Assam Flood: असम में आई बाढ़ से करीब 14 लाख आबादी प्रभावित, प्राकृतिक आपदा ने 180 लोगों की जिंदगी छीनी
Assam Flood: राज्य में 22 जिलों के कुल 13.71 लाख की लाख अभी भी बाढ़ से प्रभावित और पीड़ित है। भूस्खलन ने 180 लोगों की जानें ले ली हैं।
Assam Flood Update: असम में इस वर्ष बाढ़ के रूप में आई प्राकृतिक आपदा ने राज्य में जनजीवन अस्त-व्यस्त करने के साथ ही जान-माल को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। भारी तबाही मचाने के बाद सोमवार को असम में बाढ़ की स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला, बावजूद इसके राज्य में 22 जिलों के कुल 13.71 लाख की लाख अभी भी बाढ़ से प्रभावित और पीड़ित है। अबतक असम राज्य में बाढ़ और बाढ़ के चलते आए भूस्खलन ने 180 लोगों की जानें ले ली हैं, जिसमें 162 लोगों की बाढ़ से और 18 लोगों की भूस्खलन के चलते मृत्यु हो गई है।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के कछार जिले में बाढ़ ने हालिया तौर पर एक और बच्चे की जान ले ली और अभी राज्य में कई ऐसे लोग भी हैं जो लापता हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सका है।
बाढ़ के थोड़ा शांत होने बावजूद लोगों के सामने भोजन-पानी का संकट तेजी से गहराने लगा है। आपको बता दें कि बाढ़ के चलते असम के करीब 14 जिलों में 40,000 हेक्टेयर से अधिक फसल भूमि भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित यह जिले
असम राज्य के बजली, बारपेटा, विश्वनाथ, कछार, चिरांग, दरांग, डिब्रूगढ़, दीमा हसाओ, गोलपारा, गोलाघाट, हैलाकांडी, होजई, कामरूप, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, करीमगंज, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नागांव, नलबाड़ी, शिवसागर, सोनितपुर, तामूलपुर और उदलगुरी सहित करीब 24 जिले अभीतक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है और यहां लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इन राज्यों की स्थित पर बात करें तो कछार जिले में लगभग 6.69 लाख से अधिक लोग, नगांव जिले में लगभग 3.63 लाख से अधिक लोग, मोरीगांव जिले में लगभग 1.79 लाख से अधिक लोग और बारपेटा जिले में कुल 56,021 से अधिक लोग अभी भी बाढ़ का संकट झेल रहे हैं। राज्य के होकर गुजरने वाली नदियां भी उफान पर हैं, जिसके चलते संकट अभी भी बना हुआ है।
असम में जारी बाढ़ के कहर के चलते प्रशासन की ओर से लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है तथा इसी के मद्देनज़र कई जगहों पर राहत शिविर बनाए गए हैं। बेघर और बीमार हुए लोगों को इन राहत शिविरों में रखा गया है।