खौफनाक! हम दे रहे प्रलय को न्योता, हिमालय से सुनाई पड़ी कयामत की आहट

गर्मी थमने का नाम नहीं ले रही है और तापमान बढता जा रहा है। ऐसे में लोग गर्मी से बचने के लिए पहाड़ो का रुख कर रहे है। लेकिन फिर भी गर्मी है की लोगों को राहत देने का नाम ही नहीं ले रही है। लोग इतनी भारी संख्या में पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं कि वहां इससे खतरा पैदा हो सकता है

Roshni Khan
Published on: 20 Jun 2019 11:10 AM GMT
खौफनाक! हम दे रहे प्रलय को न्योता, हिमालय से सुनाई पड़ी कयामत की आहट
X

काठमांडू: गर्मी थमने का नाम नहीं ले रही है और तापमान बढता जा रहा है। ऐसे में लोग गर्मी से बचने के लिए पहाड़ो का रुख कर रहे है। लेकिन फिर भी गर्मी है की लोगों को राहत देने का नाम ही नहीं ले रही है। लोग इतनी भारी संख्या में पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं कि वहां इससे खतरा पैदा हो सकता है। ताजा सर्वे में दावा किया गया है कि पहाड़ों पर भीड़भाड़ बढ़ने से हिमालय को नुकसान पहुंच रहा है।

ये भी देंखे:बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर को बड़ा झटका, NIA कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक 1975 से 2000 के बीच ये ग्लेशियर हर साल 10 इंच घट रहे थे, लेकिन 2000-2016 के दौरान सालाना 20 इंच तक घटने लगे। इससे करीब आठ अरब टन पानी की क्षति हो रही है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय के अर्थ इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने उपग्रह से लिए गए 40 साल के चित्रों को आधार बनाकर यह शोध किया है। ये चित्र अमेरिकी जासूसी उपग्रहों की ओर से लिए गए थे। हाल ही में नेपाल सरकार ने भी हिमालय के गलेशियर तेजी से पिघलने का दावा किया था।

ये भी देंखे:बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर को बड़ा झटका, NIA कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

जानकारों का मानना हैं कि एक तरफ हिमालय तेजी से पिघल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत सहित अन्य आसपास के देशों में तेजी से जल दोहन हो रहा है। इससे पृथ्वी में जल स्तर काफी नीचे जा रहा है। धरती पर पानी की कमी से तापमान में कमी आ रही है, जिसका सीधा असर हिमालय पर पड़ रहा है।

बताया जा रहा है कि हिमालय के ज्यादा तेजी से पिघलने पर समुद्र के जल स्तर में विस्तार होगा, जो सीधे-सीधे मानव आबादी को प्रभावित करेंगे। यूं कहें कि धरती की पारिस्थिति तंत्र (ईको सिस्टम) में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

ये भी देंखे:आतंक पर पूरा विश्व भारत के साथ है: राष्ट्रपति कोविंद

हिमालय पर पनप रहे घातक रोग

नेपाल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत सिर्फ 'भीड़भाड़' होने की वजह से ही नहीं हुई है। इसके पीछे बेहद ऊंचाई पर होने वाली बीमारियां, दूसरे स्वास्थ्य कारण और प्रतिकूल मौसम भी कारक है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने माउंट एवरेस्ट पर मृतकों का आंकड़ा 11 बताया है जो इसे 2015 के बाद सबसे खतरनाक बनाता है। नेपाल पर्यटन मंत्रालय ने हालांकि मरने वालों का आंकड़ा 8 ही दिया है जबकि एक पर्वतारोही लापता बताया गया है।

ये भी देंखे:एक राष्ट्र, एक चुनाव समय की मांग है: राष्ट्रपति कोविंद

पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक इस सीजन में हिमालय में कुल मिलाकर 16 पर्वतारोहियों की जान गई जबकि एक लापता है। इन 16 पर्वतारोहियों में से चार भारतीय पर्वतारोहियों की मौत 8,848 मीटर की ऊंचाई वाले माउंट एवरेस्ट पर हुई जबकि माउंट कंचनजंघा और माउंट मकालू में भी दो-दो भारतीय पर्वतारोहियों की जान गई जिससे हिमालय में मरने वाले भारतीयों का आंकड़ा कुल 8 पहुंच गया।

इस वसंत में सर्वोच्च चोटी को नापने का प्रयास करने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की थी।. इस बार कुल 78 भारतीय पर्वतारोहियों को मंजूरी मिली थी।

ये भी देंखे:झारखंड: योग दिवस के मौके पर कल रांची में रहेंगे पीएम मोदी, 35000 लोग होंगे मौजूद

पर्यटन विभाग के महानिदेशक डांडू राज घिमिरे ने कहा, 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा माउंट एवरेस्ट पर मौतों को लेकर दी गई गलत जानकारी की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित किया गया है।' उन्होंने कहा कि 'भीड़भाड़' होने से जान नहीं गईं।

'भीड़भाड़' तब होती है जब कई पर्वतारोहियों में एक ही समय में शिखर पर पहुंचने की होड़ रहती है और यह खास तौर पर 8000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर खतरनाक होता है जिसे ‘डेथ जोन’ के तौर पर जाना जाता है।

ये भी देंखे:राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोले राहुल गांधी- मेरा स्टैंड वही है, राफेल में चोरी हुई है

खबर के मुताबिक, विभाग का बयान ऐसे समय आया है जब पर्वतारोहियों की सुरक्षा की अनदेखी करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिये काफी ज्यादा परमिट जारी करने को लेकर उसकी तीखी आलोचना हो रही है।

घिमिरे के मुताबिक मृत पर्वतारोहियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी मौत ऊंचाई से संबंधित बीमारियों, कमजोरी या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों की वजह से हुई।

ये भी देंखे:कर्नाटक: उप मुख्यमंत्री जी. परमेश्वर बोले, 1000 स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाना शुरू करेगी सरकार

विभाग ने बयान में कहा कि उसने 2017 में 366 परमिट जारी किये थे जबकि 2018 में 346 परमिट दिये गए थे। वहीं इस साल चढ़ाई के लिये 381 परमिट जारी किये गए थे जो तुलनात्मक रूप से काफी बड़ा अंतर नहीं है।

बयान में कहा गया, 'इसलिये, यह असत्य है कि माउंट एवरेस्ट पर भीड़भाड़ की वजह से पर्वतारोहियों की मौत हुई और हम सभी से अनुरोध करते हैं कि गलत जानकारी के बहकावे में न आएं।'

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story