World Economic Forum: "देशभक्त करोड़पतियों" की मांग, दुनिया बचानी है तो अमीरों पर टैक्स लगाएं सरकारें

करोड़पतियों का एक समूह स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सभा के विरोध में शामिल हो गया है। इस ग्रुप की मांग है कि सरकारें रईसों पर टैक्स लगाएं ताकि अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से निपटा जा सके।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 23 May 2022 1:17 PM GMT
World Economic Forum
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम। (Social Media)

World Economic Forum: करोड़पतियों का एक समूह स्विट्जरलैंड के दावोस (Davos of Switzerland) में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (world economic forum) की सभा के विरोध में शामिल हो गया है। इस ग्रुप की मांग है कि सरकारें रईसों पर टैक्स लगाएं ताकि अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से निपटा जा सके। खुद को "देशभक्त करोड़पति" के रूप में बताने वाले करने प्रदर्शनकारियों ने रविवार को फोरम के वार्षिक सम्मेलन (Forum Annual Conference) में भाग लेने वाले विश्व नेताओं से "दुनिया भर के कई देशों में चल रहे जीवन की लागत के घोटाले" से निपटने के लिए अमीरों पर तुरंत नए कर लगाने का आह्वान किया।

2022 में 263 मिलियन और लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेला

प्रतिष्ठित संगठन ऑक्सफैम ने हाल ही में कहा था कि बढ़ती असमानता 2022 में 263 मिलियन और लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल सकती है। इससे दशकों की प्रगति पर पानी फिर जाएगा। पूर्व व्यापार सलाहकार और "पैट्रियटिक मिलियनेयर्स यूके" (Patriotic Millionaires UK") के सदस्य फिल व्हाइट (member phil white) ने कहा - एक तरफ बाकी दुनिया आर्थिक संकट के बोझ तले दब रही है, वहीं अरबपति और विश्व के नेता महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए दावोस के इस निजी आरामगाह में बैठक

करते हैं। यह अपमानजनक है कि हमारे राजनीतिक नेता उन लोगों की सुनते हैं जिनके पास सबसे अधिक दौलत है, जो इस संकट के आर्थिक प्रभाव के बारे में सबसे कम जानते हैं, और जिनमें से कई सबसे कम कर भुगतान करते हैं। इस सम्मेलन का एकमात्र विश्वसनीय परिणाम यही होना चाहिए कि सबसे अमीरों पर कर लगाया जाए और अब हम पर कर लगाना है। दावोस 2022 (Davos 2022) में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों पर कर लगाएं।

ब्रिटेन में अब 653 अरब पाउंड के संयुक्त खजाने के साथ रिकॉर्ड 177 अरबपति

यह विरोध ऐसे समय में आया है जब यह पता चला था कि ब्रिटेन में अब 653 अरब पाउंड के संयुक्त खजाने के साथ रिकॉर्ड 177 अरबपति थे। तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि बढ़ते खाद्य और ऊर्जा बिलों के कारण अगले वर्ष ब्रिटेन के 250,000 से अधिक परिवारों के बर्बाद होने की आशंका है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च (National Institute for Economic and Social Research) के अनुसार, जब तक सरकार ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि से प्रभावित सबसे गरीब परिवारों की मदद करने के लिए काम नहीं करती है, तब तक अत्यधिक गरीबी में कुल संख्या लगभग 12 लाख हो जाएगी।

एक और "देशभक्त करोड़पति" मार्लीन एंगेलहॉर्न (marlene engelhorn) ने कहा कि "घोर असमानता" का एकमात्र समाधान यह मांग करना है कि सरकारें "मुझ पर टैक्स लगाएं, अमीरों पर टैक्स लगाएं"। दुनिया की दिग्गज कम्पनी "बीएएसएफ केमिकल" के संस्थापकों के उत्तराधिकारी एंजेलहॉर्न ने कहा - एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने अपने पूरे जीवन में धन के लाभों का आनंद लिया है, मुझे पता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी खराब है और मैं ये नहीं कर सकता कि किसी और द्वारा कुछ करने के लिए प्रतीक्षा करता रहूं। मुझे लगता है कि कार्रवाई करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

एंजेलहॉर्न ने "हैशटैग टैक्स मी नाउ" पहल की सह-स्थापना की है। उन्होंने कहा - हमारी सरकारें घोर असमानता को दूर करने के लिए कुछ भी नहीं कर रही हैं और इसके बजाय इस तमाशे में बंद दरवाजों के पीछे बैठक करती हैं। यह दुनिया को पुनर्संतुलित करने का समय है। यह अमीरों पर कर लगाने का समय है।

100 से अधिक अरबपति और करोड़पति शामिल

इस समूह में 100 से अधिक अरबपति और करोड़पति शामिल हैं। इनका विश्व नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है: अति-धनवानों को अधिक करों का भुगतान करना चाहिए।

Deepak Kumar

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