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फेसबुक पर लगाम लगाने की तैयारी, दुनिया के कई देशों ने उठाया बड़ा कदम
फेसबुक को लेकर सिर्फ भारत में ही सियासत नहीं गरमाई हुई है बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी इसे लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
नई दिल्ली: फेसबुक को लेकर सिर्फ भारत में ही सियासत नहीं गरमाई हुई है बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी इसे लेकर माहौल गरमाया हुआ है। दरअसल सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने का मामला पूरी दुनिया में तेज होता जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया फेसबुक के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी की जा रही है। फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और मलेशिया समेत कई देश अपने कानून को और कड़ा करने जा रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने की वजह से इसे लेकर आवाज लगातार तेज होती जा रही है। दुनिया के तमाम देशों में उठाए जा रहे कदमों का फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर समेत सोशल वेबसाइटों पर सीधा असर पड़ना तय माना जा रहा है।
खबरें चलाने पर देना होगा पैसा
ऑस्ट्रेलिया में इस बाबत एक कानून के मसौदे पर काम किया जा रहा है। इसके तहत गूगल और फेसबुक दोनों को मीडिया कंपनियों से ली गई समाचार सामग्रियों के लिए पैसा चुकाना पड़ेगा। ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस कदम से फर्जी सूचनाओं को दायरे में लाने के साथ ही कंपनियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी।
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हालांकि फेसबुक ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस कदम पर गहरी नाराजगी जताई है। फेसबुक की ओर से चेतावनी दी गई है कि अगर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐसा कदम उठाया तो ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को फेसबुक व इंस्टाग्राम पर स्टोरी पोस्ट करने से रोक दिया जाएगा।
अमेरिका में तेज हुई पाबंदी की मांग
अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भी फेसबुक पर झूठी खबरों का मामला गरमाया था। राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया था कि फेसबुक झूठी खबरों का प्रसार रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा।
facebook-logo (social media)
इस बार भी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी देश में फेसबुक के साथ ही अन्य सोशल मीडिया साइटों पर पाबंदियां लगाने की मांग हो रही है। सरकार इस बाबत कुछ दिशा निर्देश जारी करने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से इस बाबत कदम उठाए जाएंगे।
अमेरिका में बनी विशेषज्ञों की टीम
अमेरिका में 17 विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है। यह टीम पता लगाएगी कि चुनाव को प्रभावित करने में फेसबुक की कोई भूमिका है या नहीं। इस टीम में राजनीति, समाज और सोशल मीडिया क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। खुद फेसबुक की ओर से इस बाबत जानकारी दी गई है।
दो विश्वविद्यालयों में होगा रिसर्च
फेसबुक के बयान में बताया गया है कि न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय व टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इस बाबत रिसर्च भी करेंगे। रिसर्च पर आने वाला पूरा खर्च भी फेसबुक की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा। फेसबुक का कहना है कि विशेषज्ञ जांच करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं और हम उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं। फेसबुक का कहना है कि शोध के लिए वह अपना अंतरिक डाटा अध्ययनकर्ताओं से साझा करेगा ताकि इसके जरिए सोशल मीडिया के राजनीतिक असर की गहराई से पड़ताल कर सकें।
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कई अन्य देशों ने भी उठाया कदम
तुर्की सरकार ने हाल में एक नया कानून बनाकर सोशल मीडिया को अपने हाथों में ले लिया है। ब्रिटेन ने फेसबुक पर प्रसारित की जाने वाली हानिकारक सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ड्यूटी आफ केयर नियम बनाया है। मलेशिया में फर्जी न्यूज़ फैलाने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अगर सोशल मीडिया कंपनी कार्रवाई नहीं करती है तो उसे भी इस दायरे में जाने की तैयारी है।
कई देशों में पहले से पाबंदी
उत्तर कोरिया, ईरान, क्यूबा, सीरिया, इजिप्ट, मॉरीशस, वियतनाम और पाकिस्तान में पहले से ही फेसबुक और टि्वटर समेत सभी सोशल मीडिया साइटों पर पाबंदियां हैं। इनमें से कुछ देशों में पूरी तरह पाबंदी नहीं है मगर वहां नेटवर्क की समस्या होने के कारण फेसबुक चलाना आसान काम भी नहीं है।
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भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह का आरोप
भारत में भी फेसबुक को लेकर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक इंडिया पर दक्षिणपंथी विचारधारा के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। उनका यह भी कहना है कि फेसबुक इंडिया के अधिकारी पीएम नरेंद्र मोदी और कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि ये बातें बाकायदा रिकॉर्ड में हैं। इसके बावजूद ऐसे अफसर फेसबुक इंडिया में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं।
रविशंकर ने लिखा जुकरबर्ग को पत्र
उन्होंने इस बाबत फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखकर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि ऐसी जानकारी मिली है कि फेसबुक इंडिया में कार्यरत ये वरिष्ठ अफसर एक खास विचारधारा के हैं। उन्होंने मीडिया में फेसबुक से संबंधित जानकारियों को लीक करने के लिए भी इसी विचारधारा के लोगों को जिम्मेदार ठहराया है।
कांग्रेस ने लगाया बड़ा आरोप
उधर कांग्रेस ने फेसबुक एवं भाजपा के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि भारत के लोकतंत्र एवं सामाजिक सद्भाव पर किया गया हमला एक बार फिर बेनकाब हुआ है। कांग्रेस ने अपने दावे की पुष्टि के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों की खबरों का हवाला दिया है।
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राहुल बोले-फेसबुक और व्हाट्सएप बेनकाब
पार्टी ने इस पूरे प्रकरण की तत्काल जांच कराने की मांग की है ताकि दोषी पाए जाने वाले लोगों को दंडित किया जा सके। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक अमेरिकी अखबार की हालिया खबर को ट्विटर पर शेयर करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भारत के लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव पर फेसबुक एवं व्हाट्सएप के हमले को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है।
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