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World Zoonoses Day : इन जानवरो से फैलता है जूनोटिक रोग, जानें इससे बचने के यह उपाय

World Zoonoses Day :विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का उद्देश्य हम सभी को जानवरों से होने वाली बीमारी के प्रति जागरुक करना है।

rajeev gupta janasnehi
Written By rajeev gupta janasnehiPublished By Shraddha
Published on: 6 July 2021 9:15 AM IST
6 जुलाई को मनाया जाता है विश्व पशुजन्य रोग दिवस
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 विश्व पशुजन्य रोग दिवस (डिजाइन फोटो -सोशल मीडिया)

World Zoonoses Day 2021 : हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है। आज हम जानवर (Animal) से मानव में लगने वाले रोग की बात करेंगे। जैसे आम दिनों में हम मरेलिया, वायरल या अब कोरोना आदि अर्थात पशु से या जानवर से कोई बीमारी जब मनुष्य को लगती है तो उसे जूनोसिस(पशु से लगने वाले) रोग (Zoonosis Disease) कहते हैं। सरल शब्दों में जूनोसिस से मतलब उन संक्रमण लोगों से है जिसके अंतर्गत रोग एक जानवर के माध्यम से अन्य जानवरों में या मानव में संक्रमित हो जाते हैं। यदि कोई रोग मानव से जानवरों में फैलता है तो वह रिवर्स जूनोसिस कहलाता है। आज 6 जुलाई यानि कि विश्व पशुजन्य रोग दिवस (World Zoonoses Day ) ।

जूनोसिस (Zoonoses) एक ग्रीक शब्द है जो जून (Zoon) और नोसोस (Nosos) से मिलकर बना है। यहाँ Zoon से मतलब पशु या जानवर से है और Nosos से मतलब बीमारी या रोग से है। हिन्दी में कहा जाये तो जूनोसिस से मतलब पशुजन्य रोग से है।

विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का उद्देश्य साफ है कि हम सभी को जानवरों से होने वाली बीमारी के प्रति जागरुक करना है। जैसा कि हम जानते है कि इंसानों के बीमार होने का एक बड़ा कारण जानवर भी है। साथ ही इसका उद्देश्य यह भी है कि हमारी वजह से किसी जानवर को भी कोई परेशानी न हो।हम चाहे शहर में हो या गाँव में हो, अपने चारों ओर कीट –पतंग, कीड़े मकोड़े, पालतू या आवारा जानवर देखते ही होंगे। आमतौर पर आपने घरों में या आपस हर जगह चूहे छिपकली बिल्ली कुत्ता आदि घूमते रहते हैं। ये अक्सर जगह जगह की गंदगी व मल एक स्थान से दूसरे स्थान पर त्याग देते हैं, जो कि हमारी बीमारी का एक बड़ा कारण बन जाता है। ज़ूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फफूँद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं।

विश्व पशुजन्य रोग दिवस (फोटो - सोशल मीडिया)

जानें किन जानवरों से फैलता यह रोग

भारत में होने वाले ज़ूनोटिक रोगों में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला, निपाह, ग्लैंडर्स, साल्मोनेलोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस एवम जापानीज इन्सेफेलाइटिस इत्यादि शामिल हैं। ये लिस्ट काफी लम्बी हैं, विश्व भर में लगभग 150 जूनोटिक रोग उपस्थित हैं। कुछ ज़ूनोटिक रोग तो सीधे ही सम्पर्क में आने से फैलते हैं जबकि कुछ वेक्टर जैसे कुत्ता, बिल्ली,गाय,बकरी, चमगादड़, घोंघा, चिचड़, मछली, सुअर, मुर्गी और घोड़ा इत्यादि के द्वारा फैलाये जाते हैं।

विश्व पशुजन्य रोग दिवस (फोटो - सोशल मीडिया)


