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सबसे बड़ा ड्रग्स रैकेट: क्या आप जानते हैं ? भारत के इस राज्य से जुड़ा है नाम

25 सितम्बर 2018 को इंदौर में मनु गुप्ता, एक मेक्सिकन नागरिक सालिस फर्नांडीज और एक भारतीय केमिस्ट मोहम्मद सिद्दीक गिरफ्तार किये जाते हैं।

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Published on: 9 Dec 2020 9:26 AM GMT
सबसे बड़ा ड्रग्स रैकेट: क्या आप जानते हैं ? भारत के इस राज्य से जुड़ा है नाम
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सबसे बड़े ड्रग्स रैकेट: क्या आप जानते हैं ? भारत के इस राज्य से जुड़ा है नाम (PC: social media)

लखनऊ: मेक्सिको का ड्रग्स कार्टेल दुनिया का सबसे खतरनाक और शक्तिशाली गिरोह है जिसके तार पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और अब इसमें भारत का नाम भी जुड़ गया है।

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मेक्सिको की एक इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कंपनी टकीला, कृषि और रासायनिक प्रोडक्ट्स का व्यापार करती है जिसका एक कर्मचारी है कार्लोस। वो जनवरी 2016 में अपने दो सहयोगियों के सतह चीन, हांगकांग, जापान होते हुए भारत पहुंचा। भारत में ये लोग इंदौर, मध्यप्रदेश गए जहाँ इनकी मुलाकात मनु गुप्ता से हुई जो खुद भी केमिकल, फार्मा, कृषि और खाद्य प्रोडक्ट्स के अलावा बालू और मशीनरी का बिजनेस करता था।

25 सितम्बर 2018 को इंदौर में मनु गुप्ता, एक मेक्सिकन नागरिक सालिस फर्नांडीज और एक भारतीय केमिस्ट मोहम्मद सिद्दीक गिरफ्तार किये जाते हैं। जब ये लोग पकड़े गए तो वे मास्क और ग्लव्स पहने हुए थे और इनके पास 10 किलो से भी ज्यादा फेंटानिल था। फेंटानिल एक बहुत ताकतवर सिंथेटिक ड्रग है। ये मार्फीन से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है लेकिन कीमत इसकी कम होती है। यही वजह है कि ड्रग्स के धंधेबाजों के लिए ये केमिकल बहुत काम की चीज है। फेंटानिल ड्रग इतनी घातक होती है कि दो मिलीग्राम लेने से भी जान जा सकती है।

मनु गुप्ता और उसके साथियों पर आरोप है कि वे इस केमिकल को एक सूटकेस में छिपा कर फ्लाइट द्वारा मेक्सिको भेजने की प्लानिंग कर रहे थे। ये तीनों अभी जेल में बंद हैं और मुकदमा शुरू होने का इन्तजार कर रहे हैं।

कौन है कार्लोस

भारत में मेक्सिकन नागरिक की गिरफ्तारे से पता चलता है कि मेक्सिको का दुर्दांत सिनालोआ कार्टेल किस तरह इंटरनेशनल नेटवर्क फैलाए हुए है और किस तरह वो फेंटानिल बाजार को कंट्रोल करने के लिए एक अलग तरह की बिजनेस रणनीति अपनाये है। सिनलोआ कार्टेल के सबसे कुख्यात सरगना जोआकिन अल चापो की गिरफ्तारी के बावजूद ये कार्टेल ड्रग के धंधे में सबसे शक्तिशाली गिरोह बना हुआ है।

सिनालोआ कार्टेल मेक्सिको से फेंटानिल अमेरिका तस्करी द्वारा भेजता है जहाँ इसकी बहुत डिमांड है। ये मार्फीन से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है लेकिन कीमत इसकी कम होती है। यही वजह है कि ड्रग्स के धंधेबाजों के लिए ये केमिकल बहुत काम की चीज है। ड्रग्स के कारोबार में अब फेंटानिल ने हेरोइन की जगह ले ली है। 2018 में अमेरिका में फेंटानिल और उसके जैसी अन्य सिठेतिक ड्रग्स की ओवरडोज़ के कारण 35 हजार मौतें हुईं थीं। इस साल कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी इन ड्रग्स की ओवरडोज़ के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं।

drugs drugs (PC: social media)

