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Syria Civil War : कौन है सीरिया का विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी?

Syria Civil War : सीरिया में बशर अल असद की सत्ता को गिराने वाले विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने पश्चिम एशिया के समीकरणों को बदल दिया है।

Neel Mani Lal
Published on: 9 Dec 2024 4:13 PM IST (Updated on: 9 Dec 2024 4:15 PM IST)
Syria Civil War : कौन है सीरिया का विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी?
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Syria Civil War : सीरिया में बशर अल असद की सत्ता को गिराने वाले विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने पश्चिम एशिया के समीकरणों को बदल दिया है। कभी अल कायदा के सहयोगी रहे अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने अपनी सार्वजनिक छवि को फिर से बनाने के लिए कई साल बिताए हैं, और खुद को सहिष्णुता के चैंपियन के रूप में पेश किया है। हाल के दिनों में, विद्रोहियों ने गोलानी को उसके असली नाम अहमद अल-शरा से संबोधित करना शुरू कर दिया है। अमेरिका द्वारा आतंकी घोषित 42 वर्षीय अल-गोलानी फिलहाल वह दमिश्क के पतन के बाद से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है। अल-गोलानी, हयात तहरीर अल-शाम, या एचटीएस नमक संगठन को कंट्रोल करता है और इस संगठन में कई छोटे छोटे जिहादी धड़े शामिल हैं।

वर्षों तक अल-गोलानी सीरिया के उत्तर-पश्चिमी कोने में इदलिब प्रांत में ही रहा क्योंकि देश के अधिकांश हिस्से पर असद का मजबूत नियंत्रण रहा था। इस दौरान उसने अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए की उपाय किये और विभिन्न जनजातियों और अन्य समूहों के साथ संबंध बनाए। इस दौरान, अल-गोलानी ने एक कट्टरपंथी इस्लामवादी गुरिल्ला वाला अपना चोला भी बदल डाला और मीडियावालों से मुलाकात के समय बाकायदा सूट पहन कर सामने आया। पिछले हफ्ते ही उसने सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि सीरिया एक ऐसी शासन प्रणाली का हकदार है जहाँ कोई भी शासक मनमाने निर्णय न ले। उसने ये संभावना भी जताई कि असद के पतन के बाद एचटीएस को अंततः भंग कर दिया जाएगा।

इराक में अल-गोलानी की शुरुआत

- अल-गोलानी का अल-कायदा से संबंध 2003 से है, जब वह इराक में अमेरिकी सैनिकों से लड़ने वाले चरमपंथियों में शामिल हो गया था। सीरियाई मूल के अल गोलानी को अमेरिकी सेना ने हिरासत में लिया था, लेकिन वह इराक में ही रहा। उस दौरान, अल-कायदा ने समान विचारधारा वाले समूहों पर कंट्रोल जमा लिया था और अबू बकर अल-बगदादी के नेतृत्व में चरमपंथी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक का गठन किया।

- 2011 में सीरिया के असद के खिलाफ़ एक जन विद्रोह उपजा जिसके खिलाफ सरकार द्वारा क्रूर दमन किया गया और अंततः देश एक व्यापक युद्ध में फंस गया। अल-गोलानी की प्रसिद्धि तब बढ़ी जब अल-बगदादी ने उसे नुसरा फ्रंट नामक अल-कायदा की एक शाखा स्थापित करने के लिए सीरिया भेजा। अमेरिका ने इस नए गुट को आतंकवादी संगठन करा दिया और अल गोलानी पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर दिया जो अज भी कायम है।

- जैसे-जैसे 2013 में सीरिया का गृहयुद्ध तेज़ हुआ, वैसे-वैसे अल-गोलानी की महत्वाकांक्षाएँ भी बढ़ती गईं। उसने नुसरा फ्रंट को भंग करने और इसे इराक में अल-कायदा के ऑपरेशन में विलय करने के अल-बगदादी के आह्वान को खारिज कर दिया। अल-गोलानी ने फिर भी अल-कायदा के प्रति अपनी निष्ठा बनाये राखी लेकिन आगे चल कर खुद को आईएसआईएस से अलग कर लिया। नुसरा फ्रंट ने आईएसआईएस से लड़ाई भी की और असद के खिलाफ सीरियाई सशस्त्र विपक्ष के बीच अपनी अधिकांश प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर दिया।

- 2014 में अपने पहले साक्षात्कार में, अल-गोलानी ने अल-जज़ीरा के एक रिपोर्टर से कहा था कि उसने संघर्ष को समाप्त करने के लिए जिनेवा में राजनीतिक वार्ता को अस्वीकार कर दिया। उसका लक्ष्य सीरिया को इस्लामी कानून के तहत शासित देखना था और उसने यह भी स्पष्ट किया कि सीरिया में अलावी, शिया, ड्रूज़ और ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं थी। बता दें कि बशर अल असद खुद अलावी संप्रदाय से हैं।

सत्ता की मजबूती और रीब्रांडिंग

- 2016 में अल-गोलानी ने पहली बार एक वीडियो संदेश में जनता के सामने अपना चेहरा दिखाया, जिसमें घोषणा की गई कि उसका ग्रुप अपना नाम बदलकर जबात फ़तेह अल-शाम रख रहा है और अल-कायदा से अपने संबंध समाप्त कर रहा है।

- सैन्य पोशाक और पगड़ी पहने हुए अल गोलानी ने इस वीडियो में कहा कि इस नए संगठन का किसी बाहरी इकाई से कोई संबंध नहीं है।

- एक साल बाद गोलानी के गठबंधन ने फिर से हयात तहरीर अल-शाम के रूप में रीब्रांडिंग की। इसमें कई गुटों का विलय भी हो गया, जिससे उत्तर-पश्चिम सीरिया के इदलिब प्रांत में अल-गोलानी की शक्ति काफी मजबूत हो गई। बाद में एचटीएस ने विलय का विरोध करने वाले इस्लामवादी आतंकवादियों के साथ संघर्ष भी किया और इस कार्रवाई से अल-गोलानी और उसके गुट को उत्तर-पश्चिमी सीरिया में जबर्दस्त बढ़त मिल गयी।

- अपनी ताकत को बढ़ाने के साथ अल-गोलानी ने अपनी खुद की ऐसी रीब्रांडिंग कर डाली जिसकी कल्पना बहुत कम लोग कर सकते थे। उसने मिलिट्री पोशाक की जगह शर्ट और पैंट पहनना शुरू कर दिया। यही नहीं, उसने अब धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवाद का भी आह्वान करना शुरू कर दिया।

- 2021 में अल-गोलानी ने पीबीएस पर एक अमेरिकी पत्रकार के साथ अपना पहला साक्षात्कार किया। ब्लेज़र पहने हुए गोलानी ने कहा कि उसके ग्रुप ने पश्चिम को कोई खतरा नहीं दिया और इसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध गलत हैं।



Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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