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यासीन मालिक के साथ पाक: समर्थन में उतरे शरीफ-इमरान जैसे धुर विरोधी, सुने क्या बोले मोदी सरकार को
Yasin Malik News: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान समेत कई प्रमुख लोगों ने यासीन मालिक को झूठे आरोपों में फंसाने का बड़ा आरोप लगाया है।
Yasin Malik News: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu and Kashmir Liberation Front) के मुखिया और अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को टेरर फंडिंग मामले (terror funding case) में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दिल्ली की एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने यासीन मालिक मामले में पहले ही सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। एनआईए की ओर से यासीन मलिक को फांसी की सजा सुनाने का अनुरोध किया गया था मगर कोर्ट ने यासीन मालिक को उम्र कैद की सजा सुनाने के साथ उस पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। सजा सुनाने के समय कोर्ट रूम के भीतर और बाहर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे। डॉग स्क्वाड (dog squad) के जरिए कोर्ट रूम की तलाशी भी ली गई।
यासीन मालिक के समर्थन में पाकिस्तान
मलिक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही पर पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान समेत कई प्रमुख लोगों ने मलिक को झूठे आरोपों में फंसाने का बड़ा आरोप लगाया है। पाकिस्तानी नेताओं ने मोदी सरकार को घेरते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में दखल देने का अनुरोध भी कर डाला है। मजे की बात यह है कि इन दिनों एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले इमरान और शरीफ दोनों इस मुद्दे पर एक सुर में बोल रहे हैं।
फर्जी आतंकवाद में मलिक को फंसाया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (Pakistan Prime Minister Shahbaz Sharif) ने यासीन मलिक के बहाने सियासी कैदियों के प्रति भारत सरकार (Indian government) के रवैए पर सख्त एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि फर्जी आतंकवाद के मामले में यासीन मलिक को फंसाया गया है। यासीन मलिक को दोषी ठहरा कर घाटी में मानवाधिकार के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार को इस गुनाह के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे मुल्कों को जम्मू कश्मीर में सियासी कैदियों के साथ किए जा रहे इस व्यवहार पर गौर फरमाने के साथ ही इसके खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए।
इमरान ने मोदी सरकार का फासीवादी कदम बताया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Former Prime Minister of Pakistan Imran Khan) ने यासीन मलिक पर कानूनी शिकंजा कसने के कदम को फासीवादी बताया है। अपने प्रधानमंत्रित्व काल में भारत पर कश्मीर में जबरन कब्जा करने का आरोप लगाने वाले इमरान ने कहा कि यासीन मलिक को सजा सुनाया जाना पूरी तरह गलत है और सभी को इसका विरोध करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार फासीवादी रणनीति अपना रही है और इसी के तहत यासीन मलिक को फर्जी आरोपों में फंसाकर सजा सुनाई गई है।
यासीन मलिक ने 1990 में हुए आतंकी हमले में शामिल होने का गुनाह कबूल कर लिया है मगर इमरान ने इस बात का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने फर्जी आरोप गढ़कर यासीन मलिक को फंसाने का गुनाह किया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में आगे आकर इसका तीखा विरोध करना चाहिए।
अफरीदी बोले-आवाज को दबाने की कोशिश
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कश्मीर को लेकर हमेशा विवादित बयान देने वाले शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) ने भी यासीन मलिक का पूरा समर्थन किया है। उन्होंने यासीन मलिक का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की ओर से अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है और इसी कड़ी में अब यासीन मलिक को फंसाया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत को यह समझ लेना चाहिए कि मनमाने आरोप लगाकर यासीन को फंसाने से कश्मीर की आजादी के संघर्ष पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कश्मीरी नेताओं के खिलाफ चल रहे मुकदमों को पूरी तरह गैरकानूनी बताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ को इस मामले में दखल देना चाहिए। यह पहला मौका नहीं है जब अफरीदी ने कश्मीर को लेकर विवादित बयान दिया है। वे पहले भी कश्मीर को लेकर भारत विरोध का गंदा खेल खेलते रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र से दखल देने की मांग
भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित और पाकिस्तान की सांसद नाज बलोच ने भी यासीन मलिक का समर्थन किया है। बासित ने मलिक के खिलाफ कार्रवाई को ज्यूडिशियल टेररिज्म (judicial terrorism) बताया है। उन्होंने दुनिया के दूसरे देशों से भारत के इस कदम के खिलाफ खड़े होने की अपील की।
बलोच ने कहा कि भारत में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है और संयुक्त राष्ट्र संघ को इस मामले में दखल देना चाहिए। उन्होंने मलिक को कश्मीर का वीर सपूत बताते हुए कहा कि झूठे आरोपों में सजा दिया जाना मानवता के पूरी तरह खिलाफ है।
धुर विरोधी भी लगे एक सुर में बोलने
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का नेता यासीन अपने गुनाहों को कबूल कर चुका है मगर पाकिस्तान के किसी भी नेता ने अपने बयान में इसका जिक्र नहीं किया है। मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हुए बड़े हमले में शामिल होने का आरोप है और मलिक इस गुनाह को कबूल कर चुका है। इस हमले में 4 जवान शहीद हो गए थे जबकि 40 से अधिक जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे।
मजे की बात यह है कि यासीन मलिक के मामले में पाकिस्तान की सियासत के धुर विरोधी भी एक ही सुर में बोल रहा हैं। पाकिस्तान में इन दिनों मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच जबर्दस्त सियासी जंग चल रही है और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
दोनों नेता लगातार एक-दूसरे पर हमलावर हैं मगर यासीन मलिक के मुद्दे पर दोनों ही एक सुर में ही बोल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में नेताओं की सियासत जम्मू-कश्मीर मुद्दे (Jammu and Kashmir issues) पर उनके उग्र रवैए से ही चमकती रही है और यही कारण है कि इमरान और शरीफ दोनों इस मुद्दे पर एक सुर में बोल रहे हैं।