Assam में अवैध कब्जों पर बिस्वा सरमा की सख्त कार्रवाई, मुस्लिम भड़के

Assam: असम में सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने का काम पूरी रफ्तार से चालू हो गया है। हालांकि इससे मुस्लिमों में नाराजगी देखी जा रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update: 2021-06-13 14:10 GMT

हिमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Assam Politics: भाजपा ने असम चुनाव (Assam Assembly Elections 2021) में अपने घोषणापत्र (Manifesto) में सरकारी जमीन (Government Land) से अवैध कब्जे (Illegal Occupation) हटाने की बात कही थी और सत्ता में वापसी के बाद ये काम पूरी रफ्तार से चालू हो गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने जंगल काट कर बनी अवैध बस्तियों पर बुलडोजर चलवा दिए हैं। लेकिन अतिक्रमण हटाने पर विवाद भी पैदा हो गया है क्योंकि कुछ लोग इसे मुस्लिमों के खिलाफ कदम मान रहे हैं।

ऐसा इसलिए है कि असम में बड़ी संख्या में सीमा पार से आए लोग जंगलों और सरकार की खाली पड़ी जमीनों पर जमे हुए हैं। जिन परिवारों को हटाया गया है इत्तेफाक से वे सब मुस्लिम (Muslim) हैं। इसलिए सरकार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लग रहे हैं और इसे मुस्लिम-विरोधी अभियान (Anti-Muslim Campaign) भी कहा जा रहा है।

बिस्व सरमा का सख्त रुख

बिस्व सरमा पहले से कई बार बांग्लादेशी घुसपैठियों और विशेषकर मुस्लिम समुदाय के बारे में सख्त बयान दे चुके हैं। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों मुसलमानों से आबादी घटाने की अपील की थी। उन्होंने मुसलमानों की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या नियंत्रण की एक ठोस नीति अपनाने की अपील की थी। उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा था कि भाजपा को यहां सीमा पार से आने वाले मुसलमानों के वोटों की जरूरत नहीं है।

खत्म हो गए जंगल

असम में बड़े भूभाग पर पिछले तीन चार दशकों में जंगलात काट कर लोग बस गए हैं और खेती की जा रही है। मिसाल के तौर पर दारंग जिले में मीसामारी के आसपास घने जंगल थे और ट्रेनें जंगलों के बीच से ऐसे गुजरती थीं कि मानो सुरंग में चल रही हों। लेकिन अब उसी ट्रैक पर दूर दूर तक जंगल नहीं हैं। अब वहां खेत और बस्तियां हैं। लोगों का कहना है कि यहां बसे लोग सीमा पार से आए हुए हैं। एक एक कर आये लोगों के अब बड़े बड़े कुनबे हो चुके हैं।

CM हिमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कैबिनेट का फैसला

असम कैबिनेट ने आठ जून को 77 हजार बीघा जमीन को अतिक्रमण-मुक्त कर उनके समुचित इस्तेमाल के लिए एक समिति का गठन किया था। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने 2019 में विधान सभा में कहा था कि राज्य में करीब 400,000 एकड़ जंगल की जमीन अवैध कब्जे में है।

बहरहाल, राज्य सरकार ने कार्रवाई की शुरुआत करते हुए सोनितपुर जिले से करीब सौ परिवारों को हटा दिया और मकान बुलडोजर से ढहा दिए। इस जिले में इससे पहले दिसंबर में भी ऐसे ही एक अभियान के तहत करीब साढ़े चार सौ घरों को ढहा कर तीन हजार लोगों को सरकारी जमीन से हटा दिया गया था। इसके अलावा होजाई, दारंग और करीमगंज जिलों में दो सौ से ज्यादा मकान ढहाये जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इस अभियान का बचाव करते हुए कहते हैं की हम लोगों को अपनी मंदिरों और जंगल की जमीन पर अवैध कब्जा बरकरार रखने की अनुमति नहीं दे सकते। आबादी ज्यादा होने की वजह से रहने की जगह का संकट है। अगर यह सब जारी रहा तो एक दिन वह लोग (मुसलमान) कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी कब्जा करने पहुंच जाएंगे।

उनका कहना है कि अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ (आम्सू) और एआईयूडीएफ समेत ऐसे लोगों के पुनर्वास की मांग करने वाले तमाम संगठनों को मिल कर इस तबके की आबादी पर अंकुश लगाने की दिशा में पहल करनी चाहिए।

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