ज़ूनोटिक रोगों से बचाव में वेटरनरी डॉक्टर मुख्य रोल अदा करता हैं। पालतू और जंगली दोनों प्रकार के जानवरों में लक्षणों को पहचान कर तुरंत प्रभावी उपाय किये जाने में वेटरनरी डॉक्टर अहम कड़ी हैं। कुछ ज़ूनोटिक रोगों को तो टीकाकरण करके रोका जा सकता हैं बाकी की समय पर पहचान करके बचाव हेतु प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। निश्चित तौर पर रोगों की पहचान में वेटरनरी पैथोलोजिस्ट मददगार होते हैं। रेबीज और ब्रूसेलोसिस जैसे रोगों से बचाव के लिए तो टीकाकरण एक उपयुक्त माध्यम हैं ही। अबकी बार विश्व पशुचिकित्सा दिवस पर भी थीम 'टीकाकरण का महत्व' ही रखी गयी थी। ज़ूनोटिक रोगों से बचाव की तैयारियों पर ज़ोर रहता है। विश्व के सभी वेज्ञनिक लगातार इस पर काम करते है।

केंद्र सरकार ने पशुपालन के लिए अलग से मंत्रालय और विभाग बनाया हैं जिससे जरूर उम्मीद जगी हैं। साथ ही आईसीएआर की तर्ज पर वेटरनरी रिसर्च कॉउंसिल भी बनेगी। ऐसा होने पर निश्चित तौर पर वेटरनरी प्रोफेशन अधिक दक्षता से ज़ूनोटिक रोगों से लड़ाई में शामिल हो पायेगा।

राष्ट्रीय कृषि आयोग के अनुसार प्रति 5 हजार पशुओ पर एक वेटरनरी डॉक्टर होना चाहिए, इस गणना के हिसाब से राज्य में लगभग 12 हजार वेटरनरी डॉक्टर्स होने चाहिए, जबकी हकीक़त ये है कि 60 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। तमाम पशुचिकित्सा व्यवस्थाये नीम-हकीमों के हवाले हैं, हॉर्मोन के अनाधिकृत उपयोग से पशुओं में बाँझपन व बीमारी बढ़ रहा हैं। हमें पशुचिकित्सा व्यवस्थाये बढ़ानी पड़ेगी अन्यथा रोग बढ़ जायेगा। ऐसे में वेटरनरी डॉक्टर्स के ऊपर अधिक जिम्मेदारी होती हैं।

आज के समय में चल रही इस कोरोना नामक बीमारी की मेन वजह क्या है, इस पर अभी तो संशय बना हुआ है। लेकिन इसे कहीं न कहीं इसे चमगादड़ से जोड़ा जा रहा है। इस कोरोना वायरस की शुरुआत चीन में हुई थी। इसकी रोकथाम के लिए चारों ओर एक ही बात चल रही है हाथ धोते रहें, सफाई रखे।

विश्व पशुजन्य रोग दिवस (फोटो - सोशल मीडिया)

प्राचीन समय से ही रेबीज एक जानलेवा घातक बीमारी रही है। लेकिन जब रेबीज का टीका (वैक्सीन) बनाया गया तो वास्तव में यह मानव के लिए बडी़ उपल्ब्धि थी। इस वैक्सीन के आविष्कार का श्रेय विशेष रुप से फ्रांस के वैज्ञानिक लुई पाश्चर (Louis Pasteur) को जाता है। जानकारी के अनुसार लुई पाश्चर ने यह पहला टीका 6 जुलाई 1885 को एक 9 वर्ष के बच्चे जोसेफ मीस्टर को लगाया था। इसलिए 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का फैसला किया गया।

आज हम सबको पशु रोगों से बचने के लिए चाहे पालतू जानवर हो या पालतू नहीं हो सभी के संपर्क में आने के लिए विशेष ध्यान रखना चाहिए सबसे बड़ा यह ध्यान रखना चाहिए की सभी पशु सॉक्सो और कोई बीमारी ना हो उनके संपर्क में आने के बाद कास्टिक सोडे वाली साबुन जैसे लाइफ बाय है या कपड़े धोने के साबुन से अच्छी तरीके से हाथ धोना चाहिए। आज डब्ल्यूएचओ भी करुणा महामारी से बचने के लिए व अन्य किसी भी वायरस से बचने के लिए बार-बार वह टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। साथ ही हाथ धोना मार्क्स पहनना यह अनिवार्य रूप से हम लोगों को करना चाहिए तभी हम पशुओं से होने वाली बीमारी से अपने आप को बचा सकेंगे। आज पशुजन्य रोग दिवस पर हम सभी को वेटरनरी डॉक्टरों को सम्मान करना चाहिए व उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए कि वह अपनी सतत प्रयास से पशुओं में होने वाले रोगों को खत्म करें तथा नए रोगों को जन्म ना लेने दें और उन से होने वाली हानि को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करें।



Shraddha

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