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World Water Day: पृथ्वी पर खुद को बचाना है तो बचाना होगा पानी, अमूल्य है जल
World Water Day: आज जल संकट समूचे विश्व की गंभीर समस्या है। हालात इतने खराब हैं कि दुनिया के 37 देश पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं।
World Water Day: गर्मियों का मौसम आ गया है और पानी की किल्लत धीरे धीरे महसूस होने लगी है। आने वाले दिनों में ये कमी और भी ज्यादा होती जाएगी। पानी बचाने की जरूरत को ध्यान में लाने के लिए ही आज पूरी दुनिया में विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है।
दरअसल 22 दिसंबर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र असेंबली में प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें ये घोषणा की गई कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके बाद 1993 से दुनियाभर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस साल की थीम है - 'भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना जिसे इंटरनेशनल ग्राउंडवाटर रिसोर्स अस्सेमेंट सेंटर द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इसका मकसद ग्राउंडवाटर लेवल को बढ़ाने से है।
दरअसल, भूजल पृथ्वी पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है और इसी का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है। सतह के नीचे होने के कारण, इसे अक्सर अनदेखा किया जाता है इसलिए विश्व जल दिवस 2022 को विशेष रूप से इस संसाधन पर केंद्रित रखा गया है। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन बदतर होता जाएगा, भूजल अधिक से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा।
आज जल संकट समूचे विश्व की गंभीर समस्या है। हालात इतने खराब हैं कि दुनिया के 37 देश पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं। इनमें सिंगापुर, पश्चिमी सहारा, कतर, बहरीन, जमैका, सऊदी अरब और कुवैत समेत 19 देश ऐसे हैं जहां पानी की आपूर्ति मांग से बेहद कम है। दुनिया में पांच में से एक व्यक्ति की साफ पानी तक पहुंच ही नहीं है।
दुनिया में नदियों के मामले में सबसे अधिक सम्पन्न हमारे देश की तकरीबन साठ करोड़ से ज्यादा आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है। देश के तीन चौथाई घरों में पीने का साफ पानी तक मयस्सर नहीं है। देश की यह स्थिति तब है जबकि यहां मानसून बेहतर रहता है। जल गुणवत्ता की बात की जाये तो इस मामले में हमारा देश 122 देशों में 120 वें पायदान पर है। यह हमारी पानी के मामले में बदहाली का सबूत है।
विश्व जल दिवस की थीम
theme of world water day
2022: भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना
2021: "वेल्यूइंग वाटर"
2020: जल और जलवायु परिवर्तन
2019: किसी को पीछे नही छोड़ना (लीवींग नो वन बीहांइड)।
2018: जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान।
2017: अपशिष्ट जल।
2016: जल और नौकरियाँ।
2015: जल और दीर्घकालिक विकास।
2014: जल और ऊर्जा।
2013: जल सहयोग।
2012: जल और खाद्य सुरक्षा।
2011: शहर के लिये जल: शहरी चुनौती के लिये प्रतिक्रिया।
2010: स्वस्थ विश्व के लिये स्वच्छ जल।
2009: जल के पार।
2008: स्वच्छता।
2007: जल दुर्लभता के साथ मुंडेर।
2006: जल और संस्कृति।
2005: 2005-2015 जीवन के लिये पानी।
2004: जल और आपदा।
2003: भविष्य के लिये जल।
2002: विकास के लिये जल।
2001: स्वास्थ के लिये जल।
2000: 21वीं सदी के लिये पानी।
1999: हर कोई प्रवाह की ओर जी रहा है।
1998: भूमी जल- अदृश्य संसाधन।
1997: विश्व का जल: क्या पर्याप्त है।
1996: प्यासे शहर के लिये पानी।
1995: महिला और जल।
1994: हमारे जल संसाधनों का ध्यान रखना हर एक का कार्य है।
1993: शहर के लिये जल।