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World Shortest War History: कहानी सबसे छोटे युद्ध की, आइये जाने इसके इतिहास के बारे में

World Shortest War History: यह लड़ाई 1896 में ज़ांज़ीबार और इंग्लैंड के बीच शुरु हुई ।इस लड़ाई का मक़सद अपनी सत्ता का विस्तार करना था । 1890 में ज़ांज़ीबार को लेकर ब्रिटेन और जर्मनी के बीच संधि पर हस्ताक्षर किये गये।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 29 Sept 2023 9:03 AM IST
World Shortest War
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World Shortest War  (photo: social media )

World Shortest War History: आपने युद्ध के बारे में सुना होगा । जिसमें दो देश आपस में लड़ते थे। सालों साल लड़ाई होती थी। हज़ारों ,लाखों लोग मारे जाते थे।पर एक युद्ध ऐसा भी हुआ था, जो सालों साल नहीं बल्कि 38 मिनट तक ही चला और समाप्त हो गया ।यह युद्ध इंग्लैंड और ज़ांज़ीबार के बीच लड़ा गया ।इसे इतिहास का सबसे छोटा युद्ध भी कहा जाता है।

यह लड़ाई 1896 में ज़ांज़ीबार और इंग्लैंड के बीच शुरु हुई ।इस लड़ाई का मक़सद अपनी सत्ता का विस्तार करना था । 1890 में ज़ांज़ीबार को लेकर ब्रिटेन और जर्मनी के बीच संधि पर हस्ताक्षर किये गये।इस संधि के माध्यम से ब्रिटेन को पूर्वी अफ़्रीका के ज़ांज़ीबार की सत्ता सौंप दी गई और तंज़ानिया जर्मनी के पास आ गया।

हमद बिन तुवानी ने ज़ांज़ीबार में शासन किया

ज़ांज़ीबार की देखभाल के लिए वहाँ के ही एक शासक को नियुक्त किया ।1893 से 1896 तक हमद बिन तुवानी ने काफ़ी शांतिपूर्ण तरीके से वहां शासन किया। पर 25 अगस्त, 1896 को तुवानी की मौत हो गई।इसके बाद तुवानी के भतीजे ख़ालिद बिन बर्गश ने ख़ुद को ज़ांज़ीबार का सुल्तान घोषित कर दिया ।कहा जाता है बर्गश ने सत्ता के लोभ में आ कर ख़ालिद ने तुवानी को ज़हर दे कर मार दिया था।


ख़ालिद के शासन से वहाँ के लोग और ब्रिटिश अधिकारी दोनों परेशान थे ।जिस वजह से ब्रिटिश चीफ़ बेसिल केव ने ख़ालिद को सुल्तान पद से हटने का निर्देश सुनाया।पर सत्ता में चूर ख़ालिद ने चीफ़ का आदेश मानने से मना कर दिया और 3000 हज़ार सैनिकों को हथियार के साथ महल की सुरक्षा में खड़ा कर दिया।ब्रिटिश अधिकारियों ने इस मसले को शांतिपूर्वक तरीक़े से सुलझाने की बहुत कोशिश की पर ख़ालिद गद्दी छोड़ने को तैयार नहीं था ।ब्रिटिश सरकार ने 26 अगस्त को सुल्तान ख़ालिद को अगले दिन सुबह 9 बजे तक गद्दी छोड़ने का आख़िरी आदेश दिया ।


ब्रिटेन के जंगी जहाज़ रणयुद्ध के लिये तैयार

अब ब्रिटिश अधिकारियों के पास युद्ध के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था।इसलिए चीफ़ के आदेश पर ब्रिटेन के जंगी जहाज़ भी रणयुद्ध के लिये तैयार थे।इसके बाद भी ख़ालिद ने महल जब ख़ाली नहीं किया तो सुबह करीब 9:02 मिनट पर ब्रिटिश सेना ने महल पर हमला कर ख़ालिद की सेना को परास्त कर दिया और करीब 9 बजकर 40 मिनट में यह युद्ध समाप्त हो गया ।इंग्लैंड की मज़बूत रणनीति और सैनिक बल की शक्ति देखते हुए ज़ांज़ीबार ने युद्ध की शुरुआत होते ही इंग्लैंड के सामने घुटने टेक दिये, जिससे ये जंग वहीं समाप्त हो गई।


हालाँकि दिसंबर 1963 में जांजीबार ब्रिटेन से आजाद हो गया था। लेकिन इसके एक महीने बाद ही यहां एक खूनी क्रांति हुई। जिसमें हजारों अरबी और भारतीय मारे गए ।इसके कुछ ही महीने बाद जांजीबार और पेम्बा दोनों गणराज्य को तन्गानिका में शामिल कर लिया गया। फिर बाद में तन्गानिका और जांजीबार के संयुक्त गणराज्य को यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया नाम दिया गया। हालांकि जांजीबार में अलग सरकार है, जिसे 'रिवॉल्यूशनरी गवर्नमेंट ऑफ जांजीबार' के नाम से जाना जाता है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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