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Drone Attack On Russia: बाइडेन की हार के बाद से रूस पर हमलावर जेलेंस्की, क्या समझौते का दबाव बनाने की हो रही कोशिश?
Drone Attack On Russia: रूस-यूक्रेन युद्ध में हर दिन एक नया मोड़ देखने को मिलता है, और इस संघर्ष में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक नई रणनीति अपनाई है। बाइडेन प्रशासन के अमेरिकी चुनाव हारने के बाद सेही जेलेंस्की ने रूस पर और भी हमलावर रुख अपना लिया है।
Drone Attack On Russia: रूस-यूक्रेन युद्ध में हर दिन एक नया मोड़ देखने को मिलता है, और इस संघर्ष में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक नई रणनीति अपनाई है। बाइडेन प्रशासन के अमेरिकी चुनाव हारने के बाद सेही जेलेंस्की ने रूस पर और भी हमलावर रुख अपना लिया है। उनके द्वारा रूस पर लगातार किए जा रहे हमलों के पीछे क्या कोई रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश है? इस सवाल का जवाब समझने के लिए हमें इस युद्ध के वर्तमान हालात पर नजर डालनी होगी।
व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन की शुरुआत की थी, लेकिन तीन साल बाद भी रूस को यूक्रेन पर निर्णायक जीत नहीं मिल पाई है। इसके उलट, जेलेंस्की की सेना ने न केवल रूस की सैन्य ताकत को चुनौती दी है, बल्कि रूसी शहरों में ड्रोन हमले करके उनकी डिफेंस सिस्टम की कलई भी खोल दी है। हाल ही में, यूक्रेनी सेना ने कजान शहर में कामाकाजी ड्रोन का इस्तेमाल करके रिहायशी इमारतों पर हमला किया, जिससे रूस के एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरियां उजागर हुईं।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 19 दिसंबर को कहा था कि वह यूक्रेन युद्ध पर समझौते के लिए तैयार हैं, लेकिन शर्तों के साथ। उनका कहना था कि कोई भी समझौता वैध यूक्रेनी अधिकारियों के साथ होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने रूस की कमजोर स्थिति के दावों को खारिज करते हुए कहा कि युद्ध के बाद रूस मजबूत हुआ है। दूसरी ओर, जेलेंस्की की लगातार हमलावर रणनीति यह संकेत देती है कि वह रूस पर अधिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तरह के समझौते के लिए मजबूर हो जाएं।
पुतिन ने हालांकि शांति की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि इस्तांबुल प्रस्ताव के आधार पर ही आगे बातचीत होनी चाहिए। इस प्रस्ताव को यूक्रेनी राजनेताओं ने आत्मसमर्पण के रूप में देखा था, इसलिए वे इससे सहमत नहीं थे। इस युद्ध के चलते हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के कारण वैश्विक राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है, खासकर पश्चिमी देशों और रूस के रिश्तों में खटास आई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जेलेंस्की अपनी आक्रामक रणनीति के जरिए रूस को किसी समझौते के लिए मजबूर कर रहे हैं? या फिर यह सब उनकी युद्ध में जीत पाने की कोशिश है?