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इंटरनेट का असली मालिक कौन, आखिर किसके हाथ में है इसका पावर?

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हमारे कंप्यूटर और फ़ोन पर सुविधा उपलब्ध करवाने वाले दुकानदार या सर्विस प्रोवाइडर होता है। जिसे आप मंथली या वन या टू ईयर का रिचार्ज करवाते हैं। लेकिन ये सर्विस प्रोवाइडर इसका असली हकदार नहीं है।

Shivakant Shukla
Published on: 30 Jan 2020 10:36 AM GMT
इंटरनेट का असली मालिक कौन, आखिर किसके हाथ में है इसका पावर?
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नई दिल्ली: इन्टरनेट का अविष्कार क्रांतिकारी अविष्कारों में से एक है। आज ऐसा कोई नहीं है जो इसकी जद से बाहर हो, इंटरनेट ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरीके से बदल दिया है। इंटरनेट एक विश्व स्तर पर जुड़ा नेटवर्क सिस्टम है जो TCP/IP प्रोटोकॉल के उपयोग से एक कंप्यूटर से दूसरे कम्प्युटर के बीच सूचनाएँ, जानकारियाँ या डाटा का संचार या आदान-प्रदान के लिए उपयोग किया जाता है।

हम ये तो जानते है कि हर वो चीज जिसे पैसा देकर खरीदा जाता है, उसका कोई न कोई मालिक जरूर होता है। तो कभी न कभी आपके मन में भी ये सवाल उठा होगा कि आखिर इसका मालिक कौन है, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस सवाल का जवाब...

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हमारे कंप्यूटर और फ़ोन पर सुविधा उपलब्ध करवाने वाले दुकानदार या सर्विस प्रोवाइडर होता है। जिसे आप मंथली या वन या टू ईयर का रिचार्ज करवाते हैं। लेकिन ये सर्विस प्रोवाइडर इसका असली हकदार नहीं है।

आखिर इंटरनेट का मालिक कौन?

बता दें कि इंटरनेट का मालिक कोई नहीं है। इंटरनेट किसी भी तरह सरकार द्वारा नियंत्रित नही किया जाता। बल्कि यह विशाल और स्वतंत्र को-ऑपरेशन है। यानि इसका सीधा मतलब की इंटरनेट पर किसी संस्था, किसी व्यक्ति, सरकारी संस्था का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन कुछ एजेंसी सलाह देकर मानक निर्धारित कर और अन्य मुद्दे पर जानकारी देकर इसको काम करने में मदद जरूर करती हैं।

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ऐसा काम करता है इंटरनेट

पूरी दुनिया में लगभग 900 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते है और इतने सारे लोगो को एक जगह से दूसरी जगह इंटरनेट प्रदान करने के लिए पोस्टल सिस्टम की तरह इंटरनेट एड्रेसिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। इसी की मदद से इंटरनेट हम तक पहुंचता है।

इंटरनेट आपके पास पहुंचाने के लिए करते है काम

लोगों तक इंटरनेट सर्विस पहुंचाने के लिए सर्विस प्रोवाइडर को तीन भागों में बाटा गया है। जिन्हें 3 टियर कहा जाता है। पहले स्तर पर वो कंपनियां आती है जो समुन्दर के नीचे केबल डालकर सर्विस प्रोवाइडर्स को ग्लोबली जोड़ती है।

दूसरे सत्र पर वो लोग आते हैं-जो बड़े प्रोवाइडर्स को नेशनली तौर पर जोड़ती है, और तीसरे स्तर पर वो प्रोवाइडर्स आते है। जो बड़े प्रोवाइडर्स से जुड़कर छोटे प्रोवाइडर्स को यह सर्विस देते है और यह प्रोवाइडर्स आम जनता तक इस इंटरनेट सर्विस को पहुँचाते हैं।

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Shivakant Shukla

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