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प्रदूषण का कोरोना से गहरा कनेक्शन, ऐसे इलाकों में दिख रहा वायरस का ज्यादा कहर
पूरी दुनिया में कहर ढाने वाले कोरोना वायरस के बारे में अब एक नया खुलासा हुआ है। कई प्रतिष्ठित संस्थानों के अध्ययनों से पता चला है कि पूरी दुनिया में यह वायरस उन शहरों में ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कहर ढाने वाले कोरोना वायरस के बारे में अब एक नया खुलासा हुआ है। कई प्रतिष्ठित संस्थानों के अध्ययनों से पता चला है कि पूरी दुनिया में यह वायरस उन शहरों में ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है। यह बात भारत में भी खरी उतरती है। भारत में दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, पुणे और चेन्नई में इस वायरस का कहर काफी ज्यादा दिख रहा है और इन शहरों में वायु प्रदूषण काफी ज्यादा है।
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भारत के इन महानगरों में मृत्यु दर ज्यादा
भारत में कोरोना केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं और देश के बड़े महानगरों में रिकॉर्ड संख्या में लोग इस वायरस का शिकार हो रहे हैं। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के 40 फ़ीसदी मामले मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई और पुणे महानगरों में हैं। महानगरों में कोरोना से होने वाली मौतों की दर भी देश के औसत से ज्यादा है। यहां कोरोना से मृत्यु दर 3.85 प्रतिशत है जो देश की औसत मृत्यु दर 2.8 प्रतिशत से अधिक है। छत्तीसगढ़ के राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र की ओर से किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है।
अमेरिका में भी प्रदूषण से बढ़ीं मौतें
अमेरिका में भी उन इलाकों में मौतें ज्यादा हुई हैं जहां प्रदूषण का स्तर अधिक है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन बताया गया है कि जिन इलाकों में प्रदूषण का स्तर अधिक है, वहां कोरोना से होने वाली मौतों की दर 15 फीसदी रही है। अध्ययन के मुताबिक जो लोग 2.5 पीएम के उच्च स्तर वाले प्रदूषित इलाकों में रह रहे हैं, उनकी मौत की आशंका 15% बढ़ जाती है। इस स्टडी में बताया गया है कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका के कई इलाकों में पीएम 2.5 का स्तर एक क्यूबिक मीटर में 13 माइक्रोग्राम रहा। प्रदूषण का यह स्तर अमेरिकी औसत 8.4 से काफी अधिक है। अध्ययन के मुताबिक अगर मैनहट्टन में प्रति क्यूबिक मीटर एक माइक्रोग्राम प्रदूषण कम होता तो 248 मौतें कम होतीं।
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चीन में प्रदूषित शहरों में संक्रमण ज्यादा
चीन में भी प्रदूषण के कोरोना वायरस से कनेक्शन का खुलासा हुआ है। चीनी शोधकर्ताओं ने चीन के 120 शहरों के प्रदूषण स्तर को कोरोना के संक्रमण से जोड़ा है। चीनी शोधकर्ताओं के मुताबिक यहां एक क्यूबिक मीटर में 10 माइक्रोग्राम कणों की वृद्धि के कारण कोरोना के पॉजिटिव मामलों में बढ़ोतरी पाई गई। चीन में वायरस संक्रमण से होने वाली मौतों को प्रदूषण से पहली बार जोड़कर नहीं देखा गया है। इससे पहले 2003 में सार्स के मरीजों पर किए गए शोध में भी यही बात निकलकर सामने आई थी। चीनी शोधकर्ताओं के मुताबिक यदि मरीज उच्च स्तर के प्रदूषण वाले इलाकों में रहते तो इसका असर मृतकों की संख्या में 84% की बढ़ोतरी के साथ दिखता।
इटली में भी प्रदूषण ने ली जान
इटसी भी कोरोना से काफी प्रभावित रहा है और यहां भी अध्ययन में इस बात का पता चला है कि प्रदूषण के कारण मौतों की संख्या बढ़ी है। उत्तरी इटली के लोम्बार्डी और एमिलिया रोमाग्ना इलाके में मृत्यु दर 12% थी जबकि बाकी इटली में मृत्यु दर 4.5 प्रतिशत थी। इसका प्रमुख कारण प्रदूषण भी बताया जा रहा है। यहां के एक रिसर्च के मुताबिक हवा से फैले छोटे कणों ने कोरोना वायरस को फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
यहां किए गए एक अन्य रिसर्च में बताया गया है कि इंफ्लुएंजा, सांस नली को प्रभावित करने वाले अन्य वायरस और चेचक का संक्रमण भी वायु कणों के सहारे ही हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषण में कमी लाकर भी वायरस के फैलाव को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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