दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच की सीमा बंद है और उस पर कड़ा सैनिक पहरा रहता है। 1990 के दशक के अंत से करीब 28,000 उत्तर कोरियाई अपनी सीमा पार कर दक्षिण कोरिया में आ चुके हैं।

अमेरिका-मेक्सिको : मेक्सिको से लगी इस सीमा को अमेरिकी 'टॉर्टिया वॉल' कहते हैं। यहां दीवार और बाड़ खड़ी कर करीब 1126 किलोमीटर लंबा बॉर्डर खड़ा किया गया है। पूरी पृथ्वी में इतनी कड़ी निगरानी वाली कोई दूसरी सीमा नहीं है। यहां करीब 18,500 अधिकारी बॉर्डर सुरक्षा में तैनात हैं। इसके बावजूद तमाम मेक्सिकन लोग सीमा पार करके अमेरिका में घुस ही जाते हैं। केवल 2012 में ही लगभग 67 लाख लोगों ने सीमा पार की। हर दिन ऐसी कोशिश करने वाले करीब 700 लोग मेक्सिको वापस लौटाए जाते हैं। मोरक्को-स्पेन: मोरक्को से लगे स्पेन के दो एन्क्लेव मेलिया और सिउटा को लोग यूरोप पहुंचने का रास्ता मानते हैं। अफ्रीका के कई देशों से लोग अच्छे जीवन की तलाश में इसी तरफ से यूरोप पहुंच कर शरण मांगने की योजना बनाते हैं। कई लोग सीमा पर बड़ी बाड़ों को चढ़ कर पार करने की कोशिश करते हैं।

हैती-डोमिनिक गणराज्य : एक ही द्वीप पर स्थित दो देश इतने अलग भी हो सकते हैं। डोमिनिक गणराज्य पर्यटकों की पसंद रहा है जबकि हैती दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है। बेहतर जीवन की तलाश में हैती से कई लोग डोमिनिक गणराज्य जाना चाहते हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए 2015 में डोमिनिक गणराज्य ने आप्रवास के नियम सख्त किए हैं। तबसे करीब 40,000 हैतीवासी अपने देश वापस लौटे हैं।

मिस्र - इजरायल : एक ओर रेगिस्तान तो दूसरी ओर घनी आबादी - यह सीमा मिस्र की मुस्लिम-बहुल और इजरायल की यहूदी-बहुल आबादी के बीच खिंची है। करीब 30 सालों से चली आ रही शांति के बाद हाल के समय में सीमा पर कुछ हिंसक वारदातों और कड़ी सैनिक निगरानी की खबर आई है. 2013 के अंत तक इस्राएल ने इस सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया था।

तीन दे बैंक श, एक सीमा : दुनिया के कुछ हिस्सों में सीमाओं पर कोई दीवार, बाड़ या सैनिक निगरानी नहीं होती। जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य की इस सीमा पर एक तीन-तरफा पत्थर इसका सूचक है। शेंजेन क्षेत्र के इन तीनों देशों के बीच खुली सीमाएं हैं। फिलहाल शरणार्थी संकट के चलते यहां अस्थाई बॉर्डर कंट्रोल लगाना पड़ा है।

इजरायल - वेस्ट: साल 2002 से इस 759 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवादित दीवारें और बाड़ें बनाई गई हैं। येरुशलम के इस घनी आबादी वाले क्षेत्र में दोनों के बीच कंक्रीट की नौ मीटर ऊंची दीवार बनाई गई है। 2004 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फलस्तीनी क्षेत्र में दीवार खड़ी करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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