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US President Joe Biden : ये किस मानसिक टेस्ट की डिमांड की जा रही प्रेसिडेंट जो बिडेन से?
US President Joe Biden : अमेरिका में चुनाव की दौड़ शुरू हो चुकी है। डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बिडेन और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। एक समस्या और चुनता भी है। राष्ट्रपति जो बिडेन की फिटनेस को लेकर।
US President Joe Biden : अमेरिका में चुनाव की दौड़ शुरू हो चुकी है। डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बिडेन और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। एक समस्या और चुनता भी है। राष्ट्रपति जो बिडेन की फिटनेस को लेकर। 81 वर्षीय बिडेन की से उनकी मानसिक तीक्ष्णता के स्तर को तय करने के लिए ‘’संज्ञानात्मक परीक्षण’’ करवाने की मांग की गई है।
बिडेन के बारे में कई लोगों का मानना है कि दुनिया की सबसे कठिन नौकरी करने के लिए जिस तरह की मानसिक और शारीरिक फिटनेस होनी चाहिए उसके लिए उनकी उम्र बहुत ज़्यादा है। उन्हें राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटाने की मांग की जा रही है लेकिन लगातार बढ़ते अभियान के बावजूद बिडेन रेस में बने रहने के लिए अड़े हुए हैं। हुआ ये है कि राष्ट्रपति पद की पहली खुली बहस में बिडेन के खराब प्रदर्शन के बाद उनको लेकर चिंताएँ तेज़ी से बढ़ गईं, जिसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी बढ़त बढ़ा ली है। बीते 27 जून की उस बहस में तथा हाल के भाषणों और इंटरव्यू में बिडेन लड़खड़ाते और खोये खोये रहे। उनकी आवाज रुक-रुक कर और कर्कश थी। उनके चेहरे पर कोई उत्साह नहीं था, जिसके चलते कई बार उनके चेहरे पर सपाट, खुले मुंह वाला भाव दिखाई देता था।
क्या है संज्ञात्मक परीक्षण?
संज्ञानात्मक परीक्षण संज्ञान यानी निर्णय लेने, समझने और सोचने की शक्ति से जुड़ी समस्याओं की जांच करता है। इसमें मस्तिष्क के काम जैसे कि सोचना, सीखना, याद रखना और निर्णय और भाषा का उपयोग करना शामिल है। संज्ञान से जुड़ी समस्याओं को ‘’संज्ञानात्मक हानि’’ के रूप में पारिभाषित किया जाता है।
संज्ञानात्मक परीक्षण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो मस्तिष्क की कमियों, उनके होने के कारणों और मस्तिष्क के उन क्षेत्रों की पहचान करने का प्रयास करती है जिन्हें वे प्रभावित करते हैं। परीक्षण के परिणामों के आधार पर इस बात का पता किया जाता है कि कितनी हानि हो चुकी है, किस वजह से हुई है और क्या इसका इलाज संभव है?
किनको करवाना चाहिए ये टेस्ट?
जिन लोगों में याददाश्त की समस्या है या जिन्हें लगता है कि वे याददाश्त खो रहे हैं या भूलने वाले हो रहे हैं, जिन्हें ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में कठिनाई होती है या जिनका दिमाग उस तरह से काम नहीं कर रहा है जैसा उन्हें लगता है कि उसे काम करना चाहिए, उन्हें यह टेस्ट करवाना चाहिए। यह टेस्ट अक्सर डॉक्टरों द्वारा डेमेंशिया की पहचान के लिए दिया जाता है।
संज्ञानात्मक गिरावट में उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है। साठ साल की उम्र के बाद हर दस साल में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है और 75 वर्ष की उम्र के बाद बहुत ये महत्वपूर्ण हो जाता है। डाक्टरों का कहना है कि अमेरिका की राष्ट्रपति बिडेन की उम्र ऐसी है जिस पर संज्ञानात्मक हानि का जोखिम ज्यादा अधिक है। हालांकि, बिडेन ने संज्ञानात्मक टेस्ट सहित किसी भी तरह की न्यूरोलॉजिकल जांच से गुजरने और परिणामों को जनता के सामने जारी करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनना और फिर से चुनाव लड़ना उनके अपने संज्ञानात्मक परीक्षण हैं।
डाक्टरों का कहना है कि आजकल युवा लोगों में भी तनाव, अधिक काम और मल्टीटास्किंग की वजह से डीमेंशिया के लक्षण दिखते हैं। ऐसे में डिमेंशिया और अलग तरह की स्थिति की पहचान करने के लिए लोग ऐसा टेस्ट करते हैं।
ये टेस्ट होता कैसे है?
यह टेस्ट मूलतः एक परीक्षा की तरह है जिसमें एक मनोवैज्ञानिक याददाश्त, अवधारण, भाषा कार्य, गणना करने की क्षमता और विशेष आयोजन क्षमता जैसे कार्यों की जांच की जाती है ताकि मस्तिष्क के उन अलग-अलग हिस्सों की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन किया जा सके जो इन मानसिक कार्यों में से प्रत्येक के लिए जिम्मेदार हैं।