अब खेती नहीं होती

मेक्सिको के सिनालोआ और गुएर्रेरो राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ समय पहले छोटे किसान गांजा और अफीम की खेती करके जीवन यापन करते थे लेकिन अब इन फसलों की जगह सीक्रेट लैब्स ने ले ली है जहाँ सिंथेटिक ड्रग्स बनाई जातीं हैं। इन लैब्स में केमिस्ट्री की उच्च शिक्षा पाए हुए लोग काम करते हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार फेंटानिल की लत लगाने के लिए सिर्फ एक गोली का इस्तेमाल ही काफी है। 2019 की डीईए की एक रिपोर्ट के अनुसार फेंटानिल की एक गोली बनाने की लागत एक डालर आती है जबकि अमेरिका में ये दस गुना ज्यादा पर बेची जाती है। यही वजह है कि ड्रग्स कार्टेल का पूरा फोकस इसी पर है।

चीन था मुख्य केंद्र

हाल के दिनों तक अमेरिका में बिकने वाली अधिकांश फेंटानिल चीन से आती थी लेकिन 2017 में सख्त अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों और 2019 में चीन सरकार की आन्तरिक सख्ती के चलते फेंटानिल को चीन से अमेरिका सीधे भेजना बहुत जोखिम वाला काम हो गया। फिर भी चीन फेंटानिल बनाने वाले केमिकल का मुख्य उत्पादक बना रहा। चीन के उत्पादकों और सिनालोआ कार्टेल ने फेंटानिल बनाने के केंद्र विएतनाम और भारत में खड़े कर दिए। बताया जाता है कि ये केंद्र छोटे लेवल के और बेहद गोपनीय थे जिनको अन्य धंधों की आड़ में चलाया जाने लगा। समझा जाता है कि ऐसे ही एक केंद्र से फेंटानिल लेने मेक्सिको से लोग भारत आए थे और यहाँ पकड़े गए।

यह है मामला

सितंबर 2018 में इंदौर के पोलोग्राउंड में छापे के दौरान 10 किलो से ज्यादा फेंटानिल ड्रग मिली थी जिसकी कीमत 117 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस मामले में मनु गुप्ता समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2019 में मुंबई में भी चार लोगों के पास से सौ किलो फेंटानिल मिली थी, जिसकी कीमत करीब एक हजार करोड़ बताई जाती है। जांच एजेंसियों ने बताया था कि यह ड्रग मुंबई से होते हुए मैक्सिको ड्रग्स रैकेट के माध्यम से अमेरिका जा रही थी। ड्रग रैकेट का मास्टरमाइंड मोहम्मद सिद्दीक को बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, केमिस्ट होने के कारण उसे दवा के फॉर्मूले से लेकर निर्माण तक की जानकारी थी। मनु गुप्ता इसमें भागीदार बताया जा रहा है। सिद्दीक ने मैक्सिकन नागरिक के साथ संबंध बनाकर रैकेट खड़ा किया।

drugs drugs (PC: social media)

डीआरआई के अफसरों के अनुसार देश से फेंटानिल की यह पहली जब्ती है। इस ड्रग के उत्पादन के लिए जिस तरह की कुशलता की जरूरत होती है वह केवल प्रशिक्षित वैज्ञानिक ही कर सकता है। फेंटानिल का सीमित इस्तेमाल कर बेहोशी और दर्द निवारक दवा तैयार की जाती है। यह ड्रग अगर मानव शरीर में चली जाए तो इसकी दो मिलीग्राम मात्रा ही मौत की नींद सुलाने के लिए काफी है। आमतौर पर अमेरिकी ड्रग गिरोह द्वारा फेंटानिल की तस्करी की जाती है और उसकी गोलियां बनाकर महंगे दामों में अलग-अलग नामों से बेची जाती है।

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दर्द निवारक के लिए इस्तेमाल होता है

- सिंथेटिक ड्रग फेंटानिल हाइडोक्लोराइड एक तरह का केमिकल है, जो दर्द निवारक दवाइयां बनाने में इस्तेमाल होता है।

- फेंटानिल का सेवन काफी खतरनाक है। यह हेरोइन से 50 गुना और मॉर्फिन से 100 गुना ज्यादा नशीला है।

- एक किलो फेंटानिल दवा बनाने में लगभग पांच लाख रुपए का खर्च आता है। मगर इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

- जानकारों के मुताबिक एक किलो पेंटानिल से 10 लाख गोलियां बनाई जा सकती है।

- फेंटानिल का इस्तेमाल दर्द निवारक दवाइयां बनाने में होता है। मगर डॉक्टर डिप्रेशन के मरीजों को भी यह दवा देते हैं। यह ओपियोड नाम से पहचाने जानी वाली दवाइयों के समूह में शामिल है। जिसे कैंसर, तंत्रिका क्षति, पीठ की चोट समेत कई बीमारियों के इलाज में देते हैं।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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