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मुश्किल में फंसे ट्रंप: सैन्य कार्रवाई की धमकी पर पेंटागन से तनाव, रक्षा मंत्री खिलाफ

अमेरिका में अफ्रीकी मूल के अश्वेत जॉर्ज की मौत के बाद कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन का दौर चल रहा है। हाल में व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रबड़ की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े गए।

Shivani Awasthi
Published on: 7 Jun 2020 2:08 PM GMT
मुश्किल में फंसे ट्रंप: सैन्य कार्रवाई की धमकी पर पेंटागन से तनाव, रक्षा मंत्री खिलाफ
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अंशुमान तिवारी

वाशिंगटन। अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से भड़का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अमेरिका के विभिन्न शहरों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। कोरोना वायरस का शिकार होने की आशंका को दरकिनार करते हुए हजारों लोग सड़कों पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई की धमकी के बाद व्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच तनातनी की खबरें हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई के खिलाफ हैं। ट्रंप से नाराज पेंटागन के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर ने इस्तीफा दे दिया है।

पेंटागन के सलाहकार का इस्तीफा

अमेरिका में अफ्रीकी मूल के अश्वेत जॉर्ज की मौत के बाद कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन का दौर चल रहा है। अमेरिकी पुलिसकर्मी इन प्रदर्शनों पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। हाल में व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रबड़ की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। प्रदर्शनकारियों पर इस कार्रवाई का मकसद उन्हें व्हाइट हाउस के सामने से हटाना था। प्रदर्शनकारियों पर इस कार्रवाई के बाद पेंटागन के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलन अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अपने पत्र में मिलर ने ट्रंप के साथ हुई ही रक्षा मंत्री एस्पर‌ पर भी अपना गुस्सा उतारा है। मिलर के इस्तीफे के बाद पेंटागन और व्हाइट हाउस के बीच मतभेद और गहराने की खबरें हैं।

रक्षा मंत्री भी ट्रंप से सहमत नहीं

ट्रंप प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई का कदम उठाना चाहते हैं मगर रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ट्रंप के इस कदम से सहमत नहीं हैं। उन्होंने पेंटागन में एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विद्रोही कानून लागू करने के कदम पर भी असहमति जताई। एस्पर ने कहा कि ऐसा कानून लागू करना उचित नहीं होगा। इस कानून के लागू होने पर ट्रंप अपने खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना का इस्तेमाल करने में कामयाब हो जाएंगे।

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सैन्य कार्रवाई पर अमेरिका में बहस छिड़ी

अमेरिका में इन दिनों ट्रंप की अपने ही नागरिकों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी पर बहस छिड़ गई है। ज्यादातर लोग राष्ट्रपति ट्रंप के इस नजरिए से सहमत नहीं है और उन पर गुस्सा जता रहे हैं। उनका कहना है कि देश की सेना को मजबूती देने में अमेरिकी लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। अमेरिकी सेना के प्रति यहां के लोगों के मन में काफी आस्था है और इसलिए अमेरिकी नागरिकों पर सेना का इस्तेमाल करना उचित नहीं होगा। ट्रंप के इस कदम से सेना के राजनीतिक इस्तेमाल का रास्ता भी खुल जाएगा।

सेना से खत्म होगा लोगों का विश्वास

दूसरी ओर सेना के अफसरों का भी मानना है कि सेना का अापात स्थितियों या सबसे बुरे हालात में ही कानून लागू करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। कई सैन्य अफसरों का मानना है की लोगों पर सैन्य कार्रवाई का कदम बहुत सोच-समझकर उठाया जाना चाहिए। हाल ही में रिटायर हुए सैन्य अफसर जनरल विंसेंट के ब्रूक्स का कहना है कि ट्रंप को इस बाबत काफी सोच विचार कर बात करनी चाहिए क्योंकि ट्रंप की धमकी से लोगों का सेना पर से विश्वास खत्म हो जाएगा।

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दो साल पहले भी रक्षा मंत्री ने दिया था इस्तीफा

यह पहला मौका नहीं जब पेंटागन और व्हाइट हाउस के बीच मतभेद पैदा हुए हैं। दो साल पहले रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने ट्रंप से असहमति के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वे सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाए जाने के ट्रप के फैसले से नाराज थे। ट्रंप को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि मैं आपके इस कदम से सहमत नहीं हूं। इसलिए मुझे देश के रक्षा मंत्री का पद छोड़ देना चाहिए। 2018 में हुए इस प्रकरण से ट्रंप और रक्षा मंत्री के बीच मतभेद की बात उजागर हुई‌ थी।

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Shivani Awasthi

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