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World Tuberculosis Day 2022: टीबी से बच कर रहिए, दुनिया में सबसे ज्यादा मरीज भारत में
World Tuberculosis Day 2022: यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी एक घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया की वजह से होती है।
World Tuberculosis Day 2022: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में टीबी यानी तपेदिक (Tuberculosis) के सबसे ज्यादा मरीज भारत में मिलते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में टीबी के दुनिया भर में आए कुल मामलों में 26 प्रतिशत भारत से थे यानी दुनिया का हर चौथा मरीज भारत (India) से था। दूसरे नंबर पर इंडोनेशिया (Indonesia) और तीसरे नंबर पर चीन (China) है।
क्या है टीबी (Tuberculosis)?
यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी एक घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया की वजह से होती है। आमतौर पर टीबी फेफड़ों पर हमला करती है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। टीबी का माइक्रोबैक्टेरिया हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित मरीज खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार फैला देते हैं। अगर एक्टिव संक्रमित का इलाज ना किया जाए तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50 फीसदी से अधिक की मृत्यु हो जाती है।
एक साल में 90 हजार मौतें
2021 में जारी वार्षिक टीबी रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में देश में टीबी के 18.05 लाख केस सामने आए थे। वहीं 2019 में 24.03 लाख केस आए थे। केस कम होने के पीछे कोरोना महामारी के कारण टीबी मरीजों का अस्पतालों में जांच न करवाना अहम कारण था। 2019 में टीबी से करीब 90 हजार लोगों की जान गई थी। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी की बीमारी को देश से पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया था। हालांकि कोरोना महामारी (Corona Virus Mahamari) के चलते पिछले 2 साल में इस दिशा में किया जाने वाला काम प्रभावित हुआ है।
दो तरह की टीबी
टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लासिस नामक बैक्टीरिया से होती है। यह भी कोरोना की तरह एक संक्रामक रोग है। यह सीधा फेफड़ों पर हमला करती है। इसके बाद यह दिमाग या रीढ़ की हड्डी समेत शहर के बाकी हिस्सों में फैल जाती है। एन्टी टीबी बैक्टीरियल दवाओं से यह बीमारी ठीक हो जाती है मगर इसे कई महीने नियमित रूप से खाना पड़ता है। ट्यूबरक्लोसिस दो तरह का होता है। लेटेंट (Latent TB) और एक्टिव (Active TB)।
लेटेंट टीबी में आमतौर पर लोग बीमार नहीं पड़ते हैं। इसमें शरीर में कीटाणु तो होते हैं लेकिन उन्हें फैलने से इम्यून सिस्टम रोक देता है। यह संक्रामक नहीं होता और इसके लक्षण भी नहीं दिखते। वहीं एक्टिव टीबी में कीटाणु तेजी से शरीर में फैलते हैं और व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। एक्टिव टीबी में 3 सप्ताह से ज्यादा समय तक कफ बना रह सकता है। इस दौरान छाती में दर्द, थकान, रात को पसीना आना, ठंड लगना, बुखार चढ़ना, भूख न लगना और वजन कम होना इसके लक्षण हो सकते हैं।
किनको खतरा
एचआईवी मरीजों, अस्पतालकर्मी, धूम्रपान करने वालों, नम और बन्द जगह में रहने वालों, लगातार धुंए के संपर्क में रहने वालों को टीबी होने की ज्यादा संभावना रहती है। इसके अलावा डायबिटीज, किडनी, कैंसर से ग्रसित मरीजों, अर्थराइटिस, सोरायसिस एवं क्रोहन रोग की दवाएं लेने वालों में भी इस रोग के होने का खतरा रहता है।
टी.बी. की जांच कहां (TB Test)?
अगर तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी हो तो नजदीक के सरकारी अस्पताल/ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र , जहॉं बलगम की जॉंच होती है, वहॉं बलगम के तीन नमूनों की जॉंच करायें। टी.बी. की जॉंच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त किया जाता है।
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