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Panama Canal: क्या है पनामा नहर? ट्रम्प ने क्यों दी है इसे कब्ज़े में लेने की धमकी?

Panama Canal: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को फिर से लागू करने की धमकी दी है। इसके विरोध में लैटिन अमेरिकी देशों के नेता एकजुट हो गए हैं। जानते हैं क्या है पनामा कैनाल का मसला जो सेन्ट्रल अमेरिका में स्थित एक प्रमुख ग्लोबल शिपिंग मार्ग है।

Neel Mani Lal
Published on: 25 Dec 2024 3:05 PM IST (Updated on: 25 Dec 2024 3:11 PM IST)
Donald Trump
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Donald Trump (Photo: Social

Panama Canal: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को फिर से लागू करने की धमकी दी है। इसके विरोध में लैटिन अमेरिकी देशों के नेता एकजुट हो गए हैं। जानते हैं क्या है पनामा कैनाल का मसला जो सेन्ट्रल अमेरिका में स्थित एक प्रमुख ग्लोबल शिपिंग मार्ग है।

पनामा नहर क्या है?

- पनामा नहर 82 किलोमीटर लंबा एक कृत्रिम जलमार्ग है जो पनामा के जरिये से पैसिफिक और अटलांटिक महासागरों को जोड़ता है। इसके चलते जहाजों को दक्षिण अमेरिका के तूफानी, बर्फीले दक्षिणी सिरे के चारों ओर हजारों किलोमीटर की कठिन यात्रा करने से बचत होती है।

- यह नहर समुद्र तल से लगभग 26 मीटर ऊपर गैटन झील के जरिये जहाजों को जाने का रास्ता बनाती है। जब किसी जहाज को जाना होता है तो उसे ऊपर उठाने के लिए लगभग 200 मिलियन लीटर ताजे पानी की जरूरत होती है। ये पानी नहर से जुड़ी कई झीलों से खींच कर नहर में डाला जाता है।

नहर का निर्माण किसने किया?

- स्पेनिश उपनिवेशवादियों ने 1530 के दशक की शुरुआत में दक्षिणी मध्य अमेरिका में एक अंतर-महासागरीय नहर के निर्माण का अध्ययन करना शुरू किया था। लेकिन वे काम शुरू नहीं कर पाए। फिर कोलंबिया ने फ्रांसीसी इंजीनियरों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। फ़्रांस ने काम शुरू किया लेकिन 1899 में उसका प्रयास अंततः विफल रहा। इस परियोजना पर लगभग 22,000 श्रमिकों ने अपनी जान गंवा दी, जिनमें से कई बीमारी और दुर्घटनाओं से मारे गए।

- 1903 में अमेरिका ने कोलंबिया से नहर के लिए एक स्थायी समझौता मांगा लेकिन कोलंबिया ने ये प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। उस समय पनामा कोलंबिया का एक प्रान्त था।

- कोलंबिया द्वारा प्रस्ताव नामंजूर किये जाने पर अमेरिका ने पनामा की आज़ादी का समर्थन कर दिया और उसी साल 3 नवंबर को पनामा को आजाद देश घोषित कर दिया गया। तीन दिन बाद वाशिंगटन में पनामा के राजदूत ने नहर के निर्माण और अनिश्चित काल तक प्रशासन करने के लिए अमेरिका को अधिकार देने वाली एक संधि पर हस्ताक्षर किए। अमेरिका ने पनामा को अधिकारों के लिए 10 मिलियन डॉलर और बाद में 2,50,000 डॉलर का वार्षिक भुगतान किया। कई पनामावासियों ने इस संधि की निंदा करते हुए इसे अपनी नई संप्रभुता का उल्लंघन बताया। लेकिन कोई विरोध काम न आया।

- अमेरिकी निर्माण का काम मुख्य रूप से अफ्रीकी, पनामाई और कैरेबियाई मजदूरों द्वारा किया गया था, जिनमें से 5,000 से अधिक की मृत्यु 1914 में नहर के खुलने से पहले ही हो गई।

पनामा कैनाल का हस्तांतरण

- 20वीं शताब्दी के दौरान अमेरिका और पनामा के बीच रिश्ते खराबा हो गए थे, पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे थे। ये सब 1956 में स्वेज नहर संकट के बाद हुआ जब स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण करने के बाद मिस्र पर आक्रमण करने की ब्रिटिश और फ्रांसीसी योजनाएँ अमेरिकी दबाव के बाद रोक दी गईं थीं।

- अंततः 1977 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पनामा के सैन्य नेता उमर टोरिजोस के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसने पनामा को नहर पर स्वतंत्र नियंत्रण प्रदान किया और जलमार्ग की स्थायी तटस्थता की गारंटी दी। तब से इस नहर का प्रशासन पनामा सरकार के पनामा नहर प्राधिकरण द्वारा किया जाता रहा है, और यह देश के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है।

हाल के घटनाक्रम

- जलवायु परिवर्तन के कारण पनामा नहर पर भी असर पड़ा है। यहाँ सूखे के कारण नहर को खिलाने वाली झीलों में जल स्तर को प्रभावित हुआ है जिसके चलते नहर प्राधिकरण को पनामावासियों की पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जहाजों की आवाजाही सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

- अब डोनाल्ड ट्रम्प ने पनामा नहर का उपयोग करने के लिए ऊंची फीस और चीन के प्रभाव के जोखिम का हवाला देते हुए अमेरिकी नियंत्रण को फिर से लागू करने की धमकी दी है। चीन का प्रभाव का जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि हांगकांग स्थित सीके हचिसन होल्डिंग्स की एक सहायक कंपनी लंबे समय से नहर के प्रवेश द्वार के पास दो बंदरगाहों का मैनेजमेंट करती आई है।

- ट्रम्प ने कहा है कि यह नहर पनामा और पनामा के लोगों को दी गयी थी लेकिन इसमें कई शर्तें भी हैं। अगर इस उदार भाव के नैतिक और कानूनी, दोनों सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाता है, तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर हमें पूरी तरह से, जल्दी और बिना किसी सवाल के वापस कर दी जाए।

- पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रम्प की धमकी को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि नहर के टैरिफ का सावधानीपूर्वक और पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन किया गया था, और ये नहर को बनाए रखते हैं और 2016 में इसके विस्तार में मदद करते हैं, जिससे यातायात और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पनामा नहर और उसके आसपास के क्षेत्र का हर वर्ग मीटर पनामा का है और ऐसा ही रहेगा। हमारे देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। पनामा नहर चीन, यूरोपीय समुदाय, अमेरिका या किसी अन्य शक्ति के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं है।



Shivam Srivastava

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