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Hydrogen Train: गेमचेंजर बनेंगी हाइड्रोजन ट्रेन, सस्ती और प्रदूषण मुक्त

Hydrogen Train: जर्मनी ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को चलाकर इस बड़ी क्रांति की ओर एक कदम बढ़ाया है।

Neel Mani Lal
Published on: 16 Sept 2022 5:13 PM IST
Hydrogen Train in Germany
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Hydrogen Train in Germany (social media)

Hydrogen Train: जर्मनी ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को चलाकर इस बड़ी क्रांति की ओर एक कदम बढ़ाया है। तेल, बिजली या कोयले से हाइड्रोजन सेल ईंधन ज्यादा सस्ता, प्रदूषण मुक्त और प्राकृतिक है। इसके उपयोग से प्राकृतिक संसाधनों पर कोई दबाव नहीं पड़ता है। हाइड्रोजन ट्रेनों का परीक्षण चार साल पहले शुरू हुआ था, और उनकी प्रारंभिक कार्यान्वयन तिथि 2021 में होनी थी। कोरोना महामारी ने उस समयरेखा को तोड़ दिया, लेकिन पिछले महीने के अंत में ट्रेनों को बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम ने यात्री सेवा शुरू करने की घोषणा की।

अगस्त में पांच कोराडिया आईलिंट ट्रेनों ने यात्रियों को ले जाना शुरू किया है। नौ और ट्रेनें और इस साल के अंत तक डीजल ट्रेनों की जगह ले लेंगी। हाइड्रोजन ट्रेनों के संचालन से सिर्फ भाप और पानी निकलता है। ट्रेन संचालन में जो भी हीट उत्पन्न होती है उसका उपयोग ट्रेन की हीटिंग और एयर कंडीशनिंग सिस्टम को बिजली देने में मदद के लिए किया जाता है। एक बार चार्ज होने पर हाइड्रोजन ट्रेन 1,000 किलोमीटर तक जाती है। उनकी अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटा है।

यह हाइड्रो पावर

हाइड्रोजन शक्ति का एक आशाजनक लेकिन जटिल स्रोत है। इसका ऊर्जा घनत्व बड़े पैमाने पर डीज़ल की तुलना में लगभग तीन गुना है, लेकिन मात्रा के आधार पर यह बहुत कम घना है, जिसका अर्थ है कि समान मात्रा से अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए इसे कंप्रेस करने की आवश्यकता पड़ती है। 1 किलोग्राम हाइड्रोजन ईंधन एक ट्रेन को लगभग 4.5 किलो डीजल के समान समय और दूरी तक चला सकता है।हाइड्रोजन ईंधन स्वयं में ग्रीन एनर्जी है। वर्तमान में अधिकांश हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि प्राकृतिक गैस है, जो कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है।

भारत भी तैयार

जर्मनी के बाद अब भारत में भी हाइड्रोजन चालित ट्रेनें चलेंगीं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज घोषणा की कि भारत 2023 तक हाइड्रोजन से चलने वाली अपनी पहली ट्रेन प्राप्त करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जर्मनी द्वारा हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों के पहले बेड़े का परीक्षण करने के कुछ दिनों बाद यह घोषणा की गई है। मंत्री ने यह भी घोषणा की कि मंत्रालय गति शक्ति टर्मिनल नीति पर काम कर रहा है और रेलवे नेटवर्क के माध्यम से दूर और अनारक्षित जिलों को जोड़ने की उम्मीद करता है।

प्रदूषण से त्रस्त भारत जैसे देश के लिए हाइड्रोजन से चलने वाली नॉन-टॉक्सिक और जीरो-एमिशन ट्रेनें गेम चेंजर बन सकती हैं। बीते अगस्त में जर्मनी ने दुनिया का पहला हाइड्रोजन संचालित ट्रेन बेड़ा लॉन्च किया, जिसकी लागत 92 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है। भारत को हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों में ईंधन सेल मॉड्यूल की आपूर्ति करने वाले "बैलार्ड" कैम्पनी ने कहा है कि यह बदलाव वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 11 मीट्रिक टन तक कम कर सकता है।

अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों के विकास में लगा हुआ है और वे 2023 में तैयार हो जाएंगी। रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रेलवे डीजल से चलने वाले इंजनों को हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनों में परिवर्तित कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद खंड पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का परीक्षण करेगा।ईंधन सेल और स्वच्छ ऊर्जा की दिग्गज कंपनी बैलार्ड ने कथित तौर पर भारत में फ्यूल सेल के व्यावसायीकरण पर चर्चा करने के लिए अडानी समूह के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों पक्ष भारत में ईंधन सेल निर्माण के अवसरों को कॉन्फ़िगर करेंगे।



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Prashant Dixit

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