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World Elephant Day 2023: जानिये वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की देखरेख में रह रहे हाथियों के बारे में!

World Elephant Day 2023: तीन हाथी पुनर्वास सुविधाओं का प्रबंधन और संचालन करते हुए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस अब तक 50 से अधिक हाथियों की मदद करने में कामयाब रहा है। इन हाथियों को दुर्व्यवहार, क्रूरता और शारीरिक और मानसिक यातना की भयानक स्थितियों से बचाया गया है।

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Published on: 12 Aug 2023 6:33 PM IST
World Elephant Day 2023: जानिये वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की देखरेख में रह रहे हाथियों के बारे में!
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World Elephant Day 2023 (Photo: Social Media)

World Elephant Day 2023: तीन हाथी पुनर्वास सुविधाओं का प्रबंधन और संचालन करते हुए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस अब तक 50 से अधिक हाथियों की मदद करने में कामयाब रहा है। इन हाथियों को दुर्व्यवहार, क्रूरता और शारीरिक और मानसिक यातना की भयानक स्थितियों से बचाया गया है। पुनर्वास के बाद भी, ये हाथी अपने दैनिक जीवन के लिए मनुष्यों पर निर्भर रहते हैं।

12 अगस्त को हर साल विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना और इसके साथ ही उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना भी है। इस ही उद्देश्य को प्राथमिकता देते हुए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे हाथियों की देखभाल और वृद्ध हाथियों को प्रदान किए जाने वाली पशु चिकित्सा उपचार एक एहम भूमिका निभाती है।
तीन हाथी पुनर्वास सुविधाओं का प्रबंधन और संचालन करते हुए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस अब तक 50 से अधिक हाथियों की मदद करने में कामयाब रहा है। इन हाथियों को दुर्व्यवहार, क्रूरता और शारीरिक और मानसिक यातना की भयानक स्थितियों से बचाया गया है। पुनर्वास के बाद भी, ये हाथी अपने दैनिक जीवन के लिए मनुष्यों पर निर्भर रहते हैं।

सूजी संरक्षण केंद्र में सबसे उम्रदराज हथनी है-

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस. के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे नीना, भोला, हौली और सूजी ऐसे कुछ वृद्ध हाथी हैं, जिन्हें विशेष पशु चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। 70 वर्ष से अधिक उम्र की सूजी मथुरा में वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के संरक्षण केंद्र में सबसे उम्रदराज हथनी है। उसकी दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह खत्म हो गई है एवं उसके दांत भी नहीं है। इन स्वास्थ्य समस्याओं का ध्यान रखने के लिए, उसकी देखभाल करने वाले सदस्य सूजी का विशेष ध्यान रखते हैं, जब भी वो केंद्र से बाहर सैर पर जाती है तो यह सुनिश्च्चित करते हैं की किसी भी कंकड़ या बाधा को उसके नाजुक फुटपैड से दूर रखे और रास्ता साफ करते हैं। सूजी को खाने में वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की पशु चिकित्सा टीम फलों का पेस्ट बना कर देती है, जिसे ‘सूजी स्मूथी‘ के रूप में भी जाना जाता है।

60 वर्ष का भोला सबसे बूढ़ा नर हाथी है-

लगभग 60 वर्ष की आयु वाला भोला एक बूढ़ा नर हाथी है, जो दृष्टिहीन है और जिसकी पूंछ पर घाव भी हैं। उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, भोला के बाड़े के लेआउट और व्यवस्था में कभी बदलाव नहीं किया जाता। बाड़े में कोई नुकीला किनारा नहीं है। इसी तरह वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के रखरखाव में रह रही नीना एक 60 वर्षीय बुजुर्ग हथनी है, जो गंभीर रूप से अर्थराइटिस से पीड़ित है। वह पूरी तरह से अंधी भी है, जो संभवतः अंकुश जैसे नुकीले अस्त्रों के लगातार प्रयोग का परिणाम है।

इस तरह रखा जाता है ध्यान-

डॉ. एस. इलियाराजा, उप निदेशक- पशु चिकित्सा सेवाएं, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने बताया, “पशु चिकित्सा टीम जोड़ों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सावधानीपूर्वक लेजर थेरेपी और मसाज करती है, जिससे नीना को काफी राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, दर्द से निजात के लिए दवा, मल्टीविटामिन की खुराक और लीवर टॉनिक के साथ-साथ स्वस्थ और पौष्टिक आहार नीना की दिनचर्या में शामिल है।

हम इस बात को बढ़ावा देना चाहते हैं-

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “नीना, भोला और सूजी की तरह, जब हमने ऐसे और भी वृद्ध हाथियों को रेस्क्यू किया तब वह बेहद ही कमजोर, कुपोषित और घायल थे। हमारी देखरेख में काफी समय बिताने के बाद, आज वे अपने अतीत की यातनाओं से बाहर आ रहे हैं। विश्व हाथी दिवस पर, हम इस बात को बढ़ावा देना चाहते हैं, कि व्यावसायिक रूप से शोषित हाथियों के जीवन को कैसे बेहतर बनाया जा सके एवं उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा सके। आज अनुमान है, कि भारत में करीब 2,600 से अधिक बंदी हाथी हैं और इनको सहायता प्रदान करने के लिए बहुत ही अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। हम एक ऐसा भविष्य देखना चाहते हैं, जहां सड़कों पर हाथियों से भीख मंगवाना बंद हो सके।‘‘

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, ‘‘घायल, बीमार और वृद्ध हाथियों के इलाज के लिए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने नवंबर 2018 में मथुरा में भारत का पहला हाथी अस्पताल स्थापित किया। संयोग से, वृद्ध हाथियों में से एक, 60 वर्षीय हौली, अस्पताल में इलाज पाने वाली पहली हथनी बनी। लेजर थेरेपी और हाइड्रोथेरेपी जैसी सुविधाओं से लैस अस्पताल ने उसके इलाज को बेहतर बनाने में काफी मदद की है।”

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