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महामारियों का 20 से गजब संयोग: लाखों मौतों का है इतिहास गवाह, खत्म होने में लगा इतना समय

वर्तमान दौर में पूरा विश्व कोरोना वायरस से परेशान है। भारत में भी इसकी दूसरी लहर पहली लहर से कहीं अधिक घातक

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Vidushi Mishra
Published on: 8 April 2021 6:06 AM GMT
महामारियों का 20 से गजब संयोग: लाखों मौतों का है इतिहास गवाह, खत्म होने में लगा इतना समय
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फोटो-सोशल मीडिया

नई दिल्ली। वर्तमान दौर में पूरा विश्व कोरोना वायरस से परेशान है। भारत में भी इसकी दूसरी लहर पहली लहर से कहीं अधिक घातक साबित हो रही है। सरकार युद्ध स्तर पर इससे मुकाबले में जुटी है। लोगों में संक्रमण की गति को नियंत्रित करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है। लेकिन क्या आपको पता है तकरीबन हर सौ साल पर एक विनाशकारी महामारी आती रही है। और यह अपने प्रसार की अवधि में बड़ी संख्या में मानव जाति का विनाश करके जाती है। इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि महामारी हर सौ साल पर अपने ढंग से विनाश का दर्दनाक इतिहास लिखती रही है। लेकिन यह अद्भुत संयोग है कि जब जब ईसवी सन की इकाई दहाई के अंक में 20 आता है। मानव जाति सिहर जाती है।

मारे गए लाखों लोग

1520 में प्लेग व चेचकः


इतिहास को खंगालें तो यह 1520 से इसका उल्लेख मिल जाता है। 15वीं सदी में जब 20 ईसवी सन आया तो अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग का प्रकोप हुआ जिसके कारण काफी बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस महामारी की अवधि लगभग पांच साल रही।

1620 में प्लेग फैलाः

अगर इसको संयोग मानें तो 16वीं सदी में जब ईसवी सन 20 आया तो फिर इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुकसान पहुंचा कर चला गया। यहां तक कि 1620 में केवल इटली में ही 17 लाख लोग प्लेग से मारे गए थे। इसके अलावा उत्तरी अफ्रीका में 50000 लोग मारे गए थे। इसी साल बुबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग एक लाख लोगों की जान ली। यह महामारी भी लगभग तीन चार साल तक रही।

1720 में प्लेग का वायरस फिर फैलाः इस साल फ्रांस के मार्सिले शहर से प्लेग महामारी फैली जो बाद में वैश्विक आपदा बनी। इसमें कुल एक करोड़ लोगों की जान गई। यह संख्या उस समय दुनिया की जनसंख्या का 20 फीसद थी। इसका खौफ इतना था कि लोग किसी भी चीज को छूने तक से घबराते थे। यहां तक कि लाशों को भी कफन नसीब नहीं होता था। यह महामारी भी तीन चार साल में अपने आप गई।

1820 में हैजा कालरा का वायरस फैलाः


1820 में जानलेवा बीमारी हैजा (कॉलरा) ने सबसे पहले थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस को अपनी चपेट में लिया। अकेले जावा द्वीप पर हैजा फैलने से एक लाख लोगों की मौत हुई।

1920 में स्पेनिश फ्लूः इसने लीं आठ करोड़ जानें। 1920 में दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस यानी स्पेनिश फ्लू (एन्फ्लुएंजा) ने तबाही मचाई। स्पेनिश फ्लू ने दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी को अपना शिकार बना लिया था। यह वायरस सबसे पहले यूरोप, यूनाइटेड स्टेट्स और एशिया के कुछ हिस्सों में फैला और करीब आठ करोड़ लोगों की जिंदगी खत्म कर दी थी। यह वायरस एच1एन1 फ्लू था, जो कि खांसी, छींकने के दौरान निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से फैलता है। इस वायरस ने सबसे ज्यादा स्पेन में तबाही मचाई थी, जिस वजह से इसे स्पेनिश फ्लू के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन 1925-26 तक धीरे धीरे यह महामारी भी विदा हो गई।

2020 में कोविड-19: कोविड जिसे कोरोना भी कहते हैं। इस महामारी के बारे में अभी तय नहीं है कि यह मानव जनित है या प्रकृति का दंड। लेकिन स्पेनिश फ्लू की तरह 2019 में इसकी शुरुआत हुई। 2020 में तबाही मचाने के बाद यह तेजी से फैल रहा है। अगर 2021 इसका पीक है तो इस महामारी को जाने में अभी लगभग दो साल और लग सकते हैं। तब तक मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही हमें त्रासदी से बचा सकता है।

Vidushi Mishra

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